ये है कोलकाता शहर के बसने की कहानी

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‘द सिटी ऑफ जॉय’, कोलकाता ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की राजधानी के रूप में जाना जाता था। आज जो शहर भारत के चार महानगरों में से एक है, एक वक्त में यही भारत की धड़कन हुआ करता था। 24 अगस्त 1686 को कलकत्ता (अब कोलकाता) की स्थापना जॉब चार्नोक द्वारा की गई थी।

कैसे मिला कलकत्ता नाम?

कलकत्ता के नाम पर अक्सर 3 मत बनते रहे हैं। यह कलिकाता (बंगाली) का अंग्रेजी अनुवाद है। कुछ लोगों के मुताबिक, ‘कालिकता’ शब्द से इसका नाम लिया गया होगा, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘मां काली की भूमि ‘ होता है।

मगर ब्रिटेनिका के अनुसार, इसका नाम एक नहर के किनारे बसे बस्ती के स्थान से लिया गया था। तीसरे मत के लोग यह मानते है कि शहर का नाम चुना के बंगाली शब्द ‘काली ‘ और जले हुए खोल ‘काटा ‘ से लिया गया था।

कैसे हुई कलकत्ता की स्थापना?

24 अगस्त 1686 को कलकत्ता की स्थापना जॉब चार्नोक ने की थी। ब्रिटिश शासन के विस्तार के लिए इस शहर की स्थापना की गई थी। जॉब चार्नोक ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत एक प्लांट बनाने के लिए कंपनी के प्रतिनिधि के रूप में बंगाल के सुतानुती गांव में आए थे।

कलकत्ता को मूल रूप से बंगाल के तीन महत्वपूर्ण गांवों, गोविंदपुर, सुतानुती और कालीकट को मिलाकर बनाया गया था। 16वीं, 17वीं और 18वीं शताब्दी में यह तीनों गांव मुख्य व्यापारिक केंद्रों के रूप में उभर कर सामने आए थे।

20 जून 1756 को बंगाल के नवाब सिराज-उद -दौला ने कलकत्ता पर हमला किया और फोर्ट विलियम को अपने कब्जे में ले लिया। इस फोर्ट को पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने शासन के लिए बनाया था। 1757 में प्लासी के युद्ध में सिराज-उद -दौला को हराकर रॉबर्ट क्लाइव ने कलकत्ता पर शासन स्थापित कर दिया।

भारत की राजधानी से बंगाल की राजधानी तक का सफर

कलकत्ता शहर को 1772 में गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स ने ब्रिटिश शासित भारत की राजधानी के रूप में घोषित किया। इससे पहले मुगल काल में भारत की राजधानी मुर्शिदाबाद हुआ करती थी। 1774 में कलकत्ता में सुप्रीम कोर्ट को भी स्थापित किया गया।

मगर 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन दो भागों में कर दिया, पूर्वी बंगाल और पश्चिम बंगाल। इसके खिलाफ बहुत तेज राष्ट्रवादी विरोध किया गया। 1911 में दोनों भागों को दोबारा एक कर दिया गया और भारत की राजधानी को दिल्ली लाया गया।

1947 में भारत को आज़ादी मिलने के पश्चात बंगाल का दोबारा विभाजन हुआ। इस बार कलकत्ता पश्चिम बंगाल के क्षेत्र में आया और इसे बंगाल की राजधानी के रूप में घोषित किया गया। 15 अगस्त 1947 को डॉ. प्रफुल्ल चंद्र घोष ने पश्चिम बंगाल के सबसे पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया।

कलकत्ता को बनाया गया कोलकाता

भारत की बौद्धिक राजधानी के रूप में मशहूर कलकत्ता को जनवरी 2001 में आधिकारिक तौर से पुनः नामकरण करके कोलकाता बनाया गया।

24 अक्टूबर 1986 में शुरू हुई कोलकाता मेट्रो भारत की सबसे पहली मेट्रो सेवा थी। देश में सबसे पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सेवा, जैसे पब्लिक बस, ट्राम, टैक्सी, मेट्रो कोलकाता में ही शुरू की गई थी।

आज जिस सिटी ऑफ जॉय को हम जानते है, वह अपने अंदर लगभग 300 सालों के भारत के इतिहास को दफनाए हुए है।