पेंच फाईल्स ( पार्ट 1) : सिवनी के कई गांव अब भी कर रहे हैं नहर का इंतेज़ार

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किसान कहीं का भी हो, उसकी मुख्य समस्या पानी की उपलब्धता का न होना ही होती है। ज़मीन किसान के लिए एक आवश्यक है तो वहीं सिंचित ज़मीन किसी वरदान से कम नही। सिवनी और छिंदवाड़ा ज़िले के किसानों के लिए पेंच परियोजना ऐसा ही एक वरदान बनकर आई थी। जब यह परियोजना आई थी, तब से अब तक सिवनी ज़िले के कई हिस्सों में इसका अब भी इंतेज़ार है।

जलसंसाधन विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा 19 सितम्बर 2003 को प्रकाशित पेंच व्यपवर्तन परियोजना की परिचय पुस्तिका के द्वारा उपलब्ध जानकारी का बिंदूवार विवरण यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।

इतिहास – पेंच परियोजना का पहला सर्वेक्षण मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 1971 में किया गया था। 1985 में केंद्रीय जल आयोग (CWC) एवं वर्ष 1988 में योजना आयोग द्वारा अनुशंसित किया गया। परन्तु किन्हीं कारणों से बांध का निर्माण 2011 में शुरू होकर 2013 में पूरा हो गया। इसमें छिंदवाड़ा जिला की नहरों का निर्माण 2017 तक पूर्ण हो गया लेकिन सिवनी जिला की नहरें अपूर्ण रह गईं जिसे आगामी बिंदु में विस्तृत रूप से वर्णित किया जाएगा।

कृषि में लाभ

इस परियोजना के अंतर्गत सिवनी के 134 एवं छिन्दवाड़ा के 108 ग्रामों कुल 242 ग्रामों में सिंचाई होगी। इस परियोजना के अंतर्गत सिवनी में 44439 हेक्टेयर एवं छिंदवाड़ा 44939 हेक्टेयर कुल 89378 हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई होगी। सिवनी जिला में इस परियोजना से 40% से अधिक ग्राम जोकि आदिवासी समाज बाहुल्य है उन्हें लाभ होगा।

बांध : कुल लंबाई 6330 मीटर (लगभग सात किलोमीटर),
अधिकतम ऊंचाई 41 मीटर, पूर्ण जलाशय क्षमता 577 मिलियन घन मीटर, उपयोगी जलाशय क्षमता 407 मिलियन घन मीटर,
पूर्ण जलस्तर 625.75 मीटर और न्यूनतम जलस्तर 613.45 मीटर है। (इस प्रकार बांध में लगभग 12 मीटर सिंचाई एवं अन्य उपयोगी पानी का भराव रहता है।

लागत: 2003 के अनुसार प्रथम चरण में 313.54 करोड़ (शीर्ष कार्य जैसे भवन एवं निर्माण के लिए) एवं द्वतीय चरण में 229.66 करोड़ (नहर निर्माण कार्य के लिए) कुल 543.20 करोड़ रुपया योजना में लागत थी। 2020-21 तक इस परियोजना कि लागत अन्य स्रोतों के अनुसार लगभग 2500 करोड़ हो गई थी। जिसमें से लगभग 1900 करोड़ का व्यय किया गया है। जिससे बांध का निर्माण एवं छिंदवाड़ा जिला की नहरें एवं कुछ सिवनी जिला की नहरों का निर्माण हुआ है।

नहरों का विवरण: 2003 कि परियोजना के अनुसार दाईं मुख्य नहर (RBC) जो मुख्य रूप से छिन्दवाड़ा जिला में सिंचाई करेगी जिसकी लंबाई 28.5 किलोमीटर है। इस शाखा के निर्माण के अंतर्गत 19 रेगुलेटर, 54 क्रास ड्रेनेज, 7 पुल, एवं 4 स्केप बनेंगे।
बाईं मुख्य नहर (LBC) जो मुख्य रूप से सिवनी और छिंदवाड़ा को सिंचित करेगी। इसकी कुल लंबाई 20.91 किलोमीटर है। इस शाखा के निर्माण के अंतर्गत 10 रेगुलेटर, 12 क्रॉस ड्रेनेज, 8 पुल और 3 स्केप बनेंगे।

