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भारत में प्रिंट मीडिया की शुरुआत इस अख़बार से हुई थी

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आज के दौर में न्यूज़ पाना बेहद सरल हो गया है.चाहे अखबार हो,टी वी हो,मोबाइल हो इन सबने पत्रकारिता को बेहद सरल और सुलभ कर दिया है. हालांकि पत्रकारिता किसी-न-किसी रूप में मानव सभ्यता के इतिहास में शुरूआत से ही रही है. लेकिन उस दौर की पत्रकारिता आज की पत्रकारिता से बिल्कुल अलग हुआ  करती थी.
चाहे अशोक के समय में पत्थरों की शिलाओं पर लिखे हुए लेख हों या मुगल काल में खबरनवीस या वाकयानवीस, इन सबको पत्रकारिता का ही प्रारंभिक रूप माना जाता है.ये शिलालेख या वाकयानवीस शासन की बात को जनता तक और जनता की बातों को शासन तक पहुंचाने के प्रमुख माध्यम हुआ करते थे.बात जब  प्रिंट पत्रकारिता की करें तो देश में पहली बार पत्रकारिता के लिए प्रेस का इस्तेमाल 29 जनवरी, 1780 को किया गया.
आज से 238 साल पहले यानी सन् 1780 में देश के पहले न्यूज पेपर बंगाल गजट का कोलकाता से प्रकाशन आरंभ हुआ. र्इस्ट इंडिया कंपनी के एक कर्मचारी जेम्स आगस्टस हिक्की ने पहली बार कलकत्ता से चार पृष्ठों के एक अंग्रेजी समाचार पत्र ‘बंगाल गजट का प्रकाशन आरंभ किया.
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इस तरह भारत में मुद्रित पत्रकारिता का युग  प्रारंभ हुआ , जिसका श्रेय हिक्की को जाता है. ‘बंगाल गजट आर कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर नामक यह पत्र ‘बंगाल गजट या ‘हिक्की गजट के नाम से भी प्रसिद्ध था, क्योंकि इसका प्रकाशन हिक्की किया करते थे.
अठारहवीं शताब्दी के अंतिम दशकों के दौरान भारत में रह रहे कुछ यूरोपीयों के अंदर तत्कालीन र्इस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के विरूद्ध गहन आक्रोश और असंतोष व्याप्त था.कलकत्ता इस विक्षोभ का केन्द्र बिन्दू बना. इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप ही ‘हिक्की गजट का प्रकाशन हुआ और उसे देश का पहला समाचार पत्र होने का गौरव प्राप्त हुआ.इससे ही प्रेरणा लेकर भारत में अन्य प्रमुख स्थानों जैसे- मद्रास (अब चेन्नर्इ), बंबर्इ (अब मुंबर्इ) और दिल्ली जैसे जगहों से भी अंग्रेजी के साथ- साथ कर्इ अन्य भारतीय भाषाओं में भी समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ.

क्यों शुरू  किया हिक्की ने पत्रकारिता का कार्य

हिक्की ने पत्रकारिता का कार्य क्यों शुरू किया, इसके बारे में उसने अपने पत्र में लिखा है.उसका कहना था कि कंपनी के अधिकारियों द्वारा भारत में जो लूट मचार्इ गर्इ थी, उससे वह आहत थे. अन्य कर्मचारियों की तरह वह भी यह सब देखते हुए चुप नहीं बैठ सकते थे. इसी वजह से ‘अपने मन और आत्मा की स्वतंत्रता हासिल करने के लिए उन्होंने पत्रकारिता का काम शुरू किया.यह पत्र एक ऐसा साप्ताहिक होने का दावा करता था, जिसकी मुख्य सामग्री राजनीतिक और वाणिज्यिक थी. ‘बंगाल गजट के पहले अंक में हिक्की ने अपने पत्र के उददेश्यों के बारे में लिखा-

