गहरे आर्थिक संकट में है अब मोदी सरकार के हाथ पाँव फूल रहे हैं, पहले खबर आयी थी कि केंद्र का राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) सरकार के 3.8 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में दोगुना से कुछ अधिक होकर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। लेकिन अब इसके 13% तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।
कुछ दिन पहले मोदी सरकार ने पहली बार यह स्वीकार कर लिया है कि वह सार्वजनिक कंपनियों के विनिवेश लक्ष्य को इस साल हासिल नहीं कर पाएगी। एअर इंडिया (Air india) और बीपीसीएल (BPCL) के विनिवेश की प्रक्रिया लगातार टल रही है। सरकार ने इस वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का का बड़ा लक्ष्य रखा था, लेकिन अब इसके पूरे होने की उम्मीद बिल्कुल नहीं है, इसकी वजह से सरकार को इस साल अपने लक्ष्य से डेढ़ गुना ज्यादा करीब 12 लाख करोड़ रुपये का उधार लेना पड़ सकता है।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार निवेशकों का विश्वास भी खोती नजर आ रही है। सितंबर, 2020 के मध्य में जब 18,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी बॉन्ड की नीलामी की गई, तो निवेशकों में बिल्कुल इच्छाशक्ति देखने को नहीं मिली। बहुत संभव है कि RBI नोट छापकर प्रत्यक्ष मुद्रीकरण कर सकता है। फिलहाल जो हालात हैं उसमे सिर्फ यही रास्ता दिख रहा है।