1984 के सिख नरसंहार को “ग्रहण” वेब सीरीज़ ने बयान किया?

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हिंदी के नए लेखकों में सत्य व्यास एक जाना माना नाम हैं। हजारों की तादाद में युवक न सिर्फ सत्यव्यास को पढ़ते हैं बल्कि उनकी लेखनी के कायल भी हैं। अब सत्यव्यास के मशहूर उपन्यास “चौरासी” (Churasi) पर आधारित वेब सीरिज ने इसकी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिये हैं।

हालाँकि, जब इस वेब सीरिज का ट्रेलर रिलीज किया गया था। तब इसे लेकर काफी विवाद भी हो गया था। ट्रेलर देख कर ऐसा लग रहा था कि एक सिख व्यक्ति को ही बोकारो में हुए दंगो का जिम्मेदार दिखाया जा रहा है। इसी के कारण ग्रहण को बैन करने की माँग भी उठाई जा रही थी। पर हर बार की तरह इस कॉन्ट्रवर्सी से भी वेब सीरिज को फायदा ही हुआ है।

क्या है कहानी ग्रहण की..

ग्रहण (Grahan)की यह कहानी मूलतः सत्यव्यास (Satya vyas) के उपन्यास 84 से ली गई कहानी है। लेकिन , आप इसे दो ऐसी अलग कहानियां भी मान सकते हैं जिनके किरदार और हालात एक जैसे हैं। यह कहानी झारखंड में आगमी चुनाव में पक्ष-विपक्ष की खींच-तान और उनके कुटील राजनीतियों के इर्द-गिर्द घूमती है। इसी के चलते मौजूदा सरकार बोकारो 1984 के दंगों को लेकर जांच बिठाई जाती है।

जिसका मकसद विपक्ष के नेता चुन्नू सिंह के खिलाफ सबूत ढूंढना चाहती है। और इस जांच का इन्चार्ज एसपी अमृता सिंह को बनाया जाता है। जो गुरूसेवक सिंह उर्फ ऋषि रंजन की बेटी हैं। जिन्होंने खुद बोकारो में दंगों की अगुवाई की थी।
जब यह बात अमृता को पता चलती है, तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है।

गुरूसेवक सिंह उसे इतना बताता है,किसी मजबूरी के चलते उसने यह कदम उठाया था। लेकिन एक राज है जो वो अमृता से छुपा रहा है। दूसरी तरफ बैकग्राउंड में ऋषि और मनु उर्फ मनजीत छाबड़ा की प्रेम कहानी बिल्कुल समानंतर चलती है। कैसे मनु और ऋषि नजदीक आते हैं? कैसे उनकी प्रेम कहानी आगे बढ़ती है? कैसे ऋषि की अगुवाई में हो रहे दंगे के बावजूद मनु और उसका परिवार बच जाते हैं? और दोनों को विरह की आग में जलना पड़ता है।

यह कहानी केवल 1984 के दंगों की बर्बरताओं को बयां नहीं करती बल्कि राजनीतिक गलियारों में अपनी रोटियां सेकने के लिये किस तरह एक व्यवस्थित दंगा कराया जाता है, “ग्रहण” राजनीति के उसी घिनौने चेहरे को आपके सामने पेश करती है।

शानदार एक्टिंग और जानदार किरदार

रंजन चंदेल के डायरेक्शन में बनी इस वेब सीरिज में उपन्यास के सभी किरदारों को स्क्रीन पर लाकर जिंदा कर दिया है। हर एक किरदार जानदार है। और हर किसी ने शानदार एक्टिंग की है। ऋषि रंजन के किताबी किरदार को अंशुमान पुष्कर ने जिया है। वो उपन्यास के ऋषि की ही तरह मोहल्ले वालों के सामने कभी उंची आवाज में बात न करने वाला सीधा-साधा लड़का,जो मोहल्ले में सबकी मदद करता है।

मोहल्ले के बाहर एक दम दबंग,वहीं टीकम जोशी ने चून्नू सिंह के किरदार में आंखों की कुटिलता से क्या खूब निभाया है। वहीं चुलबुली मनु का किरदार वामिका गब्बी ने निभाया है। उनकी आंखों ने तो मानो कमाल ही कर दिया। सभी स्तिथियों को वामिका ने अपनी आंखों से बयां किया है। वहीं जोया हुसैन भी एसपी अमृता सिंह के किरदार को बेहतरीन निभाया है।

उनकी निजी जीवन और काम के प्रति उनकी असंतुष्टता उनके चेहरे पर साफ नजर आती है। इसके अलावा बाकी कास्ट ने भी अपने किरदारों के साथ न्याय किया और अपनी छाप दर्शकों के दिलों पर छोड़ने में कामयाब रहे हैं। कोई भी किरदार आपको निराश नहीं करता।

संगीत

ग्रहण का संगीत इसका काफी मजबूत पक्ष है,अमित त्रिवेदी ने हमेशा की तहर सभी गानों को स्तिथियों के अनुसार संगीत में पिरोया है। वहीं वरूण ग्रवोर ने इन गीतों के बोल लिखे हैं। दोनों की जोड़ी ने जो गाने तैयार किये हैं। उन्हें लूप (रिपीट मोड) में सुने बिना आप नहीं रह पायेंगे। “ओ जोगिया” में असीस कौर और शाहिद मलैया ने अपनी आवाज दी है,”चोरी-चोरी” गाने में आपको चंचलपन नजर आता है।

इसे अभिजीत श्रीवास्तव और रूपाली मोघे ने आवाज़ दी है। ‘तेरी परछाई’ को स्वानंद किरकिरे ने लिखा है। और संगीतकार डेनियल बी जॉर्ज ने पिता और बेटी के बीच एक मार्मिक रिश्ते को संगीत में उतार दिया है। इसे गीत को स्वानंद और मधुबंती बागची ने गाया है। किसी भी गाने को आप एक दूसरे से कम नहीं आंक सकते। सभी एक से बढ़ कर एक हैं।

कुल मिलाकर अगर आप ड्रामा और लवस्टोरी देखना पसंद करते हैं और आपने अभी तक यह वेब सीरिज नहीं देखी है। तो आपको यह सीरिज जल्द ही देख लेनी चाहिए। आप इसमें प्रेम, निराशा, आक्रोश, और सर्मपण जैसी भावनाओं का बेहरतरीन मिश्रण पायेंगे |

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