नरगिस की शादी की खबर सुन कर खुद को सिगरेट से जलाने लगे थे राजकपूर

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राजकपूर और उनके परिवार का सिनेमा जगत में लंबा इतिहास रहा है, हिन्दी सिनेमा की बोलती फिल्मों से लेकर आज तक कपूर खानदान ने सिनेमा को नायब अदाकार और अदकाराएं दी हैं। जिनमें से राजकपूर वो एक्टर थे जिन्होंने पृथ्वीराज कपूर की विरासत को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। लेकिन साथ ही मीडिया में उनकी एक्टिंग के साथ पर्सनल लाइफ भी खूब चर्चा में रहती थी, राजपुर का निधन आज ही के दिन हो गया था। उनकी पुण्यतिथि पर हम राजकपूर साहब को याद कर रहें हैं आइए जानते हैं उनके खानदान की विरासत और अन्य किस्से।

राजकपूर और नरगिस के थे खूब चर्चे

राजकपूर अपने दिनों में शो मैन कहे जाते थे, रील लाइफ में शो मैन की हिरोइन के तौर पर नरगिस को बहुत पसंद किया जाता था। रील लाइफ से रियल लाइफ में भी नरगिस और राजकपूर एक दूसरे के इतने करीब आ गए थे कि ये बात चाह कर भी किसी से छिप नहीं सकी थी। 1948 में राज कपूर और नरगिस की पहली मुलाकात हुई तो नरगिस केवल 20 साल की थीं और इस समय तक वो 8 फिल्मों में काम बतौर हीरोइन काम कर चुकी थीं। राज कपूर अपनी फिल्म के लिए एक स्टूडियो की तलाश में थे। उसी दौरान राजकपूर को पता चला कि नरगिस की मां जद्दनबाई रोमियो एंड जूलिएट की शूटिंग कर रही है। वो इस स्टूडियो की सुविधाओं के बारे में पूछताछ करने के लिए नरगिस के घर पहुंच गए। जब दरवाजा खोला गया तो सामने नरगिस खड़ी थी और उनके बालों में बेसन लग गया , फिर क्या था, इसी अदा पर राजकपूर फिदा हो गए ।

दरअसल जब जब राजकपूर नरगिस के घर गए, तो उस समय नरगिस पकौड़े तल रहीं थीं और दरवाजे पर राजकपूर के आते ही नरगिस बेख़्याली में रसोई से बाहर की और भागीं और उनके बालों पर बेसन लग गया। राजकपूर इस वाक्या से इतने प्रभावित हुए कि जब उन्होंने बॉबी फिल्म बनाई तो इस पूरी घटना को परदे पर उतार दिया।

नरगिस की शादी की खबर सुन कर खुद को सिगरेट से जलाने लगे थे राजकपूर

राजकपूर और नरगिस का रिश्ता पूरे 9 साल चला लेकिन इस बीच नरगिस ये समझ चुकीं थीं कि राज कपूर न तो अपने पिता से बगावत कर सकते थे और न ही अपनी बीवी से अपना रिश्ता तोड़ सकते थे। जब नरगिस ने सुनील दत्त से शादी का फैसला किया, जिसके बाद ये खबर जब राजकपूर तक पहुंची तो इस बात पर यकीन नहीं हुआ। उन्हें लग रहा था कि शायद वो कोई सपना देख रहे हैं इसलिए वो अपने आप को सिगरेट के बट से खुद को जला रहे थे। नरगिस की जीवनी लिखने वाले टीजेएस जॉर्ज लिखते हैं कि नरगिस की शादी के बाद ही राजकपूर ने बेइंतहा शराब पीनी शुरू कर दी थी।

कपूर खानदान की विरासत

कपूर खानदान फिल्म जगत में कई पीढ़ियों से काम कर रहा है। इसकी शुरुआत पृथ्वीराज कपूर से हुई, पृथ्वीराज कपूर ने लंबे समय तक थियेटर किया और आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज कपूर खानदान जिस मुकाम पर है उसी कपूर खानदान के पृथ्वीराज कपूर अपना शो खत्म होने के बाद थियेटर के सामने झोली फैला कर खड़े हो जाते थे ताकि शो के दर्शक जब बाहर निकले तो उनकी झोली में कुछ पैसे डाल सकें। इसके बाद मुगले आजम से अपने अदाकारी का लोहा मनवाने वालें पृथ्वीराज कपूर के तीनों बेटों राजकपूर, शशि कपूर, शम्मी कपूर ने भी हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई। जिनमें से राजकपूर को सबसे कम उम्र में शो मैन के खिताब से नवाजा गया।

