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कही रह ना जाना खामोश तुम
जैसे नदिया शांत होकर भी अपना जोहर दिखा जाती है,जैसे हवाओं की शांत लहरें हमे त्रीपत कर देती हैं ,क्या हम वैसे समाज मे जी रहे...