पीएम केयर्स फ़ंड पर तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने संसद के अंदर किये ये अहम सवाल

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( नोट : सांसद महुआ मोइत्रा के भाषण के  हिन्दी अनुवाद को बीबीसी हिन्दी के वरिष्ठ पत्रकार राजेश प्रियदर्शी ने कुछ मुख्य बिंदुओं के साथ अपनी फ़ेसबुक वाल पर पोस्ट किया था, हमने यह अनुवाद उन्ही की फ़ेसबुक वाल से लिया है)

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने संसद में पीएमकेयर्स फंड पर सवाल उठाए हैं, उन्होंने दिखाया है कि विपक्ष के सांसद को कैसा होना चाहिए, और संसद आख़िर है किस लिए। विपक्ष वाली सुषमा स्वराज जैसे तेवर के साथ उन्होंने कई सवाल पूछे हैं, सवाल नए नहीं हैं, लगातार पूछे जा रहे हैं, जवाब नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने पीएमकेयर्स फंड को कानूनी चुनौती दी थी लेकिन अदालत ने कहा कि उन्हें ये सवाल संसद में उठाने चाहिए।

जो लोग अंग्रेज़ी नहीं जानते उनकी सुविधा के लिए कुछ ख़ास बातें जो महुआ मोइत्रा ने कही हैं, बातें बहुत गंभीर हैं, राष्ट्रहित से जुड़े नौ सवाल हैं। भाषण बहुत लंबा नहीं है, दिलचस्प है, सारी बातें यहाँ नहीं लिख सकता, आप अंत तक वीडियो में सुन सकते हैं।

  1. पीएमकेयर्स फंड संकट की घड़ी में आर्थिक संसाधनों का केंद्रीकरण कर रहा है, राज्यों के हाथों से संसाधन छीनकर एक जगह जमा कर रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा तब हो रहा है जब राज्य सरकारों को वादे के मुताबिक, जीएसटी में हुई कमी की भरपाई नहीं की जा रही है।
  2. पीएमकेयर्स फंड केंद्र सरकार और राज्यों के बीच विभेदकारी नीति पर आधारित है। बड़ी कंपनियों से पीएमकेयर्स फंड के लिए मिलने वाला चंदा corporate social responsibility के मद में गिना जा रहा है लेकिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिया जाना वाला कॉर्पोरेट डोनेशन इस श्रेणी में नहीं आता, जो कि पहले आता था। नए नियमों के तहत राज्यों को मिलने कॉर्पोरेट डोनेशन को हतोत्साहित किया जा रहा है। CSR की व्यवस्था स्थानीय और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए थी, न कि एक जगह पैसा जमा करने के लिए।
  3. टीएमसी सांसद का कहना है पीएमकेयर्स फंड पारदर्शिता के सिद्धांत के विपरीत है, इस फंड और इसे चलाने वाले लोग किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हैं, इसका ऑडिट न होना और इसे आरटीआई से बाहर रखना बुनियादी उसूलों के खिलाफ़ है।
  4. देश के 38 सार्वजनिक उद्यमों ने 2100 करोड़ से अधिक का चंदा पीएमकेयर्स फंड को दिया है, जो पीएमकेयर्स फंड में दिए गए डोनेशन का तकरीबन 70 प्रतिशत है, यह देश का ही पैसा है, देश की जनता का पैसा है, इसका ऑडिट क्यों नहीं होना चाहिए? सारा पैसा ऐसे अंधेरे कमरे में जा रहा है जहाँ रोशनी एक किरण नहीं जा सकती।
  5. कोल इंडिया ने 222 करोड़ रुपए पीएमकेयर्स फंड में दिए हैं, उसका ज़्यादातर काम झारखंड और बंगाल में है लेकिन वह वहाँ की सरकारों को कुछ नहीं दे रहा है, पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन ने पीएमकेयर्स फंड में 200 करोड़ रुपए दिए हैं जबकि उसका CSR बजट ही 150 करोड़ रुपए का है। ऐसा लग रहा है कि सम्राट के दरबारियों के बीच होड़ लगी है सम्राट को नज़राना देने के लिए, वह भी पब्लिक के पैसे से।
  6. अगर आपको इसमें गड़बड़ नहीं लग रही है तो चीनी कंपनियों के डोनेशन पर ध्यान दीजिए। श्याओमी पर लोगों की जासूसी करने का आरोप है उसने पीएमकेयर्स फंड में 10 करोड़ रुपए दिए हैं, टिक टॉक जिसे हाल ही में इसी सरकार ने बैन कर दिया है उसने 30 करोड़ रुपए दिए हैं। हुआवे जिसका सीधा संबंध चीनी सेना से है, जिसकी वजह से पूरी दुनिया के देशों में उस प्रतिबंध है, उसने 10 करोड़ रुपए दिए। आप देश के दुश्मनों से क्यों पैसे ले रहे हैं?
  7. पीएमकेयर्स फंड के तहत कितने वेंटिलेटर्स ख़रीदे गए, किन किन राज्यों के किन अस्पतालों को दिए गए, उनकी सप्लाई किन लोगों ने की, इसका हिसाब इस सदन को दिया जाना चाहिए। जिस तरह से एयरपोर्ट और एयरलाइन का निजीकरण हो रहा है, जिस तरह क्रोनी कैपिटलिज़्म को बढ़ावा दिया जा रहा है, क्यों नहीं माना जाना चाहिए कि पीएमकेयर्स फंड में चंदा देने वाले और सरकार की नीतियों का लाभ लेने वाले अलग-अलग लोग नहीं हैं।
  8. जब प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष पहले से मौजूद था तो एक अलग फंड बनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी? फंड लंबे समय से है, प्रधानमंत्री आते-जाते रहते हैं, फंड पर सवाल नहीं है, लेकिन एक ही व्यक्ति के नाम पर हर चीज़ को समर्पित करने की ऐसी क्या ज़रूरत पैदा हो गई है। यह लोकतंत्र है, चुना हुआ निरंकुश तंत्र नहीं है।
  9. .इस फंड का सारा काम कैबिनेट मंत्री देख रहे हैं, सब कुछ मनमाने तरीके से हो रहा है। डोनेशन दिए नहीं, बल्कि लिए जा रहे हैं। 17 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को अपना एक दिन का वेतन पीएमकेयर्स फंड में देना होगा, यह पैसा उनकी सैलरी से ले लिया जाएगा, अगर वे पैसा नहीं देना चाहते हैं तो उन्हें लिखकर देना होगा कि वे फंड में पैसा नहीं देना चाहते, इस भय और प्रतिशोध के माहौल में आप ही बताइए कि कौन कर्मचारी या अधिकारी लिखकर देगा कि वह पीएमकेयर्स फंड में पैसे नहीं देना चाहता।