राजकपूर के छोटे भाई शशि कपूर ने फिल्म आवारा में उनके बचपन का रोल अदा किया था। शशि कपूर ने आगे जाकर, दीवार, जैसी कई सुपरहिट फिल्में की। शशि कपूर ने एक ब्रिटिश अभिनेत्री जेनिफर केंडिल से शादी की थी। शशि के बच्चे विदेशी शक्ल होने की वजह से हिंदी फिल्मों में नहीं चल सके।शम्मी कपूर के बेटे आदित्य राज ने 53 साल की उम्र में फिल्म चेज से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन यह फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही। अगर राज कपूर के बच्चों की बात करें तो ऊनी बड़े बेटे रणधीर कपूर ने लंबे समय तक अपना फिल्मी करियर बनाएं रखा, साथ ही रणधीर कपूर ने शादी भी मशहूर हिरोइन बबिता से की। इन दोनो की दो बेटियां थी, करीना और करिश्मा। दोनों अपने वक्त की बेहतरीन खूबसूरत अदकाराओं में शामिल हुईं।
इसके अलावा राजकपूर के छोटे बेटे ऋषि कपूर एक रोमांटिक हीरो बनकर उभरे। ऋषि कपूर की शादी नीतू सिंह से हुई जो अमर अखबार एंथनी और कई फिल्मों में उनकी हिरोइन भी थी। इनकी बेटी रिद्धिमा कपूर तो फिल्मी दुनिया से दूर रहीं लेकिन, बेटा रणबीर कपूर अपनी एक्टिंग से आज एक सुपरस्टार और लाखों दिलों की धड़कन बन चुका है। राजकपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1983 में आई फिल्म “एक जान हैं हम” से की। लेकिन राजीव का कैरियर रणधीर और ऋषि की तरह सफल नहीं रहा, उन्होंने आरती सभरवाल से शादी की, राजीव और आरती सभरवाल की शादी ज्यादा दिन चल ना सकी और बाकी की पूरी जिंदगी राजीव ने अकेले बिताई। तीन बेटों के अलावा राजकपूर और उनकी पत्नी कृष्णा कपूर की दो बेटियां और थीं जिनका नाम रीमा कपूर और रितु नंद है दोनो ही फिल्मी दुनिया से कोसों दूर रहीं ।

हिंदी फिल्म जगत में राजकपूर का योगदान

राजकपूर ने भारतीय फिल्म में अपनी बेहतरीन फिल्मों से सबका मनोरंजन किया। उन्होंने सिनेमा को न सिर्फ बरसात, अंदाज, जान-पहचान, आवारा, अनहोनी, आशियाना, अंबर, आह, धुन, पापी, श्री 420, जागते रहो और चोरी चोरी, कल आज कल जैसी और भी कई नायब फिल्में दी बल्कि आरके स्टूडियो भी राजकपूर की ही देन था।

इसके अलावा अभिनय की दुनिया से अलग होकर उन्होंने ने बॉबी, सत्यम शिवम सुंदरम, प्रेम रोग, राम तेरी गंगा मैली जैसी खूबसूरत फिल्मों का निर्माण किया।

अवार्ड एंड अचिवमेंट्स

वर्ष 1971 में राजकपूर पदमभूषण पुरस्कार और वर्ष 1987 में फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बतौर अभिनेता उन्हें दो बार, जबकि बतौर निर्देशक उन्हें चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित हुए। वर्ष 1985 में राजकपूर निर्देशित अंतिम फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ प्रदर्शित हुई। इसके बाद राजकपूर अपने महात्वाकांक्षी फिल्म ‘हिना’ के निर्माण में व्यस्त हो गए, लेकिन उनका सपना साकार नहीं हुआ और 2 जून, 1988 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।