भाजपा सरकार का अपना पूर्व निर्धारित बहुआयामी एजेंडा है जिसका लक्ष्य विपक्ष और जनता को मेनस्ट्रीम राजनीति से अलग रख कर भर्मित करते रहना है । जिसका प्रामाणिक उदहारण हम पिछले 3 तीन सालो से लगातार देखते आ रहे है अब चाहे वो राम मन्दिर का बहुमूल्य मामला हो जो 2019 के लिए पहले से ही पैंडिंग में रखा गया है , देश की अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए की जाने वाली नोटबंदी जिसमे खुद के पैसो के लिए ही जनता को अपनी जान गवानी पड़ी ।
आतंकवादी सन्गठनो की रीढ़ टूटने के अलावा देश की अर्थव्यवस्था की पूरी संरचना की रीढ़ मजबूत होने की जगह लचीली हो गयी है। जिसमे देश के अनेको लघु और कुटीर उद्योगों को बर्बाद तो किया ही साथ ही कुछ मध्यम वर्ग के भी कारोबारियों का भी धंदा चौपट कर रखा है । उत्तर प्रदेश में चुनाव जीतने के उपरान्त ही एक समुदाय की व्यवस्थित तौर तरीको में फेर बदल की कोशिशे कर विपक्ष और जनता का ध्यान वही केंद्रित कर देना ,जिससे उस सरकार की छवि कार्यकरने वाली सरकार के रूप में बने ।
अब सब कुछ सुलझ गया है एक से डेढ़ महीने उसी चीज का आतंक काट कर बखूबी जनता को भ्रमित किया । इससे निपटने के बाद गोरक्षा के सम्बन्ध में कई मामले सामन आये जिसमे बेमतलब सक की बिनाह पर कई लोगो को मौत के घाट उतारा गया और कइयों की हालत गंभीर रही ।अब वो चाहे अख़लाक़ हो , पहलु खान हो ,या झारखण्ड के मुस्लिम हो उन सब की समस्याओ का निवारण उन कथित गोरक्षको ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले अपने हाथो से खुद लिख कर इन्साफ कर दिया और अभी तक कोई बेईमानी उनके साथ नही हुई है ।
गौरी लंकेश की अचानक हत्या , नजीब का गायब होना और अभी तक ना मिलना , साल भी तक न मिलना एक सवालिया निशान केंद्र सरकार पर लगाती है ? उस पर नजीब की माँ के साथ दुर्व्यवहार करना उन्हें घसीटना जबरन पुलिस कक्ष में ले जाना । एक और नई पहल है। चुनाव आयोग की नीतियों का कोई मोल इस मामले में नही दिखता है और वो ये की मतगणना की तारीख पहले आ जाना और मतदान की तारिक दौरों के बाद सुनिश्चित करना ।
अब ताज पर कटाक्ष करते हुए नया बखेड़ा खड़ा करना । भाजपा नेता संगीत सोम के ताजमहल को लेकर किये गए विवादस्पद बयान से राजनीति और भी गर्माती जा रही है और वो साफ़ तौर पर ताजमहल के विपक्ष में जाती जाहिर हो रही है । ताज हमारे इतिहास का महत्वपूर्ण पक्ष है वो अपने आप में एक विश्व स्तर का अजूबा है जो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान सदियो से बनाये हुए है । पर वो सब इतिहास गलत है भाजपा के संगीत सोम के अनुसार क्योंकि उसकी गलत जानकारी अब तक पढ़ाई जा रही थी वो सब बेहुदा थी अब नया और आधुनिक ताजमहल का इतिहास संगीत सोम बताएँगे ।
ताज की अपनी अलग पहचान है वह एक प्रेम कथा का जीता जागता हुआ उदाहरण है , मोहब्बत की वास्तविकता का पक्ष है , उस पर तंज कस्ते हुए कहा जाता है कि ताज भारत माता के सपूतो के खून पसीनो का नतीजा है इससे कोई फर्क नही पड़ता है कि उसे किसने बनवाया और क्यों । मानते है की लोगो द्वारा ही बनाया गया है बनवाया जिसने है उसे आप नही भुला सकते है क्योंकि मुग़ल साम्राज्य का भारत की बहुमूल्य इमारतों की पीछे बहुत बड़ा हाथ है, हाथ ही नही कर्ता -धर्ता ही वही थे । अब चाहे वो ताज हो , लाल किला हो , आगरा का किला हो , बुलन्द दरवाजा हो , या अन्य और हो ।
मेरे अनुसार ताज का महत्व यदि वैश्विक स्तर का न होता , पर्यटको की आवा जाहि इतनी न होती तो आज ताज जिस हाल में उस हाल में कतई नही मिलता जिस तरह मोहम्मद गौरी के किले का हाल है वही हाल उसका भी होता । ताज अपनी बनावट और महत्ता के कारण अपने अस्तित्व में है । प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा की ताज एक अलग चीज है वह 7 आश्चर्यो में से एक है , और यह तो भारत के लिए सम्मान है । देश की शान है । इसको विवादों में मत लाइए इस पर राजनीति नही करिए ।
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