सुशांत सिंह राजपूत ( Sushant Singh Rajpoot) की मौत को पूरा एक साल हो चुका है। बीते साल 14 जून को बॉलीवुड के अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का शव उनके घर में मिली थी। दरअसल, सुशांत की लाश उनके फ्लैट में पंखे से लटकी हुई मिली थी। जिसके बाद यह दावा किया जा रहा था कि सुशांत ने आत्महत्या की है। लेकिन जैसे-जैसे इस मामले ने मीडिया में तूल पकड़ी, इस केस में रोज नए पहलू और थ्योरी सामने आने लगी। कभी कहा गया कि इंडस्ट्री के कुछ नामी लोगों ने सुनियोजित तरीके से सुशांत का बॉयकॉट किया, जिससे वह तनाव में रहने लगे और तंग आकर आत्महत्या कर ली। इसके अलावा उनकी मौत को उनकी पूर्व मैनेजर की मौत से भी जोड़ा गया।
इस पूरे मामले के तहत मीडिया का जो असंवेदनशील चेहरा लोगों ने देखा, वो शायद कभी नहीं भुलाया जा सकता। मीडिया ने टीआरपी बटोरने के लिए जिस तरह सुशांत की मौत का इस्तेमाल किया, वो अपने आप में बेहद शर्मनाक है। मीडिया ट्रायल को आमूमन प्रशासन पर दबाव बनाने की बात कह कर जस्टिफाई कर दिया जाता है। लेकिन क्या मीडिया ने जो कुछ सुशांत सिंह राजपूत के मामले में किया, वो सिर्फ प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा था। जवाब है नहीं। मीडिया ने अपने फायदे के लिए सुशांत की मौत का भरपूर फायदा उठाया और खूब टीआरपी बटोरी। कुछ मीडिया चैनलों ने इस मामले में सिर्फ गिद्ध पत्रकारिता की। आइए सुशांत सिंह के पूरे मामले पर नजर डालते हैं और देखते हैं कि बीते एक साल में सुशांत सिंह के मामले में क्या कुछ हुआ और किस दिशा में हो रही है जांच।
मुंबई पुलिस की जांच
सुशांत सिंह राजपूत का मामला एक हाई प्रोफाइल केस रहा, उनके फैंस को यकीन नहीं हो रहा था कि सुशांत सिंह राजपूत अब नहीं रहे। सुशांत की मौत की खबर मिलते ही, मुंबई पुलिस सुशांत के घर पहुंची। जहां सुशांत का शव पंखे से लटका हुआ मिला था। सबसे पहले इस केस की जांच भी मुंबई पुलिस ने ही की थी। मुंबई पुलिस (Mumbai Police) को मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। लेकिन सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर मुंबई पुलिस ने दावा किया कि सुशांत ने आत्महत्या की है।
रिपोर्ट के मुताबिक सुशांत की मौत फांसी लगाने के कारण दम घुटने से हुई है। साथ ही मुंबई पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि जिस कपड़े के सहारे सुशांत ने आत्यहत्या की, वो कपड़ा 200 किलो तक सह सकता था। जब दोबारा उनके विसरा के नमूने जांच के लिए कलिना फॉरेंसिक लैब में भेजे गए, तब इस फॉरेंसिंक रिपोर्ट में भी ये दावा किया गया कि उनके शरीर में किसी प्रकार का कोई नशीला या हानिकाकर पदार्थ नहीं पाया गया। जिससे आत्महत्या का यह एंगल और मजबूत हो गया। अब एक सवाल हर किसी के मन में दौड़ने लगा कि अचानक ऐसा क्या हुआ जो सुशांत ने आत्महत्या कर ली। फिर मीडिया ने इस मामले को खूब भुनाया।
डिप्रेशन की बात आई सामने
कुछ दिन बाद मुंबई पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि सुशांत डिप्रेशन का शिकार थे। पहले मीडिया रिपोर्टस कहा गया कि सुशांत पेशेवर प्रोफेशनल कॉम्पिटिशन को लेकर कथित तौर पर अवसाद में थे। फिर बाद में यह बात भी मीडिया में सामने आई कि उनकी गर्लफ्रैंड रेहा चक्रबर्ती और उनके भाई शौविक द्वारा उन्हें ड्रग्स का सेवन कराया जाता था जिसके बाद सुशांत अवसाद का शिकार हो गए।
सुशांत सिंह राजपूत और मीडिया ट्रायल
भारत में मीडिया ट्रायल का यह कोई पहला मामला नहीं था। लेकिन जिस तरह से सुशांत सिंह राजपूत के मामले में सभी मीडिया सिद्धांतों और कानूनों की धज्जियां उड़ाई गई, वो इस देश ने पहली बार देखा। मीडिया में पूरे मामले की रिपोर्टिंग काफी गैर–जिम्मेदाराना तरीके से की गई। एक बड़े मीडिया हाउस के रिपोर्टर उछल उछल कर रिपोटिंग करते हुए देखे गए और उसी चैनल के फाउंडर और एडिटर अपने प्राइम टाइम शो में बैठकर खुद को जज समझने लगे। उन्होंने आरोपियों के लिए सीधे–सीधे कातिल, हत्यारें जैसे शब्द इस्तेमाल किए। दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत से लोगों की भावनाएं जुड़ गईं थी और कोरोना के चलते सभी मीडिया चैनलों को भी काफी नुकसान हुआ था, इस नुकसान की भरपाई कोई ऐसा मुद्दा ही कर सकता था, जो नया हो और मिर्च–मसाले व कॉन्सपिरेसी थ्योरी से लबालब हो।
