बीते साल कोरोना की पहली लहर की शुरुआत में तबलीगी जमात को मीडिया में जमकर निशाना बनाया गया था। तबलीगी जमात को मीडिया में कोरोना की मरकज भी कहा गया। अब इसी संबंध में कुछ चैनलों पर एनबीएसए (नेशनल ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी) की गाज गिर गई है। एनबीएसए ने दो कन्नड़ भाषा समाचार चैनल और एक अंग्रेजी समाचार चैनल के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की है।
दरअसल, इन चैनलों पर आरोप लगाया गया था कि इन्होंने ने अपने कार्यक्रमों के जरिए सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। साथ ही एनबीएसए ने माना है कि इन कार्यक्रमों का कंटेंट एक समुदाय के प्रति इतना अपत्तिजनक था कि इनसे सांप्रदायिक दंगे भी भड़क सकते थे।
Scroll.in के हवाले से बैंगलोर के एक सामाजिक संगठन ने नफरती बयानबाजी के करने को लेकर मीडिया के कुछ चैनलों के खिलाफ 2020 में शिकायत दर्ज कराई थी। अब इसी शिकायत को लेकर अपना फैसला सुनाते हुए, एनबीएसए ने न्यूज18 कन्नड़(News18 kannada), सुवर्णा (Suvarna) और एक अंग्रेजी समाचार चैनल पर कार्यवाही के तहत जुर्माना लगाया है साथ ही 23 जून से पहले 9 बजे के प्राइम टाइम के समय में माफीनामा प्रसारित करने का भी आदेश दिया है।
पचास हजार से लेकर एक लाख तक का भरना होगा जुर्माना
एनबीएसए ने बुधवार को जारी अपने आदेश में कहा कि तीनों चैनलों को ये जुर्माना सात दिन के अंदर भरना होगा न्यूज18कन्नड़ (News18 kannada) एक लाख का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है वहीं सुवर्णा (Suvarna) न्यूज चैनल को 50,000 का जुर्माना भरना होगा। साथ ही इन्हें अपने कार्यक्रमों को लेकर माफीनामा भी प्रसारित करने का आदेश दिया गया है।
जानबूझ कर कोरोना फैलाने का लगा था आरोप
कोरोना की पहली लहर से ज्यादा खतरनाक दूसरी लहर थी। लेकिन पहली लहर में लोग ज्यादा डरे हुए थे। उसी समय तब्लीगी जमात को मीडिया में सुपर स्प्रेडर कहा गया। जमात पर आरोप लगाया गया कि जमात भारत में कोरोना फैलाने की साजिश रच रहा है। इन चैनलों पर आरोप लगाया गया कि इनके कार्यक्रमों के जरिए देश भर में तबलीगी जमात और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एक माहौल बनाया गया और लोगों में एक समुदाय के खिलाफ नफरत की भावना भड़काई गई।
News18 kannada के दो और Suvarna चैनल के 6 कार्यक्रमों को आपत्तिजनक पाया गया
एनबीएसए ने अपने आदेश में इन दोनों चैनलों के कंटेंट टिप्पणी करते हुए न्यूज18 कन्नड़ के दो कार्यक्रमों में आपत्तिजनक माना है। एनबीएसए ने अपने आदेश में कहा- क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित इस जमात के लोगों ने देश में किस तरीके से कोरोना वायरस फैलाया है और कर्नाटक के कितने लोग इस जमात में शामिल होने गए थे।
न्यूज18कन्नड़ के दो कार्यक्रमों के बारे में आदेश में बताया गया कि इस दोनों कार्यक्रमों की टोन, भाषा और लहज़ा असभ्य भड़काऊ, अपमानजनक और पूर्वाग्रह से ग्रसित था। समुदाय की धार्मिक भावनाओं की परवाह किए बिना कार्यक्रम को मसालेदार और तड़कता-भड़कता बनाने के लिए सारी सीमाएं लांघ दी गईं। इन कार्यक्रमों का साफ और सीधा सा उद्देश्य एक समुदाय को लेकर लोगों के बीच नफरत को बढ़ावा देना था।
सुवर्णा न्यूज चैनल के मामले में एनबीएसए ने 6 कार्यक्रमों को आपत्तिजनक माना। यह सभी कार्यक्रम बीते साल 31 मार्च 2020 से 4 अप्रैल 2020 के बीच प्रसारित हुए थे। एनबीएसए का कहना था- इन कार्यक्रमों के शीर्षक अपने आप में एक घातक प्रभाव डाल रहे थे। यह सांप्रदायिक हिंसा को भड़का सकते थे।
टाइम्स नाउ के शब्द विजुअल्स से मैच नहीं करते: एनबीएसए
टाइम्स नाउ (Times Now) के कार्यक्रम की भी आदेश में खूब निंदा की गई है। एनबीएसए ने टाइम्स नाउ के बारे में बात करते हुए कहा कि एक कार्यक्रम का शीर्षक Is Tabligi jamaat wilfully sabotaging india, इसका मतलब “क्या तबलीगी जमात जानबूझ कर भारत को नुकसान पहुंचाना चाहता है?” था। आदेश में कहा गया कि इस शीर्षक में तबलीगी जमात के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया, साथ ही ये शब्द विजुअल्स से मैच नहीं कर रहे थे। आगे एनबीएसए ने कहा कि जिस भाषा, लहज़े और शब्दों का इस्तेमाल शो की एंकर ने किया, उस भाषा और लहज़े के बिना भी कार्यक्रम किया जा सकता था। आपको बता दें कि इस शो के दौरान भी प्रवक्ता नरेंद्र तनेजा भी चर्चा के पैनल में मौजूद थे।
80 देशों के मुस्लिमों को 10 साल के लिए कर दिया गया था प्रतिबंधित
मीडिया में तबलीगी जमात की ऐसी छवि बनाई थी। जिससे यह मान लिया गया था कि इस जमात का हर आदमी कोरोना वायरस फैलाने की मंशा से ही देश में आया हो। मीडिया में पूरे मुद्दे का ट्रायल होने के बाद सरकार ने तबलीगी जमात में 80 मुस्लिम देशों से आए मुस्लिमों की एंट्री अगले 10 सालों तक प्रतिबंधित कर दी। इस फैसले से करीब 2,500 लोगों को भारत में अगले दस सालों के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।
देश भर के मुसलमानों को झेलना पड़ा परिणाम
तबलीगी जमात के मामले को मीडिया में सांप्रदायिक एंगल दिखाया गया। जिसका परिणाम ये हुआ कि देश भर में मुस्लिमों को जमाती की नजर से देखा जा रहा था। इस दौरान कई ऐसे मामले भी सामने आए जिसमें लोगों ने मुस्लिमों का आर्थिक बहिष्कार भी किया। यहां तक कि गली-मुहल्ले में समान बेच कर अपना गुजारा करने वाले मुस्लिमों से उनका नाम पूछ कर उनकी पिटाई की गई। द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के होशियारपुर में दूध बेचने वाले मुस्लिम गुर्जरों पर हमले हुए। उन्हें अपना दूध नदी में बहाना पड़ा था। असम और कर्नाटक जैसे राज्यों के गांवों में मुसलमानों का प्रवेश रोकने वाला पोस्टर भी लगाया गया। गौरतलब हो कि एनबीएसए के साथ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी मीडिया में इस घटना की कवरेज की भर्त्सना की है।