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"3 दिसंबर 1984" – जब भोपाल में हर ओर नज़र आ रही थीं लाशें
उस रात कई आँखें सोने के लिए बंद हुईं, पर हमेशा के लिए वो आँखें बंद हो गई थीं. किसी ने ख्वाबों में भी उस तबाही...