इलाहबाद सनातनी सभ्यता से उभरा नाम है। इसको प्रयागराज बना कर, योगी सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं:
- प्रयाग प्रचीन है। इसका मतलब कुर्बानी से जुड़ा है। यानी ये एक यज्ञस्थल था। वेद-पुराण मे भी प्रयाग किसी शहर नही, बल्कि यज्ञस्थल का नाम है।
- प्रचीन पुस्तकों मे प्रयाग को त्रिवेणी भी कहा गया है। त्रिवेणी, यानी तीन नदियों–गंगा-यमुना-सरस्वती–के मिलन का स्थल, एक भौगोलिक स्तिथि का वर्णन है। त्रिवेणी नाम का कभी कोई शहर नही था।
- उत्तर प्रदेश मे आज के कई जिले प्रचीन हैं। और उनके नाम के राज्य 5th century BC से हैं। काशी, कोशल नाम के राज्य थे। पर प्रयाग नाम का कोई राज्य या kingdom नही था। आज के इलाहबाद छेत्र मे 5th century BC के राज्य या kingdom का नाम, कौशाम्भी था, ना कि प्रयाग। कौशाम्भी अब एक अलग जिले का नाम है।
- मौर्य काल मे प्रयाग नाम के किसी शहर का नाम नही मिलता। गुप्त काल मे भी प्रयाग एक administrative डिवीज़न था, पाटिलीपुत्र या कन्नौज की तरह शहर नही था।
- अकबर ने एक नये शहर की स्थापना की जिसका नाम ‘इलाहाबस’ रखा गया। ‘इलाह’ भगवान का नाम होता है–अल्लाह का नही। आईन-ए-अकबरी मे ‘इलाहबाद’ का नाम आता है, ‘अल्लाहबाद’ का नही। ये कहना की इलाहबाद का नाम अल्लाहबाद है, सरासर झूठ और शरारतपूर्ण है। इला, मनु की बेटी का भी नाम था।
- अकबर ने भारत की सुरक्षा के लिये, संगम पर एक किले और शहर के महत्व को समझा। अकबर ने जो शहर बसाया, उसके पहले, प्रयाग या अन्य किसी नाम से, कोई शहर था ही नही।
- एक नज़र से देखा जाये तो इलाहबाद एक सनातनी हिन्दू नाम है–अकबर खुद सनातनी लाईन पर चल रहा था।
- इलाहबाद सिर्फ एक शहर का नाम नही है। यह एक अदा, अंदाज, कल्चर, एटीटुईड (attitude), way of life है।
- प्रयाग इलाहबाद का हिस्सा है–इलाहबाद नही है। पूरे भारत मे ‘बकैती’, ‘कस गुरु’ जैसी भाषा आपको बस इलाहबाद मे मिलेगी। ‘इलाहाबादी’ होना बिल्कुल वैसी ही है जैसे भोपाली, बनारसी, लखनवी या मुंबईकर होना।