गुरुवार 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG की काउंसलिंग में OBC और EWS के आरक्षण को लेकर बड़ी बातें कही। इससे पहले 6 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और 7 जनवरी को फैसला देते हुए NEET-PG में OBC और EWS आरक्षण को बरकार रखने का निर्देश दिया था। मालूम हो कि मेडिकल में 50 % सीटें MCC (मेडिकल काउंसलिंग कमिटी) और बाकी 50 % सीटें AiQ द्वारा भरी जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद NEET-PG और UG में AIQ (ALL INDIA QUOTA) के तहत OBC को 27 % और EWS श्रेणी के छात्रों को 10% आरक्षण बरकरार रहेगा। आरक्षण के खिलाफ दायर की गई इस याचिका पर पहली सुनवाई 6 जनवरी 2022 को की गई थी। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने कहा था वर्तमान स्थिति (कोरोना महामारी ) को देखते हुए देश के हित में काउंसलिंग होना ज़रूरी है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस D. Y. चंद्रचूड़ और जस्टिस A. S. बोपन्ना की पीठ कर रही है।
कैसे दायर हुई याचिका :
29 जुलाई 2021 को केंद्र और चिकित्सा परामर्श समिति (medical counselling committee) की और से एक अधिसूचना जारी की गई थी। जिसमे अखिल भारतीय कोटा मेडिकल में 27 % सीटें OBC वर्ग को और 10 % सीटें EWS वर्ग के लिए सुरक्षित की गई थी। इसी सूचना को चुनौती देते हुए सामान्य वर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसके तहत NEET- PG की काउंसलिंग को स्थगित कर दिया गया था।
सामान्य वर्ग की NEET-PG में आरक्षण के खिलाफ दायर की गई याचिका की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने दलील दी थी, की प्रवेश परीक्षा की तारीख घोषित होने के बाद मानदंडों को बदला गया है। आरक्षण की सीमा 50 % है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि पीजी मेडिकल में नई आरक्षण प्रक्रिया ने सामान्य वर्ग की 2,500 सीटें कम कर दी है। एडवोकेट श्याम दिवान ने कहा की ,ये खेल के बीच नियम बदल देने जैसा है।
डॉक्टरों ने की थी हड़ताल :
इस बीच दिसम्बर 2021 में RDA (resident doctor association) ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हड़ताल शुरू कर दी थी। असोसिएशन का कहना था कि कोरोना के कारण डॉक्टरों पर वर्क लोड बढ़ रहा है। एक डॉक्टर को 20 से 23 घंटे काम करना पड़ रहा है। ऐसे में ज़रूरी है कि जल्द काउंसलिंग कराई जाए ताकि डॉक्टरों की संख्या बड़े और वर्क लोड कम हो।
27 दिसम्बर 2021 को हड़ताल के बीच डॉक्टरों और पुलिस कर्मियों के बीच झड़प हुई थी। जिसमे डॉक्टरों को खदेड़ा गया और उन पर लाठीचार्ज किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों पक्षो से लोगो के घायल होने की ख़बर थी। इसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया ने रेजिडेंट डॉक्टरों से बात की और उन्हें आश्वाशन दिया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है जिसके कारण हम प्रक्रिया आगे बढ़ने में असमर्थ हैं।
उन्होंने कहा की, सरकार अपनी रिपोर्ट तारीख से पहले अदालत में सौंप देगी। उम्मीद है कि काउंसलिंग जल्द शुरू होगी। इसके बाद कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों के बीच डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म की और कहा कि, अस्पतालो में काम पहले जैसा ही चलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने OBC और EWS आरक्षण को लेकर क्या कहा:
7 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिया था कि NEET-PG (national eligibility cum and entrance test- post graduate) में OBC वर्ग के लिए 27% और EWD (आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग) के लिए 10 % आरक्षण बरकरार रहेगा। जिसके बाद काउंसलिंग की प्रक्रिया बहाल करने के आदेश दे दिये गए। इसके बाद गुरुवार 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण को महत्वपूर्ण बताते हुए कई बड़ी बातें कहीं!
• सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा, all india quota में UG और PG में 27 % आरक्षण संवेधानिक रूप से मान्य होगा। आरक्षण और मेरिट एक दूसरे से विपरीत नहीं हैं और सामाजिक न्याय के लिए आरक्षण की आव्यशकता होती है।
• पीठ ने कहा, NEET में OBC को 27 फीसदी आरक्षण देना सही है। केंद्र को आरक्षण देने से पहले कोर्ट से अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं हैं।
• NEET, UG और PG प्रवेश के लिए all india quota में OBC आरक्षण मान्य है। संविधान के अनुच्छेद 15 (4) और 15 (5) में देश के हर व्यक्ति को मौलिक समानता हैं।
• प्रतियोगिता परीक्षा, व्यक्ति की उत्कृष्टता और क्षमता को नहीं दर्शाते, इससे कुछ वर्गों को मिलने वाली सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक लाभ को प्रतिबिंबित नहीं किया जा सकता।
• अच्छे नंबर एकमात्र योग्यता का मानदंड नहीं है। पहले दिए गए फैसलों में भी UG, PG में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई गई है।
• सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के सम्बंध में योग्यता को प्रासंगिक बनाने की आवयश्कता है। ऐसे में आरक्षण की महत्ता को नहीं नकारा जा सकता है।
• कोर्ट ने कहा कि हम अभी भी महामारी के बीच है ऐसे में डॉक्टरों की भर्ती में देरी महामारी को प्रबंधित करने की क्षमता को प्रभावित करेगी।
EWS कोटे की आय सीमा पर मार्च में होगी सुनवाई :
इस बीच EWS वर्ग को आरक्षण देने के लिए उनकी सालाना आय सीमा क्या होगी इस पर मार्च के तीसरे हफ़्ते में सुनवाई की जाएगी। इसमें भूषण पांडेय की रिपोर्ट पर सुनवाई होगी जिसमें EWS आरक्षण के लिए सालाना आय 8 लाख रुपए करने की बात की गई है। हालांकि, सामान्य श्रेणी के लोगो ने इसे 2.5 लाख रखने की मांग की है।
पांडेय समिति की रिपोर्ट को अगले साल से लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक दूसरे फैसले का हवाला देते हुए कहा, 1984 के प्रदीप जैन के फैसले को ये नहीं कहा जा सकता कि all india quota सीटों पर कोई आरक्षण सम्भव नहीं है। सामाजिक न्याय में आरक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।