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क्या अंबानी का घर ग़ैरकानूनी तरीके से खरीदी ज़मीन पर बना हुआ है ?

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दुनियां के महंगे घरों में शुमार व रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी का आलीशान घर ऐंटिलिया एक बार फिर सुर्खियों में आया है. उनका ये घर साउथ मुंबई में बना हुआ है. इसके  बनने के 12 साल बाद इस घर पर खतरे के बादल मंडराते दिखाई दे रहें हैं. कहा जा रहा है कि जिस जमीन पर अंबानी ने अपने सपनों का महल खड़ा किया हुआ है, वो जमीन उन्होंने गैरकानूनी ढ़ंग से खरीदी है. राज्य वक्फ बोर्ड ने अंबानी से यह जमीन वापिस मांगी है और कहा है कि जिस जमीन पर यह आलीशान घर बना है, वह गैरकानूनी ढंग से खरीदी गई थी,साथ ही बोर्ड ने यह भी संकेत दिया है कि जमीन की खरीद राजनीति से प्रेरित थी.

मुकेश अंबानी का आलीशान घर ऐंटिलिया

क्या है पुरा मामला?

लाइव लॉ के मुताबिक अल्पसंख्यक विकास विभाग के संयुक्त सचिव और राज्य वक्फ बोर्ड के कार्यकारी सीईओ संदेश सी तदवी नेपेटीशन दायर की. इस के मुताबिक दुनिया का सबसे महंगा घर एंटीलिया जिस जमीन पर बना है, वह असल में करीबभाई इब्राहिम खोजा यतीमखाना की है. जिस जमीन पर मफिन-एंटीलिया कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड बनाई गई है, उसे ट्रस्ट से साल 2005 में खरीदा गया था. इस ट्रस्ट को वंचित बच्चों की देखभाल के लिए बनाया गया था, जिसने करीब 4,532 स्क्वेयर जमीन एंटीलिया कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को जुलाई 2002 में सिर्फ 210.5 मिलियन में बेची थी. जबकि उस समय इसकी मार्केट वैल्यू करीब 1.5 बिलियन रुपये थी.
साल 2002 में करीबभाई खोजा ट्रस्ट ने चैरिटी कमिश्नर के पास एक एप्लिकेशन फाइल कर जमीन एंटीलिया कमर्शियल को बेचने की इजाजत देने की गुहार लगाई थी और 27 अगस्त 2002 को इजाजत दे दी गई. बाद में महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड अॉफ वक्फ ने इस लेनदेन को गैरकानूनी पाया और एंटीलिया कमर्शियल को वक्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 52 के उल्लंघन का नोटिस भेजा गया. अनाथालय ट्रस्ट ने 22 अप्रैल 2004 को सीईओ द्वारा जारी किए गए नोटिस को वक्फ ट्रिब्यूनल के सामने चुनौती दी.
राज्य वक्फ बोर्ड ने मुकदमे के दौरान ट्रस्ट के साथ मुद्दे को सुलझा लिया गया और नतीजा यह निकला कि ट्रस्टी यह स्वीकार करेंगे कि जमीन वास्तव में वक्फ की संपत्ति थी और इस बात पर भी सहमति बनी कि सालाना अंशदान बोर्ड को चुकाया जाएगा और ट्रस्टीज ने वक्फ एक्ट 1995 के सेक्शन 72 के तहत 16 लाख रुपये रुपये डिपॉजिट कराए. किसने उठा मामला शिक्षक अब्दुल मतीन ने ऐंटिलिया जमीन के विवाद को लेकर 2007 में हाई कोर्ट में एक पीआईएल दायर की थी और इसमे चैरिटी कमिश्नर द्वारा जमीन बेचे जाने की अनुमति पर सवाल उठाए गए थे.
एजाज नकवी नाम के वकील ने भी बिक्री की पुष्टि के खिलाफ एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया था. 21 जुलाई को चीफ जस्टिस मंजुला चेल्र कि डिविजनल बेंच ने बोर्ड से इस मामले में जबाब मांगा था इसी के जबाब में महाराष्ट्र राज्य के वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अल्पसंख्यक विकास विभाग संयुक्त सचिव संदेश तडवी के इस मामले में शपथपत्र दायर करने से मामले ने फिर से जोर पकड़ लिया है.
संदेश तडवी ने शपथपत्र में विस्तृत लिखा है कि जमीन बेचने से पहले वक्फ बोर्ड की अनुमति की आवश्यकता होती है और इसके प्रस्ताव को पास करने के लिए बोर्ड का दो तिहाई बहुमत चाहिए होता है उसके बाद अनुमति अधिकृत राजपत्र में प्रकाशित की जाती है परन्तु इसमें किसी भी नियमों का पालन नहीं किया. इसके बाद तडवी द्वारा शपथपत्र दायर करके हाई कोर्ट से जमीन का अधिकार वापस दिलाने की मांग की गई है. मामले की अगली सुनवाई अब 7 दिसंबर को होगी.

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