muhabbat

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विचार – प्रेम की ज्योति को जलाने की ज़रूरत है

  • June 3, 2018

बदलते परिवेश में बहुत कुछ बदल चुका है संघर्ष के मायने ,सत्य का अर्थ सच्चाई ,अहिंसा सब कुछ अपने अपने वास्तविक अर्थो से परे हो गए...

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कविता – बस स्मृति हैं शेष

  • March 23, 2017

अति सुकोमल साँझ- सूर्यातप मधुर; सन्देश-चिरनूतन, विहगगण मुक्त: कोई भ्रांतिपूर्ण प्रकाश असहज भी, सहज भी, शांत अरु उद्भ्रांत… कोई आँख जिसको खोजती थी! पा सका न...