बाईं मुख्य नहर 2 शाखाओं में विभाजित हो जाती है जिन्हे हम सिवनी और बखारी शाखा कहते हैं।

अ: सिवनी नहर शाखा(SBC) इससे मुखतः सिवनी जिला में सिंचाई होगी। इसकी कुल लंबाई 58 किलोमीटर होगी इस शाखा के निर्माण के अंतर्गत 12 रेगुलेटर 4 फॉल, 16 क्रॉस ड्रेनेज, 16 पुल और 2 स्केप बनेंगे।

ब: बख़ारी नहर शाखा (BBC) इसकी कुल लंबाई 38 किलोमीटर होगी। इस शाखा के निर्माण के अंतर्गत 12 रेगुलेटर, 2 फॉल, 16 क्रॉस ड्रेनेज, 9 पुल, 2 स्केप बनेंगे।

सिवनी जिला की नहरों का अपूर्ण कार्य

सिवनी जिला में 2003 कि योजना के अनुसार रूप से सिवनी नहर शाखा में 101 ग्रामों की जमीन को सिंचित करना था परन्तु 2017 के पश्चात सिंचाई विभाग के अंतर्गत SBC कि लंबाई 47 किलोमीटर एवं सिंचाई का रकबा 27303 हैक्टेयर कर दिया गया SBC को 4 डिस्ट्रीब्यूटरी या उपशाखा में विभाजित किया गया है जिन्हे डी1, डी2, डी3, डी4 कहा जाता है।

वर्तमान जानकारी के अनुसार डी1 शाखा की लंबाई 4.32 किलोमीटर एवं सिंचाई का रकबा 3702 हेक्टेयर है। D2 कि लंबाई 10.5 किलोमीटर और रकबा 4070 हेक्टेयर होना था। D3 कि लंबाई 29.7 किलोमीटर और सिंचाई रकबा 4165 हेक्टेयर होना था। D4 में 2 भाग है एक की लंबाई 37 किलोमीटर है और रकबा 5189 हैक्टेयर है।

दूसरा भाग की लंबाई 19.65 किलोमीटर और सिंचाई का रकबा 5000 हैक्टेयर होना था। D1 में सिवनी शहर के पश्चिम दिशा एवं दक्षिण दिशा के ग्राम थे D2 एवं D3 में उत्तर दिशा के एवं D4 में उत्तर पूर्व दिशा के ग्राम सिंचित होना था।

परन्तु वर्तमान (सिंचाई विभाग के अनुसार 27/12/2021) स्थिति में SBC से लेकर D1 तक केवल 6500 हैक्टेयर रकबे में सिंचाई हो रही है। माइनरों का कार्य अधूरा है। जैसे पीपरडाही और जैतपुर आदि ग्रामों में मुख्य नहर से माईनर नहीं दिया गया है जिससे इन ग्रामों में कुल रकबे का मात्र 20-30% रकबे ही सिंचित हो पाता है।

जल निकासी एस्केप (नदी आदि स्रोत में बह जाना) से हो रही है। D2 ,D3 में 7700 हैक्टेयर रकबे में सिंचाई हो रही है। अधिकतर मुख्य नहर में लाइनिंग आदि का काम अधूरा है लोनिया ढेंकी तिघरा ग्राम में नहर सर्पीलाकार में बनी है। जो नक्शे के अनुरूप नहीं है। D4 में ना तो कोई निर्माण कार्य हुआ है ना तो कोई सिंचाई हो रही है। SBC में लगभग विभाग के अनुसार 47 माईनर बननी थी जिनमें अधिकतर का निर्माण नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त रेगुलेटर, फॉल, क्रॉस डेनेज, पुल, आदि का कार्य भी अधूरा है। कुल लक्ष्य का 27303 हेक्टेयर के बजाय केवल 14200 हैक्टेयर में सिंचाई हो रही है जिसमें से भी अधिकतर एस्केप के रूप में वह जाता है।

