नज़रिया – अगर सिद्धू गलत हैं तो अटल, आडवानी और मोदी कैसे सही हैं?

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नवजोत सिंह सिद्धू के पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से हल्की झप्पी डालने पर बवाल मचा है. लेकिन उससे पहले दोनों में क्या बात हुई, ये सिद्धू ने एक निजी चैनल को बताया. जनरल बाजवा ने सिद्धू से कहा कि मैं जनरल हूं लेकिन क्रिकेटर बनना चाहता था…..नवजोत हम शांति चाहते हैं……फिर पाक सेना प्रमुख ने कहा कि गुरु नानक देव जी की 500 जयंती पर करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब के लिए रास्ता खोल दिया जाएगा…जनरल ने ये भी कहा कि इससे भी अच्छा हम कुछ करने पर विचार करेंगे.
ये Jingoism ही है कि झप्पी को लेकर सब सिद्धू पर पिल पड़े. अगर सिद्धू ने गलत किया तो करगिल के सूत्रधार परवेज मुशर्रफ को आगरा बुलाकर खातिरदारी करना भी गलत था. फिर 2004 में मुशर्रफ से बात करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री का इस्लामाबाद जाना भी गलत था. आडवाणी का जिन्ना की मजार पर फूल चढ़ाना भी गलत था. प्रधानमंत्री मोदी का 25 दिसंबर 2015 को अचानक लाहौर एयरपोर्ट पहुंच कर नवाज शरीफ को गले लगाना भी गलत था.
पाकिस्तान को लेकर ढुलमुल नीति क्यों? अगर सख्त रवैया अपनाना ही है तो क्यो सिद्धू को पाकिस्तान जाने की अनुमति दी गई? क्यो शरीफ़ को दिल्ली शपथ ग्रहण के लिए बुलाया गया? क्यों इमरान खान के पाकिस्तान में चुनाव जीतने पर भारतीय उच्चायुक्त ने जाकर उन्हे भारतीय क्रिकेट टीम के हस्ताक्षरो वाला बल्ला भेंट किया?
भारत के नागरिकों को क्यों नहीं एक बार आधिकारिक तौर पर साफ कर दिया जाता कि पाकिस्तान के साथ हम किस तरह के रिश्ते रखेंगे? या यूंही राजनीतिक हित साधने के लिए सिद्धू जैसे प्रकरणों पर हायतौबा मचाई जाती रहेगी.

नोट :- यह लेख लेखक की फ़ेसबुक वाल से लिया गया है, हैडिंग हमारी टीम द्वारा संपादित की गई है
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