“99 साल की लीज़ पर आज़ादी” रुचि पाठक की बात में कितनी सच्चाई है ?

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The lallantop के शो “लल्लनटॉप अड्डा” में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की स्पोक पर्सन रुचि पाठक (ruchi pathak) ने एक गजब का दावा कर डाला। उन्होंने 24 अक्टूबर को झांसी में लल्लनटॉप द्वारा आयोजित एक शो में कहा की, भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी 99 साल की लीज़ यानी पट्टे पर मिली है। शो के होस्ट सौरव द्विवेदी ने रुचि पाठक की इस बात को पॉइंट आउट करते हुए कहा कि, कुछ यूट्यूब चैनल 99 साल की लीज़ वाली बात की थियोरी अपने चैनल पर चला रहे हैं, लेकिन इतिहास में इसका कोई उल्लेख नहीं है।

हालांकि रुचि पाठक ने अपनी बात के साक्ष्य प्रस्तुत करने की बात भी कही। दूसरी और SP प्रवक्ता सलमान खान (salman khan) और कांग्रेस युवा मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव जैन (gaurav Jain) ने रुचि पाठक की इस बात चुटकी लेते हुए bjp की नीतियों पर निशाना साधा। इसके बाद से ट्विटर पर #99yearslease ट्रेंड होने लगा, और रुचि पाठक की एक मोब्ड तस्वीर भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है।

क्या है 99 साल की लीज़ पर आज़ादी वाली पूरी बात :

24 अक्टूबर को दी लल्लनटॉप ने झांसी में एक शो किया था। शो का नाम लल्लनटॉप अड्डा था, और शो में मुख्य रूप से अलग बुंदेलखंड राज्य की बात की जा रही थी। इस पैनल डिस्कशन में BJYM की प्रवक्ता रुचि पाठक, कांग्रेस युवा मोर्चा के प्रवक्ता गौरव जैन, SP की और से सलमान खान और BSP से रोहित रत्न (rohit ratan) और युवा नेता संदीप सरावगी (sandeep saravagi) शामिल हुए थे।

पैनल डिस्कशन के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता ने निजीकरण पर सवाल करते हुए कहा कि आज भारत की स्थिति ये है कि खुले तौर पर दलाली हो रही है। पूरी एयरलाइन बिक रही है। जिस पर BJYM की प्रवक्ता ने जवाब देते हुए कहा, निजीकरण कोई गलत तो नहीं, 1991 में नेहरू सरकार ने ही एयर इंडिया को टाटा से ले लिया था हमारे शासन में उसे वापस दिया गया है।

इस पर गौरव जैन ने कहा कि नेहरू ने आज़ादी भी ली थी, तो क्या आप उसे भी वापस कर देंगे। रुचि पाठक ने इस पर कहा कि “वो भी आपने कॉन्ट्रेक्ट बेस पर ली थी, कांग्रेस ने भारत की आज़ादी 99 साल की लीज़ पर ली थी। अगर आपमें इतनी ही कुब्बत थी तो लड़ कर पूरी आज़ादी लेते। भारत आज भी कम्प्लीटली आज़ाद नहीं हैं।”

व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का ज़िक्र :

रुचि पाठक के 99 साल की लीज़ वाले दावे पर शो के प्रवक्ता सौरव द्विवेदी ने कहा कि इस बात का कोई ऐतिहासिक उल्लेख नहीं है, जिस पर BJYM की प्रवक्ता ने साक्ष्य प्रस्तुत करने की बात कही। लेकिन विपक्षी पार्टियों के प्रवक्ता ने भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं दिया। इस पर गौरव जैन ने कहा कि ऐसे ही पूरे एजुकेशन सिस्टम को बर्बाद किया जा रहा है।

वहीं SP के प्रवक्ता सलमान खान ने कहा कि आपको रुचि पाठक के दावे पर शक नहीं करना चाहिए, और शक इसलिए नहीं करना चाहिए क्योंकि इन्होंने विश्व की सबसे बेहतर यूनिवर्सिटी “व्हाट्सएप युनिवर्सिटी” (whatsapp university) से पढ़ाई की है। BSP के रोहित रत्न ने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री भारत को वापस गुलामी की और ले जाना चाहते हैं।

दावे के बाद रुचि ट्रोल हो रही हैं :

शो में भारत की आज़ादी 99 साल की लीज़ का दावा करने के बाद भाजपा युवा मोर्चा की प्रवक्ता रुचि पाठक बुरी तरह फंस गई हैं। एक तरफ़ ट्विटर पर जहां #99yearslease ट्रेंड करने लगा। वहीं सोशल मीडिया पर एक तस्वीर भी लगातार शेयर की जा रही है। और 99 साल की लीज़ पर लंबे-लंबे पोस्ट लिखे जा रहे हैं।

तस्वीर : सोशल मीडिया

ये तस्वीर उस वक्त की है जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। और शपथ लेने के बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। इस तस्वीर में कुछ छेड़-छाड़ की गई है और रुचि पाठक को तस्वीर में ऐड कर दिया गया है। उनके हाथ में लल्लनटॉप का माइक है और वो पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू को हस्ताक्षर करते देख रही हैं।

99 साल की लीज़ पर आज़ादी की बात में कितनी सच्चाई :

रुचि पाठक के दावे के अनुसार भारत को आज़ादी 99 साल के पट्टे पर मिली है इसके मुताबिक साल 2046 में भारत पर वापस ब्रिटेन की हुकूमत होगी और भारत ब्रिटिश कालोनी हो जाएगी। लेकिन क्या ऐसा सच मे हो सकता है ? इसका जवाब है बिल्कुल नहीं। दी लल्लनटॉप ने अपनी एक वीडियो में इस सवाल का जवाब भी दिया है। और इतिहास के पन्नो में भी ये साफ तौर पर दर्ज है।

भारत को 15 अगस्त को ब्रातानी हुकूमत से आज़ादी मिली थी साथ में विभाजन की त्रासदी भी। आज़ादी के बाद भारत में अंतरिम सरकार बनी थी जिसमें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। लेकिन अभी भी भारत सरकार के लिए सोर्स ऑफ पॉवर ब्रिटिश क्राउन था। भारत का अपना संविधान बनने तक सभी फैसले ब्रिटिश क्राउन के नियमों के अनुसार लिए गए थे। लेकिन ये फैसले पूरी तरह से भारत सरकार ने लिए थे और इसमें बर्तानी हुकूमत की कोई दखलंदाजी नहीं थी। वहीं 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के बाद भारत सरकार का सोर्स ऑफ पॉवर भारतीय संविधान हो गया था।

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