15 अगस्त से सत्ता संभालने के बाद से ही अफगानिस्तान में तालिबान अपनी छवि को बदलने की लगातार कोशिश करता रहा है, तालिबान का कहना है कि जिस तरह से 1996 से 2000 के बीच में तालिबान की हुकूमत के दौरान कई सख्त पाबंदियों के साथ कई तरह की क्रूर सजा का भी प्रावधान था। लेकिन इस तालिबानी राज में अब सरकार नरमी से शासन करेगी। और किसी पर कोई ज़ुल्म नहीं होगा।
लेकिन अब तालिबान की कथनी और करनी का फर्क साफ नज़र आने लगा है। जहां तालिबान महिलाओं की शिक्षा और उनके सम्मान को लेकर शरिया कानून के तहत उन्हें शरीयत की रोशनी में हक दिए जाने का वादा किया था। ये बात महज कहावत बनकर रह गई है। तालिबान ने इस बात को साबित कर दिया है कि तालिबान कितनी भी हवाई बातें कर ले, उसका स्वभाव नहीं बदल सकता।
बीबीसी की रिपोर्ट-
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में तालिबान ने फिर से अपना क्रूर चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। घोर प्रांत के फिरोज कोह में पूर्व पुलिस अधिकारी महिला बानू निगार जोकि 8 महीने की प्रेग्नेंट थीं, तालिबान ने बानू निगार की बेरहमी से पिटाई की, जिसके बाद उन्होंने अपने परिवार और बच्चों के सामने ही दम तोड़ दिया।
महिलाओं पर जारी हैं-
बीबीसी ने बानू निगार की हत्या की खबर पब्लिश की है। इसके अलावा निगार के बेटे ने भी लोकल मीडिया से बात करते हुए बताया कि तालिबानी यही नहीं रुके उन्होंने उसकी मां को गोली मारने के बाद उनके सर पर चाकू से भी वार किया। बेटे ने कहा कि तीन हथियारबंद तालिबानी तलाश करते हुए जबरन घर में घुसे गए। पहले उन्होंने तलाशी ली, फिर उन्होंने सभी परिवार के सदस्य को बांध दिया और उनकी मां को उन्हीं के सामने पीटा और फिर उन्हें गोली मार दी। तालिबान के कब्जे से पहले उनकी मां अफगानिस्तान में स्थानीय जेल में एक अधिकारी के पद पर कार्यरत थी।
तालिबान ने झाड़ा पल्ला-
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि तालिबान ने उसे नहीं मारा यह कोई आपसी दुश्मनी या रंजिश हो सकती है। लेकिन हम फिर भी इसकी जांच कर रहे हैं। तालिबान ने इस हत्याकांड से खुद को अलग करते हुए कहा कि पिछले प्रशासन के लिए हमने लोगों से माफी की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।
पिछले 2 दिन से अफगानिस्तान में महिलाओं का तालिबान के विरोध में प्रदर्शन जारी है। महिलाओं ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला परंतु तालिबानियों द्वारा उन्हें रोक दिया गया। तालिबान का अफगानिस्तान में कब्जे के बाद से महिलाओं में काफी रोष है जिसके चलते उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि उन्हें नौकरी और शिक्षा का अधिकार मिले। और उनकी बेटियों को भी स्कूल जाने का अधिकार मिले तभी वह बुर्खा पहनेंगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को ही तालिबान ने कहा था कि वह अपने पुराने शत्रुओं से बदला नहीं लेगा। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन्होंने पूर्व में नाटो और अमेरिका वालों के साथ मिलकर काम किया है। तालिबान ने उन्हें अपनी प्राथमिक सूची में शामिल किया है और इसके अलावा जो अफगान सैन्य बलों, पुलिस, खुफिया तंत्र में शेष पदों पर काम कर चुके हैं। तालिबानी लड़ाके उन्हें घर -घर जाकर ढूंढ रहे हैं।
इसका नतीजा हम शनिवार रात को 10:00 बजे बानू निगार की हत्या के बाद से देख सकते हैं कि तालिबान आज भी वही है। कुछ वीडियो भी वायरल हो रही है। जिनमें खून के छींटे और खून से लथ-पथ पुलिस अधिकारी की लाश दिखाई दे रही है। पुलिस अधिकारी के चेहरे को पूरी तरह से बिगाड़ा गया है। कबूल एयरपोर्ट के धमाके हो या महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार यह लगातार जारी है। बचपन से ही हिंसा के बीच पले तालिबानियों को हिंसा रोकने का कोई तरीका नहीं आता है।