दीपावली पर्व से जुड़ी रोचक बातें

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भारत अपनी समृद्ध विविधता और अनेकता में एकता जैसी खूबियों के कारण पूरी दुनिया में जाना जाता है। लगभग पूरे साल भारतवासी पर्व – त्यौहार के जश्न में डूबे रहते हैं। इस दौरान सभी एक दूसरे के धर्म और मान्यताओं का बहुत आदर करते हैं। साल की शुरुआत होती है जनवरी में मकर संक्रांति, लोहरी, माघ बिहू और पोंगल जैसे त्योहारों से, उसके बाद फरवरी में आती है बसंत पंचमी, फिर मार्च में होली, मई में ईद, और आगे इसी तरह दिसंबर में क्रिसमस तक भारत में हर महीने किसी – न – किसी त्यौहार की धूम रहती है।
इन सभी त्यौहारों में दीपावली (Diwali) का एक अलग महत्व माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, दीपावली या दीपोत्सव का त्यौहार हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन पूरा देश दियों की रोशनी से नहाया हुआ नजर आता है। इस साल दीपावली 4 नवंबर (4 November) को पूरे भारत में एक साथ मनाया जाएगा। इस त्यौहार को इसी रूप में मनाए जाने के पीछे धार्मिक तर्क का महत्व माना जाता है। आध्यात्मिक लोग अक्सर इस त्यौहार को ‘अंधकार पर प्रकाश की विजय’ के रूप में देखते हैं।

क्यों मनाया जाता है दीपावली का पर्व?

दीपावली का त्यौहार मुख्य रूप से हिंदू धर्म से वास्ता रखता है। कई धार्मिक ग्रंथों में इसका वर्णन देखने को मिलता है। इस पर्व को मनाए जाने के पीछे अगर किसी एक मुख्य कारण की बात की जाए तो यह मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन की एक घटना से शुरू हुआ था।
धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में भगवान श्री राम (Shree Ram) 14 वर्षों के लिए वनवास पर गए थे। वहां पर रावण सीता हरण कर ले गया था। जिसके बाद भगवान श्री राम ने रावण के साथ युद्ध करके उसे पराजित किया था। इन सबके बाद जब वह वनवास खत्म करके वापस अपने नगर अयोध्या लौटे, तो उनके भव्य स्वागत में अयोध्या वासियों ने दीप जलाए थे और खुशी से जश्न मनाया था। उस दिन अमावस्या की रात थी। उसके बाद से ही इस दिन को इसी रूप में एक त्यौहार की तरह मनाया जाने लगा।

क्यों है दीपावली का दिन खास?

दीपावली का दिन इतना खास और इतना महत्वपूर्ण कई वजहों से बनता है। पहला तो इसका ऐतिहासिक भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ा होना और दूसरा यह कि इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और सुख – समृद्धि के देवता गणेश जी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी – गणेश की पूजा करने से सुख – समृद्धि पूरे साल बनी रहती है और धन की भी कमी नहीं होती है।
दीपावली के दो दिन पहले मनाया जाने वाला पर्व धनतेरस भी खुद में एक आस्था और विश्वास की मान्यता रखता है। यह माना जाता है कि धनतेरस के ही दिन भगवान धन्वंतरि अमृत लेकर प्रकट हुए थे। समुद्र मंथन के दौरान ही धन्वंतरि भी निकले थे। उन्हें अमृत का पहला वाहक माना जाता है। इसलिए धनतेरस के दिन कोई भी काम करना हिंदू धर्म में सबसे शुभ माना गया है।

अयोध्या में भव्य जश्न की तैयारी

शास्त्र और ग्रंथों के मुताबिक दीपावली की उत्पत्ति अयोध्या से ही हुई थी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) राज्य में स्थित अयोध्या (Ayodhya), जो राम मंदिर (Ram Mandir) प्रकरण के कारण दुनिया भर में सुप्रसिद्ध हो गया है, किसी दुल्हन की तरह सजाया जाता है। पिछले वर्ष से ही यहां दीपावली पर सरकार द्वारा सरयू नदी (Saryu River) के तट पर काफी बड़ा आयोजन किया जाता है। अलग-अलग घाटों पर पिछले वर्ष कुल 5.51लाख दीप जलाए गए थे, जिसने विश्व रिकॉर्ड बनाया था। इस बार सरकार कुल 32 घाटों पर 7.50 लाख दिए जलाने की तैयारी में है। इस काम के लिए अवध विश्वविद्यालय को कार्यभार सौंपा गया है।
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