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रूस के आम चुनावों में ब्लादिमीर पुतिन की बड़ी जीत

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार को हुए चुनावों में एक बार फिर बड़ी जीत हासिल की है. रूस के चुनाव आयोग के मुताबिक बीते 18 सालों से राजनीति में अपना दबदबा रखने वाले पुतिन को 75.9 प्रतिशत वोट मिले है. जीत के बाद पुतिन ने अपने प्रशंसकों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें इस जीत का भरोसा था क्योंकि उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में भी विश्वास मत हासिल कर लिया था.
यूक्रेन से अलग कर क्रीमिया को अपने नियंत्रण में करने के बाद रूस में पहली बार चुनाव हुए हैं. हालांकि, यूक्रेन में रह रहे रूसी नागरिकों को मतदान करने की अनुमति नहीं दी गई.

पुतिन को पिछली बार से भी ज्यादा मिले वोट

गौरतलब है कि पुतिन को 2012 में 4.56 करोड़ (63.6 फीसदी) वोट मिले थे.2000 में 3.97 करोड़ (52.9 फीसदी) वोट मिले थे जबकि 2004 में 4.96 करोड़ (7.131 फीसदी) लोगों ने उनका समर्थन किया था.पुतिन ने चुनाव प्रचार के दौरान स्वयंसेवकों के अथक परिश्रम के लिए उनका आभार जताया.
पुतिन ने रविवार रात कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमारी टीम बहुत बड़ी है.मेरा मतलब उनसे है जिन्होंने आज वोट किया और जिनकी वजह से बेहतरीन नतीजे निकलकर सामने आए हैं.’’
65 वर्षीय पुतिन अब अगले 6 सालों तक रूस के राष्ट्रपति पद की बागडोर संभालेंगे.वह जोसेफ स्टालिन के बाद रूस में सबसे अधिक समय तक सत्ता संभालने वाले दूसरे व्यक्ति बन जाएंगे.रूस में पहले राष्ट्रपति का कार्यकाल चार साल का होता था, लेकिन 2012 में इसे बदलकर छह साल का कर दिया गया.
उल्लेखनीय रूस में कोई भी लगातार दो बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता है.पुतिन भी तीन बार देश के राष्ट्रपति रहे हैं. लेकिन उन्होंने 2008 का चुनाव नहीं लड़ा था. एक चुनाव छोड़ने के बाद वह फिर राष्ट्रपति बने.

एकतरफा रहा चुनाव

यह चुनाव शुरुआत से ही एकतरफा  माना जा रहा था क्योंकि कोई भी कद्दावर नेता पुतिन के खिलाफ नहीं लड़ रहा.पुतिन के खिलाफ 7 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा.लेकिन उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी अलेक्सेई नवलनी को कानूनी कारणों को लेकर रोक दिया गया है.इस तरह चुनाव नतीजों को लेकर थोड़ा भी संदेह नहीं है.
सीईसी के मुताबिक, अभी तक की मतगणना में कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार पावेल ग्रुडिनिन 11.87 फीसदी वोटों के साथ दूसरे स्थान पर हैं  उनके बाद लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ रशिया के प्रमुख व्लादिमीर झिरिनोवस्काइ 5.73 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं.
वहीं, सिविल इनिशिएटिव पार्टी के उम्मीदवार सेनिया सोबचाक को 1.64 फीसदी वोट मिले हैं। याबलोको पार्टी के सह संस्थापक ग्रिगोरी यावलिनस्की को महज 1.02 फीसदी वोट मिले हैं. वहीं उद्यमियों के अधिकारों के आयुक्त बोरिस तितोव को 0.75 फीसदी, कम्युनिस्ट्स ऑफ रशिया पार्टी के अध्यक्ष मैक्सिम सुरेकिन को 0.68 फीसदी और ऑल पीपुल्स यूनियन पार्टी के सर्गेइ बाबुरिन को 0.64 फीसदी वोट मिले हैं.

ऐसे होता है रूस में राष्ट्रपति चुनाव

रूस में प्रत्यक्ष मतदान के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव होता है. मतदान दो चरणों में होता है.पहले चरण में किसी उम्मीदवार को बहुमत हासिल नहीं होने पर दूसरे चरण का मतदान होता है. दूसरे चरण के मतदान में पहले चरण के दो शीर्ष उम्मीदवार मैदान में उतरते हैं.पहले चरण के मतदान के बाद दूसरे चरण की आवश्यकता हुई तो अगले महीने चुनाव करवाया जा सकता है.
रूस में राष्ट्रपति के पास वास्तविक शक्तियां होती हैं और  वह देश का सबसे ताकतवर व्यक्ति होता है. इसके बाद दूसरे स्थान पर प्रधानमंत्री और तीसरे स्थान पर फेडरल काउंसिल (ऊपरी सदन) के अध्यक्ष होते हैं.भारत की तरह ही रूस में संसद की कार्यवाही होती है. वहां फेडरल असेंबली होती है जिसमें दो सदन फेडरल काउंसिल और स्टेट ड्यूमा होता है.

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