इंटरनेशनल क्रिकेट में जब भी तेज़ गेंदबाजों का ज़िक्र होता है, ग्लेन मैकग्रा का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. 90 के दशक और 21वीं सदी के शुरुआती सालों में क्रिकेट की पिच पर तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा का खौफ बल्लेबाजों के सिर चढ़कर बोलता था. विकेट चाहे जैसा भी हो मैकग्रा की गेंदबाजी से अच्छे अच्छे बल्लेबाजों के पसीने छूट जाते थे.1993 में न्यू साऊथ वेल्स से सीधे टेस्ट क्रिकेट में मैकग्राथ का चयन मर्व ह्यूग्स की जगह हुआ था, और वो अपने समय के सबसे बड़े ऑस्ट्रेलिया के तेज़ गेंदबाज़ बने. क्रिकेट में उनसे ज्यादा विकेट किसी भी तेज गेंदबाज ने नहीं लिए.
9 फरवरी 1970 को ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स इस महान तेज गेंदबाज का जन्म हुआ था.उनके जन्म दिन पर जानिए उनके बारे में.
-मैक्ग्रा क्रिकेटर नही बल्कि एक बास्केटबॉल प्लेयर बनना चाहते थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के महान खिलाड़ी और धावक मेलिंडा गेंसफोर्ड ने उन्हें क्रिकेट के लिए बास्केटबॉल छोड़ने के लिए कहा. इस तरह से मैक्ग्रा का क्रिकेट करियर शुरू हुआ.
– जब वह युवा थे, तो उन्हें उनके साथी उनकी खराब बॉलिंग के कारण उन्हें बॉल भी नहीं करने देते थे, वह उस समय बॉल को सही ढंग से सीम भी नहीं करा पाते थे.
– शुरुआत में मैक्ग्रा की बॉलिंग इतनी कमजोर थी कि वह बॉल को स्टंप पर हिट ही नहीं कर पाते थे. तब उन्हें बॉलिंग सिखाने के लिए विकेट की जगह ड्रम का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद उन्होंने बॉलिंग स्टार्ट की. और जी तोड़ प्रैक्टिस करने लगे.
-ऑस्ट्रेलिया में ग्रेड क्रिकेट खेलने के लिए मैक्ग्रा सिडनी आ गए. उन्हें यहां बीच केरावेन में रहना पड़ा. जीवन यापन के लिए एक बैंक में काम किया. लेकिन अपने ऊपर भरोसा इतना था कि बैंक में विड्राल स्लिप पर साइन कर अपने कलीग को देते और कहते मैं एक दिन बहुत फेमस आदमी बनूंगा.
पहली बार 1993 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम में सिलेक्शन हुआ तो लगा सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन हुआ नहीं. पहला टेस्ट न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला. लेकिन पहले 8 टेस्ट में कुछ कमाल नहीं कर सके. टीम से बाहर कर दिए गए. लेकिन वह अपने प्रयास से कभी पीछे नहीं हटे. 1994-95 में वेस्ट इंडीज के दौरे पर उन्हें फिर से टीम में चुना गया. यहां से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
-अपने 124 टैस्ट मैचों के करियर में मैक्ग्रा ने 563 विकेट लिए. वह दुनिया में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज हैं.उनसे आगे सिर्फ तीन स्पिनर, मुरलीधरन, शेन वार्न और अनिल कुंबले हैं.
-इंग्लैंड टीम के कप्तान माइक अथर्टन को मैक्ग्रा ने 19 बार आउट किया. टेस्ट क्रिकेट में एक बॉलर ने किसी भी बल्लेबाज को इतनी बार आउट नहीं किया है. ब्रायन लारा को उन्होंने 13 बार टेस्ट क्रिकेट में आउट किया.
-2007 में वर्ल्डकप जिताने के बाद उन्होंने तब क्रिकेट को अलविदा कहा, जब वह पीक पर थे. वर्ल्डकप में उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब दिया गया. वनडे क्रिकेट में मैक्ग्रा ने 250 मैचों में 381 विकेट लिए.
-2001 में मैकग्रा ऑस्ट्रेलियन इन्स्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट बेस्ट ऑफ द बेस्ट लिस्ट में शामिल होने वाले केवल 21वें खिलाड़ी बने.
-26 जनवरी 2008 को मैकग्रा क्रिकेट में दिए अपने योगदान और अपनी पत्नी के साथ मिलकर मैकग्राथ फाउंडेशन के द्वारा समाज कल्याण के लिए ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया के सदस्य बनाए गए.
-2008 में मैकग्रा न्यू साऊथ वेल्स ऑस्ट्रेलियन ऑफ द ईयर बने.
-31 दिसंबर 2012 को मैकग्रा को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.
-2011 में मैकग्रा को स्पोर्ट ऑस्ट्रेलिया हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया.
-मैकग्रा 7 सर्वश्रेष्ठ दसवें विकेट की साझेदारियो में शामिल हैं जिनमें से दो शतकीय साझेदारी हैं.
-मैकग्रा के नाम किसी भी टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों में सबसे कम रन देने का रिकॉर्ड है.
-अपने सन्यास के समय मैकग्रा किसी भी नंबर 11 के बल्लेबाज़ के बनाए सबसे ज़्यादा रन का रिकॉर्ड (603) रखते थे जिसे बाद में श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन ने तोड़ा.
-ग्लेन मैकग्रा के नाम किसी भी ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज़ के द्वारा टेस्ट क्रिकेट में बनाए सबसे ज़्यादा शून्य (35) का रिकॉर्ड है, शेन वॉर्न के नाम 34 शून्य हैं.
-मैकग्रा के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज़्यादा बल्लेबाज़ों (104) को शून्य पर आउट करने का रिकॉर्ड है.
-मैकग्रा ने 4 एकदिवसीय विश्व कप खेले (1996 से 2007 तक) और उनमें से तीन में ऑस्ट्रेलिया जीता और एक में फाइनल में हारा था.
-मैकग्रा के नाम एकदिवसीय विश्व कप में सबसे ज़्यादा विकेट, सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी प्रदर्शन, गेंदबाज़ी औसत और मेडन ओवर फेंकने का रिकॉर्ड है.
-ग्लेन मैकग्रा के नाम एक अनूठा रिकॉर्ड है की टेस्ट क्रिकेट, एकदिवसीय क्रिकेट और ऑस्ट्रेलिया में अपने आख़िरी मैच की आख़िरी गेंद पर उन्होने विकेट लिया.
-मैकग्रा की ख़ासियत उनकी ऑफ स्टंप की सटीक लाइन और लेंथ थी. उन्हें ऑफ कट और बाउन्स दोनो ही मिलता था, अक्सर विरोधी टीम के सबसे बड़े खिलाड़ियों को आउट करते थे.अन्य ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की तरह वो भी स्लेजिंग करने से नही कतराते थे.