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गुरिल्ला युद्ध में माहिर थे, अलगाववादी संगठन "लिट्टे" के लड़ाके

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साल 1991 में पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में लिप्त रहे श्रीलंका के उग्रवादी संगठन लिट्टे (LTTE) पर 14 मई 1992 के दिन भारत ने प्रतिबंध लगाया था.भारत ने गैरकानूनी गतिविधियां संबंधी अधिनियम के तहत लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर प्रतिबंध लगाया था. संगठन पर यूरोपीय संघ, कनाडा और अमेरिका में भी प्रतिबंध लगा हुआ है.
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गौरतलब है कि श्रीलंका के विरूद्ध लिट्टे के संघर्ष के दौरान शांति बहाली के लिए श्रीलंका गयी भारतीय सेना को वहां बल प्रयोग करना पड़ा था. अंतत: नतीजा यह रहा कि लिट्टे ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में मानव बम के जरिए हत्या कर दी थी.
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क्या है लिट्टे(LTTE)

लिट्टे(LTTE) लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम या तमिल टाइगर्स श्रीलंका का एक अलगाववादी संगठन है. इसकी स्थापना 1975 में वेलुपिल्लई प्रभाकरण द्वारा हुई थी.इस संगठन का मुख्य उद्देश्य श्रीलंका में एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना था. इस संगठन को एक समय दुनिया के सबसे ताकतवर गुरिल्ला लड़ाको में गिना जाता था, जिसपर भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी (1991), श्रीलंकाई राष्ट्रपति प्रेमदासा रनसिंघे (1993) सहित कई लोगों को मारने का आरोप था.
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लिट्टे  द्वारा चला नागरिक युद्ध एशिया का सबसे लम्बा चलने वाला सशस्त्र संघर्ष था, ये सशस्त्र संघर्ष तब तक चलता रहा जब तक मई 2009 सैन्य, श्रीलंका सेना द्वारा हराया नहीं गया.लिट्टे का नेतृत्व वेलुजिल्लै प्रभाकरण ने प्रांरभ से लेकर अपनी मृत्यृ तक किया.
इस संघर्ष के दौरान, तमिल टाइगर्स बार-बार भयंकर विरोध के बाद उत्तर-पूर्वी श्रीलंका और श्रीलंकाई सेना के साथ नियंत्रण क्षेत्र पर अधिकारों को बदलते थे.वे शांति वार्ता द्वारा इस संघर्ष को समाप्त करना चाहते थे, इसलिए चार बार प्रयत्न किया पर असफल रहे. 2002 में शांति वार्ता के अंतिम दौर के शुरू में, उनके नियंत्रण में 2 15,000 वर्गमील क्षेत्र था.

महिंद्रा राजपक्षे


2006 में शांति प्रक्रिया के असफल होने के बाद श्रीलंकाई सैनिक ने टाईगर्स के खिलाफ एक बड़ा आक्रामक कार्य शुरू किया, लिट्टे को पराजित कर पूरे देश को अपने नियंत्रण में ले आए. टाईगर्स पर अपने विजय को श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे द्वारा 16 मई 2009 को घोषित किया गया था और लिट्टे ने मई 17, 2009 को हार स्वीकार किया.विद्रोही नेता प्रभाकरण बाद में सरकारी सेना द्वारा 19 मई को मारा गया था.
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