जब आडवाणी की रथयात्रा ने भाजपा को यूपी में दिलाई थी जीत

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“राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे” के नारे के साथ बीजेपी पहली बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई थी,ये वो दौर था जब भाजपा पर उस वक़्त के उनके “हीरो” आडवाणी का एकछत्र राज चला करता था,और उन्होंने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से लेकर “धर्मनगरी” अयोध्या तक यात्रा निकाली थी।

ये वो दौर था जब एक तरफ समाजवादी नेताओं की कतार थी,जिनमे मुलायम सिंह यादव,लालू यादव और चंद्रशेखर जैसे दिग्गज नेता राजनीति में थे वहीं दूसरी तरफ अटल आडवाणी की जोड़ी का जलवा बढ़ रहा था,इस वक़्त पिछड़ों को मिले आरक्षण की चर्चा थी,उसी दौर में भाजपा ने पहली बार उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई थी।

24 जून 1991 उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी 425 में से 221 सीटें जीती

कल्याण सिंह 24 जून को शपथ लेते हैं और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते हैं, यह पहला मौका था जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी, भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्व बहुत अधिक है,क्यूंकि उस वक़्त में वहां कुल 85 लोकसभा की सीटें हुआ करती थी, इसी दिशा में एक मिसाल बहुत फेमस है की “दिल्ली की गद्दी का का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है।”

कौन था इस “भगवाधारियों” की जीत का हीरो ?

अटल,आडवाणी और जोशी की तिकड़ी ने “रामलला” का नाम लेकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी थी,क्योंकि रैलियों से लेकर यात्राओं में सिर्फ “राम” नाम की गूंज शामिल थी लेकिन फिर भी हमारे सामने सबसे पहले यही सवाल आता है कि बीजेपी को जीत अटल बिहारी वाजपेई , आडवाणी एम जोशी ने दिलवाई या फिर “राम मंदिर” के मुद्दे ने दिलाई थी?

ये हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 1980 के विधानसभा चुनाव में जो भाजपा ने विधानसभा में सिर्फ 11 सीटें जीती और उसके बाद हुए सन् 85 के विधानसभा में 16 सीटें जीती, इसके अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी 57 तक पहुंच गई थी।

यहां तक बीजेपी को उत्तर प्रदेश में कुछ खास सफलता नहीं मिली थी लेकिन इसके बाद बीजेपी ने राम मंदिर के मुद्दे को हवा दी और “राम लला हम आएंगे मंदिर यहीं बनाएंगे” के नारे के साथ 1991 में बीजेपी ने 221 सीटें जीती और भाजपा का ग्राफ बढ़ता चढ़ता गया परिणाम स्वरूप इस जीत का नायक राम मंदिर के मुद्दे को ही समझा गया है।

केवल डेढ़ साल तक ही चल सकी थी ये सरकार

1991 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की सत्ता हासिल तो कर ली लेकिन केवल डेढ़ साल के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया,6 दिसंबर 1992 को उग्र भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था।

आरोप ये भी लगे थे की इस इस पूरी भीड़ का नेतृत्व आडवाणी, जोशी और उमा भारती जैसे नेता कर रहे थे जिस पर मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं,बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रदेश भर में जगह जगह सांप्रदायिक फैल गए थे और यूपी की पहली भाजपा सरकार को केंद्र सरकार द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था।

क्योंकि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश की सरकार की थी और मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सरकार को तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने तत्काल प्रभाव से वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था और इस तरह कल्याण सिंह और भाजपा की पहली सरकार बर्खास्त हो गयी थी।