गौतम अडानी के “अडानी” बनने की कहानी

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अडानी के पोर्ट पर तीन हजार किलो हेरोइन पकड़ाए जाने पर पर मोदी भक्त अब अडानी भक्त की भूमिका में आ गए हैं वो यह कहकर अडानी की बचाव कर रहे हैं कि ऐसे तो नई दिल्ली का इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर तस्करी का माल पकड़ा जाए तो उसमे भी गाँधी परिवार का इन्वॉल्वमेंट बताना चाहिए।

एयरपोर्ट ओर अडानी के मुंद्रा पोर्ट को इस तरह से एक तराजू में नहीं रखा जा सकता, देश मे जितने भी एयरपोर्ट बनाए गए हैं वो सरकार की सम्पत्ति है लेकिन मुंद्रा पोर्ट पूरी तरह से निजी प्रॉपर्टी है दरअसल, लोग यह नही जानते कि अडानी को अडानी बनाने में इस मुंद्रा पोर्ट का सबसे बड़ा योगदान है

सन 2000 में गुजरात की बीजेपी सरकार ने कौड़ियों के भाव हजारों एकड़ जमीन अडानी के हवाले कर दी थी उसी जमीन पर यह पूरा मुंद्रा पोर्ट खड़ा हुआ है , इस पूरी जमीन को देने में पर्यावरण को ताक पर रख दिया गया था,

CAG की 2012-13 की रिपोर्ट में कहा गया था कि गुजरात अडानी पोर्ट लिमिटेड (GAPL) को गुजरात के मुंद्रा में देश के सबसे बड़े निजी बंदरगाह के निर्माण में सरकारी उपक्रम गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (GMB) की तरफ से अप्रत्याशित लाभ पहुंचाया गया।

28 सितंबर 2000 को, जीएमबी ने अडानी पोर्ट के साथ लीज़ एवं आधिपत्य समझौते (एलपीए) पर हस्ताक्षर किए, जिसके अंतर्गत मुंद्रा में 3,403.37 एकड़ भूमि के लिए 4.76 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। 23.80 लाख रुपये का वार्षिक किराया तय किया गया था।

क्या आप सोच सकते है कि गुजरात के तट पर तीन हजार चार सौ एकड़ जमीन 4.76 करोड़ रुपए में ओर 23.80 लाख वार्षिक किराए पर मिल सकती हैं ?

गुजरात विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अपनी रिपोर्ट में भारत के सबसे बड़े इस निजी पोर्ट संचालक-गुजरात अडानी पोर्ट लिमिटेड, जिसे अब अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड के रूप में जाना जाता है, इसका “अनुचित” पक्ष लेने को लेकर गुजरात सरकार को फटकार लगायी थी

परंजय गुहा जो कि स्वतंत्र पत्रकार रहे है उन्होंने इस घपले घोटाले पर एक विस्तृत रिपोर्ट लिखी थी जो आप कमेन्ट बॉक्स में पढ़ सकते हैं

2013 में पर्यावरणविद् सुनीता नारायण की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने कहा था कि मुंद्रा में अडानी द्वारा पर्यावरण मंजूरी संबंधी नियमों का अनुपालन नहीं किए जाने के कारण मैनग्रोव का बड़े पैमाने पर विनाश हुआ और प्रस्तावित नार्थ पोर्ट के पास स्थित संकरी झाडियों (क्रीक) का क्षय हुआ।

इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के मुंद्रा में अडाणी पोट्र्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (एपीसेज) को फौरन बंद करने का आदेश सुना दिया था। मगर मोदी सरकार के आने पर इस आदेश की धज्जियां उड़ा दी गयी

इतना ही नहीं 2018 में मोदी सरकार ने अडानी के मुंद्रा पोर्ट पर बिजनेस बढ़ाने के लिए देश के शिपिंग कानूनों में बदलाव तक कर दिया।

दरअसल जब भी दूसरे देश से कोई जहाज़ वस्तुएं लेकर आता है तो हर राज्य के पोर्ट पर सामान पहुँचाना उनके लिए मुमकिन नहीं होता। इसीलिए भारतीय कंपनियों के छोटे जहाज़ ये काम करते हैं। लेकिन मोदी सरकार ने 2018 में भारत के आंतरिक शिपिंग व्यवसाय में विदेशी कंपनियों को आने का मौका दिलवा दिया ताकि सामान सरकारी बंदरगाह से ज़्यादा निजी बंदरगाह पर उतरे, जिन विदेशी कम्पनियाँ के यह जहाज थे उनमें से कई के साथ अडानी समूह की पार्टनरशिप है। 2018 से पहले दूसरे देशों से आने वाले ज़्यादातर जहाज़ सरकारी जवाहरलाल नेहरु बंदरगाह पर आते थे लेकिन नियम बदलने के बाद वो सारे जहाज अडानी ग्रुप की मुंद्रा बंदरगाह पर जाने लगे।

तो यह है अडानी का फेवर करने की असली कहानी अब आप ही बताइए कि अगर तीन हजार किलो हेरोइन मुंद्रा पोर्ट पर अगर पकड़ाई है तो आप अडानी जी को कैसे क्लीन चिट दे सकते हैं ?

यह लेखक के निजी विचार हैं।

गिरीश मालवीय

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