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अक्सर खामोश रहने वाले गुलजार की बोली को समझने की कोशिश करनी ही होगी
कहीं पढ़ा था कि गुलजार साहब टॉलस्टॉय के एक वाक्य से बेहद प्रभावित हैं। ‘ तब तक मत लिखो, जब तक उसे लिखे बिना रह नहीं...