15 अगस्त 1947 में भारत से अलग होने के बाद से पाकिस्तान एक मुस्लिम बहुल्य देश रहा है। आतंकवाद और कट्टर इस्लाम का एक गढ़ पाकिस्तान भी रहा है। आमूमन माना जाता है कि अल्पसंख्यक समुदाय को पाकिस्तान में उच्च पदों पर पहुंचने के अवसर नहीं दिए जाते, मगर वहां के इस 75 साल के इतिहास को इस लड़की ने बदल दिया है।
पाकिस्तान के शिकारपुर की सना रामचंद गुलवानी (Sana Ramchand Gulwani) का चयन पाकिस्तान के सीएसएस (CSS) परीक्षा में हुआ है। सना पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय से आती हैं। जिस पर आज पूरा भारत देश गर्व कर रहा है। मई में सना ने सीएसएस परीक्षा पास की थी मगर सितंबर महीने में उसे नियुक्ति मिली है। इससे पहले वह सर्जन के रूप में कार्यरत थी।
कौन है सना रामचंद?
27 वर्ष की सना फिलहाल पेशे से एक सर्जन है। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सीएसएस परीक्षा को पास कर लिया। माना जाता है कि पाकिस्तान की सीएसएस परीक्षा भारत में होने वाले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा से भी कठिन होती है। सना पाकिस्तान के इतिहास में पहली हिंदू है जो प्रशासनिक सेवा में चयनित हुई है।
सना ने 5 साल पहले ही बेनजीर भुट्टो मेडिकल यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ मेडिसिन की डिग्री हासिल की थी। मगर उनका सपना सीएसएस परीक्षा पास करने का था। सना अपने माता पिता के साथ पाकिस्तान के शिकारपुर में रहती है।
मां-बाप और अपना सपना किया पूरा
सना रामचंद के माता-पिता उसे प्रशासनिक सेवा में भेजने से डरते थे। उनका हमेशा से मन था कि सना मेडिकल के क्षेत्र में आगे बढ़े। इसके लिए सना ने पहले मेडिकल की बैचलर डिग्री लेकर नौकरी की और उसके बाद अपने सपने को पूरा करने में लग गई। सना शुरू से ही सीएसएस परीक्षा पास करने के सपने देखा करती थी। आज उसने ना केवल अपने मां बाप का, बल्कि अपना सपना भी पूरा किया।