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शोभा डे – मॉडलिंग से बेस्ट सेलर लेखिका तक का सफ़र

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दोस्तों 7 जनवरी को भारत की मशहूर और काफी चर्चा में रहने वाली लेखिका शोभा डे का जन्मदिन है.तो चलिए आज आपको उनसे रूबरू कराते हैं.दक्षिण एशिया के प्रतिष्ठित साहित्यिक लेखकों में,शोभा डे के एक बड़ा नाम है.एक उपन्यासकार और एक स्तंभकार होने के नाते,उन्होंने दक्षिण एशियाई साहित्यों के लिए अत्यधिक योगदान दिया.
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उनका जन्म 7 जनवरी, 1947 को शोभा राजशाही के रूप में हुआ था.वे एक गौड़ सारस्वत ब्राह्मण परिवार में पली बढ़ी.शोभा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्वीन मैरी स्कूल मुंबई से पूरी की और बाद में सेंट जेवियर्स कॉलेज ऑफ मुंबई से मनोविज्ञान में डिग्री प्राप्त की. उनके कैरियर पहली पसंद मॉडलिंग थी,जिसका उन्होंने कुछ समय तक पीछा किया और खुद को साबित भी किया.
1970 में उन्होंने अपने करियर को पत्रकारिता में बदल दिया.शोभा ने स्टारडस्ट, सेलिब्रिटी और सोसाइटी जैसे प्रसिद्ध पत्रिकाओं के लिए अपना संपादकीय कौशल दिखाया. द टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए उनका कॉलम ‘पॉलिटिकल इन्करेक्ट’ ने बहुत प्रशंसा प्राप्त की.अपने कॉलम में,वह सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक गतिशीलता से लेकर विभिन्न मुद्दों पर टिप्पणी करती है.
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इसके बाद उन्होंने अपना ध्यान साहित्यिक लेखन के प्रति किया.1989 में उनका पहला उपन्यास “सोशलाईट इवनिंग” प्रकाशित हुआ. उपन्यास भारतीय समाज के अभिजात वर्ग की गतिशीलता की पड़ताल करता है. इस उपन्यास को अपनी विवादास्पद सामग्री के लिए अत्यधिक आलोचना की झेलनी पड़ी. इसके बावजूद उपन्यास ने व्यावसायिक सफलता हासिल की.
शोभा डे की साहित्यिक लेखन यात्रा ने आखिरकार उन्हें भारत के सबसे अधिक बिकने वाला लेखक बना दिया. उनके उपन्यास 17 से अधिक बार बेस्टसेलिंग रहे.उनके कार्यों का अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है. अपनी लेखनी में महिलाओं के लिये आवाज उठाना और उनका पक्ष रखना दोनों में उन्हें महारत हासिल है.
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भारतीय साहित्य में लेखन की उनकी शैली को ताजा समझा जाता है.लिखने की अत्यधिक व्यक्तिगत शैली जो कभी-कभी उत्तेजक और बोल्ड होती है. उनके लेखन के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य है कि उनका आविष्कार ‘हिंग्लिश’,हिंदी और अंग्रेजी का एक विलक्षण मिश्रण है.पाठकों को इस भाषा में निर्मित भारतीय साहित्य में एक ताज़ा बदलाव मिला.उनके कुछ अन्य बेहद लोकप्रिय उपन्यासों में द सेकंड थॉट्स, सॉल्ट्री डेज़, स्पीडपोस्ट और अनचार्ट लाइयांन्स शामिल हैं.
साहित्यिक लेखन के अलावा शोभा टेलीविजन के लिए पटकथा भी लिखती है. टेलीविज़न के माध्यम से उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई है.कई टेलीविजन वादों पर उनकी नियमित भागीदारी से पता चलता है कि उन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी एक सम्मानित स्थान  मिला है.

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