जिम्मेदार विभाग

19 सितंबर 2003 को प्रकाशित पेंच व्यपवर्तन परियोजना की पुस्तिका के अनुसार जलसंसाधन विभाग मध्यप्रदेश शासन इस परियोजना का सर्वोच्च रूप से एवं मुख्य अभियंता बैनगंगा कछार जल संसाधन विभाग सिवनी मध्यप्रदेश क्षेत्रीय रूप से जवाबदेह एवं जिम्मेदार होंगे।

वर्तमान पेंच परियोजना के अंतर्गत सिवनी छिंदवाड़ा जिला में कुल 7 उपसंभाग हैं इसमें 1, 2 , 3 , 4 जिला छिंदवाड़ा के अंतर्गत आते हैं। 5,6,7 जिला सिवनी के अंतर्गत आते हैं। वर्तमान सिवनी के अंतर्गत आने वाले उपसंभाग किन्हीं कारणों से छिंदवाड़ा कार्यालय से संचालित किए जा रहे हैं जबकि इससे पूर्व यह विभाग सिवनी कार्यालय से संचालित हो रहा था। इस विभाग के छिन्दवाड़ा जाने से सिवनी के किसानों को दिक्कतों के साथ विभाग को संचालन एवं निर्माण कार्य में दिक्कतें आ रही है।

प्रत्येक उपसंभाग का प्रभार एक SDO (सहायक यंत्री) के पास होता है, एवं माइनरों का प्रभार सब इंजीनियर (उपयंत्री) के पास होता है। ज्ञात हो कि सिवनी मुख्य नहर के तीन उपसंभाग और लगभग 47 माईनर हैं इन तीन उपसंभागों का प्रमुख जवाबदार अधिकारी एक कार्यपालन यंत्री (EE) जबकि वर्तमान में सिवनी मुख्य शाखा का मात्र एक SDO है, इसके अलावा अन्य कोई भी अधिकारी सिवनी में पदस्थ नहीं है। या तो पद खाली हैं या छिंदवाड़ा स्थानांतरित हो चुके हैं।

अर्थव्यवस्था

भारत में आजादी के बाद किसी क्षेत्र के विकास स्तंभ मुख्य रूप से दो प्रकार के है, पहला उद्योग और दूसरा नहर। चूंकि सिवनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला जिला है। यहां की 80% जनसंख्या प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर जुड़ी हुई है। किसान के पास ज्यादा पैसा आता है तो उससे सिवनी का विकास संभव है। लेकिन किसान के पास जब तक खेतों के लिए सिंचाई की सुविधा हेतु पर्याप्त पानी नहीं होगा तो किसान भी लाभप्रद खेती नहीं कर सकता, बिना सिंचाई की खेती मतलब किसान को शुद्ध घाटा

वर्तमान परिदृश्य से समझने कि कोशिश करें तो समझ में आता है कि नहर ना आने और सिंचाई ना होने से किसान को लगभग 30 हजार रूपया प्रति हेक्टेयर का सालाना नुकसान होता है। सिवनी जिला के हिस्से में पेंच का पानी 45 हज़ार हेक्टेयर के लिए मिलना था। जो आज से सात साल पहले मिल जाना चाहिए था। लेकिन नहर ना बनने से प्रत्येक साल का घाटा 135 करोड़ रुपया का हुआ है। मतलब इन सात सालों में 950 करोड़ का घाटा सिवनी के किसानों और सिवनी जिला से हुआ है।

नहर बनी भी तो आज तक सिवनी की 45 हजार में से सिर्फ 14 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित हो पाई है। मतलब लगभग 30 हजार हेक्टेयर जमीन अभी भी असिंचित है इससे सिवनी के किसानों और समस्त सिवनी जिला का लगभग 90 करोड़ रुपया सालाना घाटा हो रहा है। यह घाटा किसान का प्रत्यक्ष रूप से तो है ही, साथ में यहां के समस्त दुकानदार, व्यापारी, कारीगर और पूरे सिवनी जिला का घाटा है।

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