किसान आंदोलन शुरुआती दौर में निश्चित रूप से बड़ी ही आशा और उम्मीद के साथ चल रही थी लेकिन अब कुछ सवाल जो अनुत्तरित है।
देश के सोशल मीडिया यूजरो ने खाद(डीएपी और एनपीके) के कीमत बढ़ाने पर खूब हंगामा किया वापस मोदी जी ने मास्टर स्ट्रोक का प्रयोग करते हुए खाद की कीमत को बढ़ाकर वापस सब्सिडी उद्योगपति मित्रों को देकर क्रेडिट का लंबा खेल खेलें। इस पूरे घटनाक्रम को गौर करें तो तमाम किसान नेता इस मुद्दे पर चुप रहे। खाद की कीमतों पर सब्सिडी ठीक वैसा ही है जैसे गैस में सब्सिडी तत्कालीन यूपीए सरकार ने पहले कंपनियों को दी वापस लोगों को देना शुरू किया फिर अब घटाते घटाते कितना अधिक दे रही है आपको पता है ही। इसी तरह किसान अब तैयार हो जाए आगामी कुछ वर्षों के अंदर में सब्सिडी वाले दर पर नगद उर्वरक खाद लेने के लिए।
अब सवाल यह है कि प्रतिदिन खाद की कीमतों को आसमान में पहुंचाने वाली राज्य और केंद्र सरकार एमएसपी दर पर किसानों के गेहूं को क्युं नहीं खरीद रही हैं या फिर बेचने का प्रयास क्यों नहीं कर रही है। बिहार सरकार करोड़ों रुपए पैक्स के माध्यम से गेहूं की खरीददारी पर खर्च कर रही हैं लेकिन जब आप पैक्स का भ्रमण करेंगे तो जवाब आएगा अभी हमें गेहूं खरीददारी का आदेश नहीं मिला है। किसान नेताओं का विपक्ष के नेताओं का इन मुद्दों पर मुंह नहीं खुलता है। कैसा किसान आंदोलन है यह, सिर्फ तीन किसान बिल में क्या रखा हुआ है कोई जवाब तो दें।माना कि तीनों किसान बिल रद्द ही हो गये फिर किसान 2400 प्रति बैग उर्वरक खाद खरीदकर 13-14 सौ क्विंटल गेंहू और हजार रुपए प्रति क्विंटल धान बेचकर किसान कैसे बचेंगे यह ही बता दीजिए।
एक कॉरपोरेट बिल से बचने के लिए आंदोलन कर रहे हैं दुसरी तरफ उसी कॉरपोरेट के चंगुल में सरकार की कृपा और किसान नेताओं की चुप्पी के वजह से फंस रहे हैं।
आज किसान आंदोलन के छः महीने पुरे हुए किसान युनियन ने घर पर काला झंडा लगाकर किसानों को विरोध करने के लिए कहा है लेकिन इन सबों के बीच वापस सवाल फिर से हैं उत्तर प्रदेश सरकार ऑक्सीजन सहित कोरोनावायरस के उपचार के लिए जरूरी सामानों के मदद की अपील पर लोगों पर मुकदमा दायर कर रही है मध्यप्रदेश, कर्नाटक और दिल्ली में आमलोगों की मदद पर कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। भाजपा शासित त्रिपुरा राज्य में शादी समारोह के आयोजन पर तमाम लोगों की पिटाई कर दी जाती है बिहार में जनसेवा कर रहे पप्पू यादव को गिरफ्तार करके पुराने मामले को खोल दिया जाता है। इन हालात में राकेश टिकैत बिना मास्क के सभा कर रहे हैं जगह जगह बे रोक-टोक भाजपा शासित राज्यों में खासकर घुम रहे हैं तो क्या समझा जाए।
भाजपा अपने विरोधियों को निपटाने में सबसे महारथ हासिल की हुई हैं लेकिन राकेश टिकैत को आखिरकार फुलटॉस गेंद क्युं दे रही हैं क्यों मिल रहा है इतना वॉक ऑवर टिकैत साहब को खासकर। क्या भारत के पश्चिमी इलाकों में जहां कांग्रेस मजबूत है वहां संघ भाजपा के लिए मनचाहा विपक्ष का निर्माण तो नहीं कर रहा। बहरहाल किसान आंदोलनकारियों को आंदोलन के छः महीने पुरे होने पर बधाई। साथ ही एक अनुरोध की आप सरकार को हराने के बजाय किसानों के जीताने का प्रयास करें। Lराजनीतिक बिल के इतर किसानों के वास्तविक समस्याओं के लिए भी लड़िए। जय हिन्द, जय जवान, जय किसान।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार तथा युथ एक्टिविस्ट हैं। बिहार तथा आसपास के सामाजिक-राजनैतिक मुद्दे पर बेबाकी से अपना विचार रखते हैं।)