“चाहे लाख तूफा आए, चाहे जान भी अब जाए। मुश्किल हो जीना, फिर भी पड़े जहर पीना। किसान बिल वापस कराए, आ कसम खा ले ये….” कुछ ऐसे ही मिजाज में भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) हैं। अगस्त 2020 में शुरू हुए किसान आंदोलन को अब तक 388 दिन से ज्यादा वक्त निकल चुका है, लेकिन ना तो किसान अपने कदम पीछे लेने को तैयार हैं और ना ही सरकार पारित कानून वापस लेने को तैयार है।
10 सितंबर की रात से दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region – NCR) में भारी बारिश हुई है। इस बारिश ने महज 30 घंटे में दिल्ली को करीब-करीब डूबा दिया। इतनी भारी बारिश के बाद भी किसान अपनी जगह से हिलने को तैयार नहीं है। गाजीपुर बॉर्डर (Gazipur Border) से आई नई तस्वीरों में राकेश टिकैत पानी से लबालब सड़क पर अपने लोगों के साथ बैठकर धरना देते नजर आए।
घुटने तक पानी, फिर भी टस से मस नहीं किसान
दिल्ली समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 सितंबर की रात से झमाझम बारिश हुई। मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि 18 सितंबर तक यह बारिश होनी है। इस बीच महज 30 घंटे की बारिश में दिल्ली लगभग डूबती नजर आई। सड़कों और गलियों में घुटने से उपर तक पानी जमा हो गया।
उत्तर प्रदेश – दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर (Gazipur Border) के पास जारी किसान आंदोलन कि काफी हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई। तस्वीर में किसानों के नेता राकेश टिकैत अपने अन्य साथियों के साथ घुटने तक पानी में डूबे रोड पर बैठकर प्रदर्शन करते नजर आए।
महज 1 दिन की बारिश में किसानों द्वारा लगाए गए टेंट – तंबू काफी हद तक उजड़ गए और उनके लंगर में भी पानी भर गया। मगर वायरल हुई तस्वीरों में देखकर यह समझ आता है कि किसानों का मनोबल आज भी काफी मजबूत है।
कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुआ था आंदोलन
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य राज्य के किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 9 अगस्त 2020 से देशभर में प्रदर्शन का दौर चलाया। इसके संबंध में सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बैठक भी हुई, मगर उसका निष्कर्ष कुछ नहीं निकला।
किसानों ने, खासकर भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) के नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली के मुख्य बॉर्डर्स जैसे गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर टेंट – तंबू लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू किया और आज भी वहीं टिके हुए है। किसानों को आंदोलन करते हुए एक साल से ज्यादा का वक्त निकल चुका हैं।