महिलाओं की बात आते ही हमारे समाज में जो छवि बनती है, वो बहुत ही नाजुक, कोमल,और खूबसूरत होने से औरत की बनती है। पर क्या महिलाओं के व्यक्तिव को इन चीज़ों से आंका जा सकता है?
जवाब है नहीं। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अब तक महिलओं ने अपनी बहादुरी, समझदारी और हिम्मत का परचम इतिहास में ऐसा लहराया है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। चाहे वो झांसी की रानी हो, अहिल्लया बाई होल्कर या फिर अरूणा आसिफ अली और सुचेता कृपलानी। सभी ने इतिहास में अपनी अहम जगह बनाई है। और यह साबित किया है कि औरत पुरूष से कही ज्यादा बहादुर और समझदार हो सकती है।
इसी कड़ी में एक और लड़की को याद करना बहुत जरूरी है, जिसका नाम है नीरजा भानोट। जी हाँ, वही नीरजा जिन पर फिल्म बन चुकी है। जिस नीरजा का किरदार सोनम कपूर ने निभाया था। भले ही वह किसी रियासत की महारानी नहीं थी, और न ही राजनेत्री थीं। पर उनकी बहादुरी ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई थी।
आज उन्हीं नीरजा का जन्मदिन है और आज हम उन्हें उनके बलिदान के लिए याद कर रहे हैं। आइए जानते हैं नीरजा के जीवन के बारे में कुछ खास बातें।
माता-पिता ‘लाडो’ थी नीरजा
हर बेटी अपने माता-पिता की लाडली होती है। इसी तरह नीरजा भी अपने माँ-बाप की लाडली बेटी थीं। उन्हें घर में प्यार से ‘लाडो’ बुलाया जाता था। जब नीरजा की बायोपिक में सोनम कपूर ने मुख्य किरदार निभाया था, तो उनकी माँ इस फिल्म को देख कर काफी भावुक हो गईं थी। साथ ही उन्होंने नीरजा को याद करते हुए कहा, ‘यह तो मेरी लाडो ही है।’
कराची में हाईजैक हो गया था पैन ए.एम
5 सितंबर 1986 को पैन एम (Pan Am) फ्लाइट में नीरजा सीनियर फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर काम कर रही थीं। इस प्लेन को पाकिस्तान से जर्मनी से होते हुए अपनी अमेरीका जाना था। पर जैसे ही इस विमान ने पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर लैंड किया, इसमें यात्रियों के साथ कुछ हथियार बंद लोग भी सवार हो गए, यह देख कर नीरजा को सब बातें समझ आ गई।
उन्होंने फौरन अपने पायलट और को-पायलट को जाकर खबर दी कि कुछ लोगों ने विमान को हाईजैक कर लिया है, पर वह अपनी जान बचाने के लिए 350 से ज्यादा लोगों की जान जोखिम डाल कर भाग गए। जिसके बाद विमान में केवल यात्री और केबिन क्रू रह गया था।
बताया जाता है कि आतंकी अमरीका को अपना निशाना बनाना चाहते थे। जब पैन एम उड़ान-73 को कराची में हाइजैक किया गया तब विमान में कुल 380 यात्री थे। हाइजैकर विमान को इजरायल ले जाना चाहते थे और उनकी मंशा किसी बिल्डिंग से क्रैश कराने की थी।
बालों से खींच कर नीरजा को किया गया था प्रताड़ित
कराची एयरपोर्ट पर खड़े विमान पर यात्रियों के स्वागत के लिए नीरजा द्वार पर खड़ी थी। इसी दौरान आंतकियों ने उन्हें बालों से खींच कर प्रताड़ित किया गया था। पर इसके बाद भी नीरजा और केबिन क्रू के बाकी सदस्यों ने 17 घंटों तक यात्रियों को बचाने का प्रयास किया।
लेकिन फिर भी उन हाइजैकर्स ने कुछ 41 अमरीकी यात्रियों मेें से दो यात्रियों की हत्या कर दी थी। दरअसल हाइजैकर्स ने नीरजा को सभी यात्रियों से उनके पासपोर्ट जमा करने को कहा था, ताकि अमरीकी यात्रियों की पहचान की जा सके। लेकिन नीरजा ने काफी चालाकी से सभी पासपोर्ट छिपा दिए थे।
आखिरी सांस तक किया आंतकियों का सामना
हाइजैक की सूचना मिलते ही पायलट और को-पायलट जान बचाकर विमान से निकल गए थे। लेकिन नीरजा ने आखिरीं सांस तक आतंकियों का सामना किया, और लोगों की जान बचाने की हर संभव कोशिश की। इस हादसे में उनकी जान चली गई।
आत्मविश्वास और हिम्मत से लबरेज नीरजा ने साहस और बहादुरी का जो परिचय दिया, वो आज भी भुलाया नहीं जा सकता। आपको बता दें कि जिस दिन नीरजा की मौत हुई उसके ठीक दो दिन बाद ही उनका 23वां जन्मदिन था, पर जन्मदिन से पहले ही आतंकियों ने नीरजा को गोलियों से छलनी कर दिया।
16 साल की उम्र में मॉडलिंग की दुनिया में रखा कदम
नीरजा की माँ का नाम रमा भनोट (Rama Bhanot)और पिता का नाम हरीश भनोट (Harish Bhanot) था। नीरजा का परिवार चंढीगढ़ का रहने वाला था। हालांकि अपना लंबा नीरजा और उनके परिवार ने मुंबई में ही गुजारा।
नीरजा ने 16 साल की उम्र में एक मैगज़ीन के लिए पहली बार मॉडलिंग की। जिसके बाद उनकी खूबसूरती और प्रतिभा ने उन्हें सुपर मॉडल बना दिया। इसके बाद उन्होंने कई विज्ञापनों में काम किया।
कुछ ही महीने में टूट गई शादी
1985 में नीरजा की शादी गल्फ देश में काम करने वाले एक व्यक्ति के साथ हो गई। जिसके बाद नीरजा भी कुछ गल्फ देश में जाकर बस गईं। लेकिन यह शादी ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाई। और कुछ ही महीने में वह अपने मात-पिता के पास मुंबई लौट आईं।
दरअसल, नीरजा ने इसके बाद फ्लाइट अटेंडट के लिए आवेदन किया और अमरीका (मियामी) में जाकर इसकी ट्रेनिंग भी ली। और PAN AM नाम के विमान में बतौर सीनियर फ्लाइट अटेंडेंट काम करने लगीं।
पाकिस्तान ने भी बहादुरी के लिए दिया सम्मान
हीरोइन ऑफ हाइजैक नीरजा को न सिर्फ भारत ने बल्कि पाकिस्तान ने भी सम्मानित किया और उन्हें ‘तमगा-ए-इंसानियत’ से नवाजा।
यही नहीं, अमेरिकी सरकार की तरफ से भी नीरजा को ‘जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। वहीं नीरजा भारत में अशोक चक्र से सम्मानित होने वालीसबसे युवा शख्स बनीं।
वर्ष 2004 में नीरजा के साहस और बहादुरी को सलाम करते हुए इंडियन पोस्टल सर्विस (भारतीय डाक सेवा) ने एक स्टांप जारी किया था। इसके अलावा मुंबई के घाटकोपर में एक चौक को ‘नीरजा भनोट चौक’ का नाम दिया गया है। आज भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘नीरजा को हीरोइन ऑफ हाइजैक’ बोला जाता है।