यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले एक बार फिर यूपी में राजनीतिक समीकरण बदले जा रहे हैं। जिसमे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और भाजपा के गठबंधन की अटकलें भी शामिल हैं। बीते शुक्रवार (15 October) को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर ने कहा कि भारतीय न्याय समिति की रिपोर्ट को लेकर bjp के पास गए थे। लेकिन bjp ने उसे मानने से इंकार किया, अगर bjp इस समिति से जुड़ी हमारी बातों (शर्तो) को मान ले तो हम चुनावों से पहले गठबंधन कर सकते हैं।
2019 में टूट था गठबंधन :
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और सुभासपा का गठबंधन हुआ था। जिसमे राजभर को कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग और दिव्यांग जन कल्याण मंत्री का पद मिला था। लेकिन विद्रोही तेवर के चलते 2019 में उन्हें मंत्री मंडल से बर्खास्त भी कर दिया गया था। 2017 में गठबंधन में उन्हें आठ सीटें मिली थी, आठ सीटों पर राजभर समेत चार उमीदवार ही जीते थे। 2017 के विधानसभा चुनावों में राजभर की पार्टी को 0.07 प्रतिशत मतदान मिला था।
यूपी सरकार पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप :
सरकार में होते हुए राजभर ने यूपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसके कारण कैबिनट से बर्खास्त भी हुए। उन्होंने कहा था कि योगी सरकार में 100 प्रतिशत पैसे लेकर पोस्टिंग की जाती है। योगी न तो किसी मंत्री की सुनते हैं और न ही किसी विधायक की। वो सिर्फ अपने अधिकारियों की सुनते हैं। राजभर ने ये भी ऐलान किया कि अगर 2022 का चुनाव योगी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा तो ओपी राजभर bjp से गठबंधन नहीं करेंगे। वहीं 2019 में अन्य छोटे दलों के साथ असद्दुदीन ओवैसी के साथ भारतीय संकल्प मोर्चा का गठन किया था।
27 अक्टूबर को होगा गठबंधन का ऐलान :
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, राजभर 27 अक्टूबर को इस बात का ऐलान करेंगे कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी किसके साथ गठबंधन करेंगी। 27 अक्टूबर को सुभासपा का स्थापना दिवस है, वहीं अगले साल इसी दिन विधानसभा चुनाव होने हैं। राजभर के मुताबिक यही वो दिन होगा जब bjp की यूपी से विदाई होगी। वहीं शुक्रवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजभर ने कहा कि अगर bjp सामाजिक न्याय समिति की बातें मान ले तो राजभर bjp के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।
ये हैं राजभर की शर्तें :
जनसत्ता की रिपोर्ट के मुताबिक, राजभर का कहना है कि उनके भागीदारी संकल्प मोर्चा बनने का उद्देश्य ही यही है कि सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू की जाए। सुभासपा ने गठबंधन करने के पीछे कुछ शर्ते रखी हैं। जिसमे स्नातकोत्तर तक सभी को मुफ्त शिक्षा मिले, पुलिस की बॉर्डर सीमा समाप्त की जाए, 8 घण्टे काम करने के साथ साथ पुलिस को साप्ताहिक छुट्टियां दी जाए। इसके अलावा घरेलू बिजली माफ़ की जाए, पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए जैसी शर्ते शामिल हैं।