2019 में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली युनिवर्सिटी (DU) ने अपने सभी कॉलेज और डिपार्टमेंट बंद कर दिए थे। बाद में देश भर के विभिन्न युनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश जारी किया गया था।
पिछले 1 महीने से दिल्ली के अंदर कोरोना की धीमी होती रफ्तार को देखते हुए युनिवर्सिटी ने 5 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए सूचित किया कि DU के सभी टीचिंग और नॉन – टीचिंग स्टाफ पूरी क्षमता के साथ काम करेंगे। साथ ही साइंस स्ट्रीम के स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्र भी कॉलेज जा सकेंगे।
मगर इस विज्ञापन के ठीक 1 दिन बाद, 6 अगस्त को दोबारा से विज्ञापन जारी कर DU ने बच्चों के कॉलेज जाने के फैसले को फिलहाल के लिए टाल दिया है।
पिछले डेढ़ साल से बच्चों ने नहीं देखी है कॉलेज की शक्ल
मार्च 2020 में पूर्ण लॉकडाउन के समय से ही बंद दिल्ली युनिवर्सिटी के छात्र – छात्राओं ने लगभग 17 महीनों से अपने कॉलेज की शक्ल तक नहीं देखी हैं। 2020 – 2023 सेशन वाले स्नातक के बच्चों ने तो अब तक यह भी नहीं जाना है कि कॉलेज की ज़िंदगी और वहां का माहौल कैसा होता है? उनका कॉलेज का पहला साल ऑनलाइन मोड ही खत्म हुआ है।
DU के अंतर्गत आने वाले लगभग 100 से अधिक कॉलेज और डिपार्टमेंट बंद पड़े हैं। सभी प्रकार के काम ऑनलाइन ही किए जा रहे हैं। यहां तक कि जुलाई 2021 के अंत में 2021 – 2024 सेशन के लिए स्नातक में एडमिशन की प्रक्रिया भी ऑनलाइन मोड में शुरू कर दी गई है।
संदेह में है युनिवर्सिटी प्रशासन
थोड़ी राहत की खबर आई बच्चों के लिए, जब 5 अगस्त को DU प्रशासन की तरफ से एक ज्ञापन जारी किया गया। इसमें प्रशासन ने यह निर्णय लिया था कि, “सभी कॉलेज और डिपार्टमेंट के सभी टीचिंग और नॉन – टीचिंग स्टाफ पूरी क्षमता के साथ काम करेंगे। साथ ही साइंस स्ट्रीम के स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्र – छात्राओं के लिए 16 अगस्त से कॉलेज खोल दिए जाएंगे। इसके अलावा सभी कोर्सेज की पढ़ाई ऑनलाइन मोड में ही चलेंगी।
लेकिन इस ज्ञापन के ठीक 1 दिन बाद, 6 अगस्त को DU प्रशासन ने एक और ज्ञापन जारी करते हुए अपने पहले लिए गए निर्णय में फेर – बदल किया। इस नए ज्ञापन के मुताबिक, “अभी छात्र – छात्राओं के कॉलेज जाने के फैसले को टाल दिया गया है। टीचिंग और नॉन – टीचिंग स्टाफ ही सिर्फ कॉलेज आएंगे।”
कोरोना से काफी ज़्यादा प्रभावित हुआ था युनिवर्सिटी
इसी साल फरवरी – मई महीने के बीच जब कोरोना पूरी रफ्तार में था, तब DU भी काफी ज़्यादा प्रभावित हुआ था। युनिवर्सिटी में काम करने वाले लगभग 40 से ज़्यादा स्टाफ्स ने अपनी जान गवाई थी। विभिन्न कॉलेजों के कई सारे लोग कोरोना संक्रमित भी हो गए थे।
इसको देखते हुए मई के अंत में युनिवर्सिटी सभी के लिए पूरी तरह से बंद कर दी गई थी।
बच्चे चाहते हैं कॉलेज जाना
कुछ दिनों पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर बच्चों, अभिभावकों और विभिन्न कॉलेज के प्रिंसिपल से DU कैंपस और स्कूल खोलने को लेकर सुझाव मांगे थे। जिसके बाद महज 10 घंटे के अंदर उनके पास कुल 35 हजार से अधिक सुझावों के मेल आए थे।
जब मीडिया ने सिसोदिया से शिक्षण संस्थानों को खोलने को लेकर प्रश्न पूछे तो उन्होंने कहा, “इतने कम समय में इतने अधिक मेल आए हैं कि उन्हें पढ़कर किसी निर्णय तक पहुंचने में समय लगेगा। मोटे तौर पर बात की जाए तो अधिकतर लोग शिक्षण संस्थानों के खुलने के पक्ष में हैं।”