यह सभी चीज़ें मीडिया को सुशांत सिंह राजपूत के केस में मिल गई थी। इस केस में मीडिया को भाई–भतीजावाद (Nepotism), पैसों का हेर–फेर और ड्रग्स देकर डिप्रेशन के ओर धकेलने जैसा सारा मसाला मिल गया। जिससे सभी मीडिया चैनलों ने अपनी दुकान धड़ल्ले से चलाई। मीडिया में सालों से काम कर रहे एंकरों ने सारे सबूतों और गवाहों को तोड़ मरोड़ कर जनता के सामने पेश किया। हिंदी सिनेमा की एक मशहूर अभिनेत्री जो लगतार अपने बयानों से विवादों में बनी रहती हैं उनके आधारहीन बयानों से शुरू होकर हर कॉन्सपिरेसी मीडिया चैनलों के प्राइम टाइम का हिस्सा बन जाती थी। उन्होंने बकायदा एक कथित राष्ट्रवादी चैनल पर बैठकर सुसाइड गैंग, नेपो स्टार, और प्लांड मर्डर की बात कही थी।
जब सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने उनकी गर्लफ्रेंड रेहा चक्रबर्ती (Reha Chakroberty ) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई, तो मानों मीडिया को चैनलों के हाथ ऐसा मंत्र लग गया हो जिससे वो अपने सारे दुख दर्द दूर कर सकते थे। उनके पिता का आरोप था कि रेहा सुशांत की जानकारी के बिना उन्हें ड्रग्स दिया करती थी। साथ ही रेहा ने सुशांत के सारे पैसे उनके अकाउंट से निकल लिए। लेकिन बिना जांच और सबूत के मीडिया ने रेहा को सुशांत का कातिल घोषित कर दिया गया। रेहा को काला जादू करके सुशांत को बस में करने वाली, चुड़ैल, डायन और न जाने क्या–क्या कहा गया। जिससे सुशांत के जाने के बाद उनकी गर्लफ्रेंड का जीना मुहाल हो गया।
वॉट्सएप चैट को सबूत के तौर पर किया गया पेश
कई हिंदी अंग्रेजी चैनलों में जांच के दौरान लीक हुई वॉट्सएप चैट को जांच पूरी होने से पहले ही सबूत की तरह जनता के सामने पेश किया, जिससे जनता में इस बात को और मजबूत किया जा सके कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं की बल्कि कई दिनों से उनके प्लांड मर्डर की तैयारी की जा रही थी। इसी कड़ी में एक अंग्रेजी चैनल ने एक वॉट्सएप चैट से ये दावा किया कि उन्हें उनकी कॉफी में किसी तरह का लिक्विड ड्रग सुशांत जानकारी के बिना दिया जा रहा था, जिसके कारण सुशांत डिप्रेशन में चले गए। मीडिया ट्रायल में ये भी कहा गया की रेहा सुशांत के पैसों पर ऐश किया करती थीं। उनके क्रेडिट कार्ड से रेहा ही शॉपिंग करती थीं। साथ ही उन्होंने बिना बताए सुशांत के खाते से 15 करोड़ रुपए निकाल लिए थे। जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में कहा की रेहा या उनके परिवार के किसी सदस्य के खाते में सुशांत के खाते से कोई पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ हैं।
हाईकोर्ट ने भी लगाई फटकार
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जिस तरह का मीडिया ट्रायल किया गया, उसे लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी काफी नाराजगी जताई थी। साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशानिर्देशों की अनदेखी को लेकर सभी मीडिया चैनलों को काफी फटकार भी लगाई। बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की बेंच ने बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में मीडिया ट्रायल के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इस केस में मीडिया ट्रायल ने न्यायिक कार्रवाई में बाधा डाली, और कुछ चैनलों की ओर से मुंबई पुलिस की आलोचना को भी हाईकोर्ट ने गलत माना हालांकि हाईकोर्ट ने याचिकाओं को लेकर न्यूज चैनलों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया।
बिहार पुलिस बनाम मुंबई पुलिस