“A weekly political and commercial paper, open to all parties but influenced by none.”राजनीतिक और वाणिज्यिक खबरों के अलावा इस पत्र में शादी-ब्याह व अन्य तत्कालीन सामाजिक विषयों जैसे बाजार भाव आदि की भी जानकारियां प्रकाशित की जाती थीं.इस प्रकार समाचारों के प्रति कौतूहल हिक्की ने ही पैदा किया था.
‘संपादक के नाम पत्र कालम को प्रारंभ करने का श्रेय भी ‘बंगाल गजट को ही जाता है.इस कालम के माध्यम से यह भी पता चलता है कि पत्र जनता की भावनाओं को अभिव्यक्ति देने का पक्षधर था.यह एक लोकतांत्रिक सोच को ही दर्शाता है.
25 मार्च, 1780 के अंक में फिलन थ्रोप्स के नाम से संपादक के नाम एक पत्र छपा था, जिसमें कोलकाता के पोर्तगीज श्मशान घाट की गंदगी के बारे में शिकायत की गर्इ थी.
उन दिनों र्इस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों ने निजी व्यापार चलाकर तथा अन्य तरीकों से भारी लूट मचा रखी थी. हिक्की ने इन सब गड़बड़ियों का भांडा-फोड़ करना शुरू किया. इसके लिए समाचार पत्र से अच्छा माध्यम और क्या हो सकता था.
हिक्की के गजट की महारत र्इस्ट इंडिया कंपनी के कर्मियों की निजी जिंदगी का भांडाफोड़ करने में थी.अपने कृत्यों को सबके सामने लाया जाना उस समय के अंग्रेज अधिकारियों को नागवार गुजरा. उन्होंने हिक्की को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिये.हिक्की ने जब वारेन हेसिटंग्स की पत्नी और कुछ अन्य आला अफसरों के विरुद्ध व्यक्तिगत और तीखे प्रहार किये, तब उसे जीओपी (जनरल पोस्ट आफिस) के द्वारा समाचारपत्र भेजने की सुविधा से वंचित कर दिया गया.
हिक्की ने इन सब के बावजूद अपना काम जारी रखा.उन्होंने भ्रष्ट अंग्रेज अधिकारियों के खिलाफ कठोर और निंदात्मक भाषा का प्रयोग करना शुरू किया.’बंगाल गजट ने तत्कालीन गवरनर जनरल वारेन हेसिटंग्स को भी नहीं छोड़ा.अपने पत्र के माध्यम से हेसिटंग्स को अनेक नामों से हिक्की ने पुकारना शुरू किया, जैसे-Mr. Wronghead, The Dictator, The Great Moughal आदि.
अपने पत्र के एक अंक में हिक्की ने हेस्टिंग्स और उनकी पत्नी तथा मुख्य न्यायाधीश सर एलिज इम्पी के बारे में चरित्र हनन संबंधित बातें लिखीं.इस वजह से उन पर मानहानि का मुकदमा चलाया गया. दोष सिद्ध होने पर उन्हें भारी जुर्माना चुकाना पड़ा तथा जेल की सलाखों के पीछे भी बंद रहना पड़ा.इन सबके बावजूद भी हिक्की ने अपना काम जारी रखा.
इस बीच यूरोपीय लोगों की अगुवार्इ में करीब चार सौ हथियारबंद लोगों की भीड़ ने हिक्की के प्रेस पर धावा बोल दिया. हिक्की से जमानत मांगी गर्इ, जिसे वह नहीं दे सका और परिणामस्वरूप उसे जेल भेज दिया गया.उन पर चले मुकदमे में एक आरोप में एक साल की कैद और दो सौ रुपये जुर्माने की सजा हुर्इ, वहीं दूसरे आरोप में मुख्य न्यायाधीश ने वारेन हेसिटंग्स को पांच हजार रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में चुकाने का आदेश पारित किया.इस तरह भारत में पत्रकारिता पर शासकीय अंकुश और दबाव उसके जन्म के साथ ही शुरू हो गया.

क्या था वॉरेन हेस्टिंग्स का आदेश

हिक्की की पत्रकारिता पर वारेन हेसिटंग्स ने पहला प्रहार 14 नवंबर, 1780 को यह आदेश जारी करके किया- ”आम सूचना दी जाती है कि एक साप्ताहिक समाचार पत्र जिसका नाम ‘बंगाल गजट आर कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर है, जो जे. ए. हिक्की द्वारा मुदि्रत किया जाता है, के अंकों में निजी जिंदगी को कलंकित करने वाले अनेक अनुचित अंश पाये गये हैं, जो शांति भंग करने वाले हैं, अत: इसे जीओपी के माध्यम से प्रसारित होने की और अधिक अनुमति नहीं दी जा सकती. यह भारत में समाचार पत्र और शासन के बीच टकराव की प्रथम घटना थी.
इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में जिस जेम्स आगस्टस हिक्की को पत्रकारिता के प्रादुर्भाव का श्रेय जाता है, उसी के खाते में व्यवस्था से टकराने और अभिव्यकित की स्वतंत्रता के लिए प्रताड़ना के रूप में कीमत चुकाने का सम्मान भी दर्ज है.
अपने ऊपर लगाए गये जुर्मानों और मुकदमों से तंग आकर हिक्की अंतत: पूरी तरह से टूट गये. मार्च, 1782 में इस पत्र का प्रकाशन बंद हो गया.’हिकीज गजट के 29 जनवरी, 1780 से 16 मार्च, 1782 तक प्रकाशित होने की पुष्टि होती है, यद्यपि इसके सभी अंक उपलब्ध नहीं हैं.राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता के दुर्लभ ग्रंथ संग्रह में केवल 29 जनवरी, 1780 और 5 जनवरी, 1782 के अंक उपलब्ध हैं.
‘बंगाल गजट का प्रकाशन बंद होने का कारण सिर्फ हिक्की के ऊपर लगाए गए आरोप ही नहीं थे, बल्कि इसके दूसरे भी कारण थे.’बंगाल गजट के संरक्षक फिलिप फ्रांसिस को भी हिक्की के मुफलिसी के दिनों में ही इंग्लैंड वापस लौट जाना पड़ा. इस वजह से हिक्की बिल्कुल अकेले पड़ गये और उनके पत्र को सरकार का कोपभाजन बनना पड़ा. गवर्नर जनरल हेसिटंग्स ने न केवल पत्र के प्रकाशन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले टाइप्स जब्त कर लिए बल्कि हिक्की के प्रेस को बंद भी करवा दिया.

ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि प्रकाशन की दृष्टि से देश का पहला पत्र होने के कारण यह अखबार हर कसौटी पर खरा उतरता था. कर्इ विद्वानों ने ‘बंगाल गजट को हल्का, अगंभीर और चटपटा अखबार कहकर हिक्की की आलोचना भी की है. किन्तु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत में पहला समाचार पत्र प्रकाशन करने का श्रेय जेम्स आगस्टस हिक्की को ही जाता है.भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी पत्रकारिता की अहम भूमिका रही है.
हिक्की ने बिना डरे अखबार के जरिए भ्रष्टाचार और ब्रिटिश शासन की आलोचना की. हिकी को अपने इस दुस्साहस का अंजाम भारत छोड़ने के फरमान के तौर पर भुगतना पड़ा था.
जेम्स हिक्की भारतीय पत्रकारिता के पितामह माने जाते हैं. ब्रिटिश राज में अपना स्वंय का समाचार पत्र प्रकाशित करने का साहस रखने वाले ये उस समय के एकमात्र पत्रकार थे.