0

क्या मुस्लिम दुश्मनी पर रोहिंग्या के नरसंहार का समर्थन कर रहे हैं दक्षिणपंथी

Share

आजकल सोशल मीडिया पर बौद्धिक आतंकवाद फैला हुआ है। बर्मा में हो रही मुस्लिम नस्लकुशी को लेकर भगवा गिरोह से जुड़े लड़के और कथित प्रगतिशील और नास्तिक भी मैदान में कूद पड़े हैं और खूब ज़हर उगल रहे हैं।
भारत में रोहंगिया शरणार्थियों को ले कर तरह , तरह की आशंकाएं जता रहे हैं उलटे , सीधे तर्क दे रहे हैं। कोई लिख रहा है कि ये लोग पीड़ित नहीं आतंकी हैं तो कोई कहता है कि 56 मुस्लिम राष्ट्रों को छोड़ ये भारत में क्यों आना चाहते हैं। तो किसी को लगता है कि इनकी उपस्थिति से भारत का माहौल खराब होगा। ये गरीब हैं , भिखारी हैं इसी लिए यहाँ आये हैं।
इन्हें लंबे अरसे से भारत में रहने वाले लाखों तिब्बती शरणार्थियों से और नेपालियों से कोई तकलीफ नही है। कितने ही पाकिस्तानी हिन्दू सिंधी शरणार्थियों ने और 1971 के बांग्लादेश की सिविल वॉर से जान बचा कर भागे हिन्दू बंगाली शरणार्थियों से भी कोई प्रॉब्लम नहीं है.
बस मुसलमान होना ही रोहंगिया के लिए मुसीबत की बड़ी वजह है और वे भारत में रहने और टेम्पररी तौर पर रहने के भी हक़दार नहीं हैं।
इंसानियत क्या चीज़ है ये हम भूल चुके हैं। वसुधेव कुटुम्बकम अब सिर्फ किताबी बात है। इसका असलियत से कुछ भी लेना ,देना नहीं है। और सही बात तो यही है कि मोदी जी के नेतृत्व में देश गांधी के बजाय गोडसे का देश बनता जा रहा है।
भगवा संगठन और खुद मोदी सरकार के मंत्री और भाजपाई साधु , संत जिस तरह से ज़हर उगल कर नफरत फैला रहे हैं और बौद्धिक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं , वे भारत को भी बर्मा की तरह अशांत और अराजक देश बना देना चाहते हैं।
अगर समझदार लोग अब भी ना जागे तो 2019 चुनाव से पहले ये लोग देश को बड़े संकट में धकेल सकते हैं और क़त्लो गारतगरी मचा सकते हैं। और इस कत्ल आम के ज़िम्मेदार कथित नास्तिक , और संघी मौलवी , मुल्ला भी होंगे. जो संघ के मुस्लिम राष्ट्रिय मंच से जुड़ कर संघी एजेंडा पर काम कर रहे हैं. और बेकार की टीवी चैंनलों की भड़काऊं और आग लगाऊं T.V debate में शामिल हो कर माहौल खराब करते हैं।