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बर्मा में जारी है रोहिन्ग्या मुसलमानों पर हमले

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मीडिया पर ख़बरें आ रही हैं कि पिछले तीन दिन में बर्मा में सरकार की फ़ौज और पुलिस ने 3000 से ज़्यादा बर्मी अर्कानी मुस्लिम औरतो ,बच्चो ,बूढ़ों और जवानों को क़त्ल कर दिया है। बस्ती की बस्तियां जला दी गयी हैं. लाखों लोगो को बेघर कर दिया गया है और उन्हें जंगलों में पनाह लेने को मजबूर कर दिया गया है।

हज़ारो बर्मी अर्कानी मुसलमान औरते , बच्चे और मर्द नदी के किनारे या समुद्र के किनारे नाव से ,स्टीमर से जान बचा कर बंगलादेश और थाईलैंड ,इंडोनेशिया की तरफ भाग रहे हैं। 3 लाख से ज़्यादा शरणार्थी बांग्लादेश में पनाह गुज़ीन हैं. तो इतने ही थाईलैंड और इंडोनेशिया मलेशिया में, भारत में भी 50 हज़ार से ज़ियादा शरणार्थी जम्मू , दिल्ली और बंगाल , असम में शरण लिए हुए हैं।

ये कैसी मज़बूरी है कि ये गरीब , कमज़ोर और बेबस लाचार अर्कानी इधर उधर जान बचाने को भाग रहे हैं और कोई उनकी मदद करने को तैयार नहीं है। पडोसी बांग्लादेश भी तमाशा देख रहा है और उल्टा अपने यहाँ से शरणार्थियों को भगाने की कोशिश में है। यूरोप ,अमेरिका और अरब देश खामोश हैं। भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश के मुस्लिम संगठन चुप्पी साधे हुए हैं। U.N.O aur U.N.E.S.C.O ,Amnesty International human right wale tamasha देख रहे हैं।
 
क्या बर्मा इतना मजबूत मुल्क है, कि कोई उसे सबक नहीं सिखा सकता या फिर ज़ुल्म करने से रोक नहीं सकता। उसे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चेतावनी नहीं दे सकता। उसका आर्थिक बायकॉट नहीं कर सकता। उससे राजनैतिक सम्बन्ध नहीं समाप्त कर सकता।
ये शांति प्रेमी बुद्ध को मानने वाले इतने क्रूर और शैतान क्यों हो गए हैं और मुसलमान इतने बुज़दिल क्यों? कहाँ गए कथित जिहादी ,जो सिर्फ अपनों का ही क़त्ल करना जानते हैं और मसलकों के नाम पर एक दूसरे का गला काटते हैं। बर्मा में जो कुछ हो रहा है , ये सीधे सीधे नस्लकुशी है और अराकान से मुसलमानो को भगा कर ,उनका कत्लेआम कर उनकी जमीन पर कब्ज़ा करने की साज़िश है।

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