मुंबई पुलिस, बिहार पुलिस, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी देश की प्रतिष्ठत एजेंसियां सुशांत की मौत से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही हैं। लेकिन यह बात अब तक साफ नहीं हुई हैं कि ये मामला आत्महत्या का था या नहीं। मुंबई पुलिस की प्राथमिक जांच का खिलाफ देश भर में असंतोष देखने को मिल रहा था। इसके बाद जैसे ही सुशांत के पिता ने बिहार में रेहा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई तो बिहार पुलिस भी इस मामले की जांच में जुट गई। जब बिहार पुलिस तफ्तीश करने मुंबई आई, तो बिहार के एक उच्च अधिकारी को मुंबई पुलिस ने क्वारंटीन कर दिया। जिसके बाद उन्हें बिहार वापस लौटना पड़ा, हालांकि बिहार पुलिस भी इस मामले में कोई बड़ा खुलासा नहीं कर पाई।
बिहार पुलिस के मुंबई से लौटने के बाद इस मामले में राजनीतिक मोड़ आ गया और बिहार इलेक्शन तक इस मुद्दे को राजनेताओं ने भी खूब उछाला। साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से सुशांत सिंह राजपूत का मामला सीबीआई को सौंपने की गुजारिश की। जिसे पीएम मोदी ने मान लिया।
सीबीआई की जांच में क्या कुछ आया सामने
जब से सीबीआई को सुशांत के केस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, दस महीने आज तक सीबीआई लगातार तफ्तीश कर रही है। लेकिन सीबीआई को जांच में क्या सामने आया, इस बात का जवाब सीबीआई ने अभी तक नहीं दिया है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री सुशांत के मामले की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग करते रहे हैं।
हालांकि सुशांत की मौत के बाद से ही सीबीआई बॉलीवुड अभिनेत्री और सुशांत की गर्लफ्रेंड रहीं रेहा चक्रवर्ती, सुशांत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी, व उनके कुक नीरज और दीपेश सावंत के बयान ले चुकी है। सुशांत ने आत्महत्या की थी या उनकी हत्या की गई, इस बात का पता लगाने के लिए सीबीआई ने एक्सपर्ट्स की पूरी टीम का गठन किया था जिसकी अगुवाई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के फ़ॉरेंसिक विभाग के हैड डॉक्टर सुधीर गुप्ता कर रहे थे। सुधीर गुप्ता ने क्राइम सीन को रीक्रिएट कर अपनी रिपोर्ट सितंबर 2020 में सौंप दी थी। साथ ही डॉ. सुधीर गुप्ता ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि,”सुशांत ने ख़ुद को फ़ाँसी लगाकर जान दी। ये मामला ख़ुदकुशी का है। उनके शरीर पर और कोई निशान नहीं मिला है।”
सांसद सुब्रमण्यन स्वामी द्वारा पीएमओ से इस केस जानकारी मांगने पर पहली और आखिरी बार सीबीआई ने इस केस की सिलसिले में कोई औपचारिक बयान दिया था। सीबीआई ने कहा था कि “इस केस की पड़ताल में सबसे उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम ज़ब्त किये गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से आँकड़े जुटा रहे हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने तमाम जगहों पर जाकर भी पड़ताल की है।” सीबीआई ने उन्हें बताया कि इस केस की तफ़्तीश चल रही है और मामले के हर पहलू पर विचार किया जा रहा है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी कर रहा है जांच
प्रवर्तन निदेशालय की शुरुआती जांच में रेहा और अन्य लोगों के मोबाइल जब्त करने पर उन्हें ड्रग्स से संबंधित कुछ जानकारी हासिल हुई थी। जिसके बाद इस केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की भी एंट्री हो गई। नारकोटिक्स ने अपनी जांच शुरू की तो, जिसके बाद कई बड़े खुलासे होने लगे। हिंदी सिनेमा में कई बड़े सेलेब्स (सारा अली खान, रकुलप्रीत, श्रद्धा कपूर और दीपिका पादुकोण) पर भी ड्रग्स लेने का आरोप लगा। साथ ही रेहा ने नारकोटिक्स की पूछताछ में इस बात का भी खुलासा किया कि सुशांत काफी पहले से ड्रग्स लिया करते थे। खासकर केदारनाथ की शूटिंग के समय सारा अली खान उन्हें ड्रग्स मुहैया कराती थीं।
महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व महानिदेशक के हाथ में है फैसला
अब जब महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल सीबीआई के निदेशक बन गए हैं, तो सुशांत के मामले की बागडोर अब उन्हीं के हाथों में है। देखना ये है कि अब यह जांच किस मोड़ पर जाती है और कब सुशांत की मौत का रहस्य सबके सामने आ पाएगा।