किंगमेकर की भूमिका में होगा आदीवासी वोटबैंक, निकाय चुनाव में दिखेगा असर

Share

भोपाल। मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। प्रदेश की 46 सीटों पर निकाय चुनाव होना हैं। इन सीटों में से अधिकतर पर आदीवासी वोट बैंक किंगमेकर की भूमिका में है। प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी की निगाहें आदीवासियों को लुभाने में लगी हैं। निकाय चुनाव के नतीजे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी असर डालेंगे। प्रदेश के 18 ज़िलों के 29 शहरों के 17 निकायों में चुनाव होना हैं। इनमें अनूपपुर, उमरिया, डिंडोरी, मंडला, सागर, सिंगरौली, शहडोल, बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, रायसेन, खंडवा, खरगोन, अलीराजपुर, बुरहानपुर, झाबुआ और रतलाम शामिल हैं। राजनैतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार करने के लिए कमर कस ली है।

परिसीमन की वजह से हुई देरी

जुलाई के महीने में प्रदेश में निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं। लेकिन 37 निकायों में कई जगह परिसीमन और मतदाता सूचि में हुई देरी के कारण चुनाव टाल दिए गए थे। 27 सितंबर को मतदान और 30 सितंबर को चुनावी नतीजे घोषित किए जाएंगे। निकाय में कुल वार्डों की संख्या 814 है। जिनमें आदीवासी समुदाय निर्णायक भूमिका अदा करता है। यही कारण है कि सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस पार्टी के नेता आदीवासी समुदाय को लुभाने के लिए रणनीति तैयार करने में व्यस्त हैं। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने पिछले साल आदीवासी समुदाय के राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह का शहीद दिवस मनाने के लिए जनजातीय अभियान की शुरूआत की थी। यही नहीं आंग्रेज़ो के खिफाल लड़ाई लड़ने वाले अदीवासी नेता बिरसा मुंडा की शहादत को याद करते हुए भाजपा ने पिछले साल जनजातीय गौरव दिवस भी मनाया था।

भाजपा को टक्कर देने के लिए कांग्रेस भी अलग रणनीति अपना रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ आदीवाली क्षेत्रों में रैली कर उनपर होने वाले अत्याचार को उजागर कर रहे हैं। दोनो पार्टियों के आदीवासी प्रेम के पीछे प्रदेश की 15 लाख आदीवासी जनसंख्या है। मप्र में 17 फीसदी एसटी और 21 फीसदी एससी समपदाय की हिस्सेदारी है। यहां 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं और 35 सीटें SC के लिए आरक्षित  हैं, जो एक साथ मिलकर राज्य विधानसभा की कुल 230 सीटों के एक तिहाई से अधिक हैं। 2013 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने इन 47 आदिवासी सीटों में से 37 पर जीत हासिल की थी और लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखी थी। हालांकि 2018 में कांग्रेस ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी।