हरियाणा में लगातार हो रही रेप की घटनाओं पर मेरा ये लेख देश के प्रधानमंत्री के नाम.
श्रीमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी,
माना कि हरियाणा प्रदेश में आपकी पार्टी (BJP) की सरकार है! पर क्या महज़ 5 दिनों के अंदर 7-7 दरिंदगी और बलात्कारों से आपका कलेजा नहीं पसीजा? (ये तो वह आंकड़े हैं जो निकल कर आए हैं और जिनकी FIR दर्ज हुई है, वरना ना जाने कितनी घटनाओं की तो रिपोर्ट भी दायर नहीं करती पुलिस प्रशासन)
वैसे बलात्कार का कोई पैमाना तो नहीं होता पर एक 15 वर्षीय बच्ची गुरुग्राम में #निर्भया जैसी निर्मम और दर्दनाक हादसे की शिकार हो गई, जैसा की दिल्ली में 2012 के बाद निर्भया नाम एक विशेष सन्दर्भ में देखा जाने लगा और बहुत ही आम हो भी गया है.
आप हर बड़े छोटे मुद्दों पर ट्वीट किया करते हैं, मन की बात करते हैं और फेसबुक पर लाइव भी आते हैं, यहाँ तक की हमने आपको 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया कांड पर राजनीति करते भी देखा है और तत्कालीन सरकार को वोट ना देने की अपील भी देखी है। और कहीं ना कहीं लोगों ने इस पर अमल भी इसलिए किया कि क्या पता कोई सुशासन बाबू सरकार में आएं और सब अचानक ठीक हो जाए।
पर यहां तो बिलकुल उल्टा ही हो गया, सुशासन तो बहुत दूर की बात, सरकार और मीडिया बलात्कार की व्याख्या तक करना पसंद नहीं कर रही है! मनोहर लाल खट्टर जो कि सूबे के मुखिया हैं उनका ब्यान 5वे बलात्कार जो की हरियाणा के फतेहाबाद में हुआ उसके बाद आया है! और जो आया है वो भी उल-जलूल, जो कि मरहम के बजाय पीड़िता के परिवार के लिए घाव का काम कर रहा है.
आपको इसके बीच में आ कर बयान देना चाहिए और सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए आदेश देना चाहिए और साथ ही परिवार के दुःख को साझा करना चाहिए जिससे कि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद तो कम से कम जगे, पर मैं अचम्भे में हूँ कि आप चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?
अखबार के पृष्ठों में तो मानो जंग सा लग गया है, अब ऐसी ख़बरों को अखबार में जगह तक नहीं मिलती। ऐसा क्यों? क्योंकि सरकार भाजपा की है? या पत्रकारिता पर शासन का कब्ज़ा है?
हाँ एक अखबार (नाम नहीं लेना चाहूंगा) में मैंने यह वारदात पढ़ा ज़रूर था पर उसने भी कहीं आठवें या नौवें पन्ने पर एक छोटे से कॉलम में दबा सा डाला हुआ था.
मुझे याद है 2012 में हुए निर्भया कांड का समय! लोग दिल्ली की सडकों पर उतर आये थे पीड़िता को इन्साफ दिलाने के लिए और विपक्ष ने भी खासी भूमिका निभाई थी सरकार के विरुद्ध उस विरोध में, पर दाद देनी पड़ेगी उस समय की सरकार के कदम की भी, की वह विरोध का लापरवाही से जवाब देने और अपनी असमर्थता या दुर्बलता दिखाने के बजाय निष्ठां से अपने कर्त्तव्य का पालन किया और निर्भया की जान को बचाने के लिए सफ़दरजंग अस्पताल में डॉक्टरों ने अपना खून पसीना एक कर दिया तथा उच्च चिकित्सा उपचार के लिए दिल्ली और केंद्र सरकार ने पीड़िता को सिंगापुर के माउंट एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल भेज उसका इलाज़ तक करवाया, पर उसकी ज़िन्दगी को बचाने में नाकामयाब रहे।
मरणोपरांत उसके (निर्भया) के शांत शरीर को प्राप्त करने व् सम्मान देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी खुद दिल्ली हवाई अड्डे पर गए थे।
दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित सहित केंद्रीय मंत्री श्री आर.पी.एन सिंह आदि नेता गण उसके दाहसंस्कार तक परिवार के साथ खड़े रहे और उनके दुःख को साझा किया। उसके तुरंत बाद सरकार ने निर्भया के नाम पर कई सारी परियोजनाओं को लांच किया जिससे की भविष्य में किसी भी परिवार या समाज को इस तरह की वेदना का सामना ना करना पड़े। 2013 में केंद्र सरकार ने अपने बजट में एक राष्ट्रिय कोष की भी घोषणा की जिसका नाम निर्भया फण्ड रखा गया जिसका बजट हज़ारों करोड़ से शुरू किया गया ,ताज़ा जानकारी के हिसाब से उस फण्ड में जमा राशि को किसी भी तरीके से महिला सुरक्षा या महिला शसक्तीकरण के लिए ख़ासा खर्च नहीं किया गया और वह ज्यों का त्यों पड़ा है मात्र कुछ रकम निकाल कर वर्ष 2017 के अंत में खर्च किया गया.
2017 के शुरुआत में मिले आंकड़ों के हिसाब से निर्भया कोष में से पूरे रकम का 16% ही खर्च हुआ था जो की खुद में चिंता का सबब है और सरकार की सतर्कता का संकेत भी है.
निर्भया और उसके परिवार का साथ कांग्रेस सरकार ने केवल उस समय ही नहीं दिया था बल्कि उसके बाद सालों तक उनके दुःख सुख के साथी भी रहे. 2012 के बाद 2014 में सरकार जाने के बाद भी उनके परिवार की देख भल का ज़िम्मा कांग्रेस पार्टी के साथ वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने निर्भया के परिवार की देखभाल का बेड़ा उठाया और उन्होंने निर्भया के एक भाई को रायबरेली के फ्लाइंग स्कूल (इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय उड़ान अकादेमी ) से पायलट की ट्रेनिंग दिलवाई तथा दूसरे भाई को पुणे स्थित एक संस्थान से इंजीनियरिंग में दाखिला कराने में सहयोगिता दिखाई. इन बातों का ज़िक्र खुद निर्भया के परिजनों ने किया है.
अब जब निर्भया काण्ड को काफी साल बीत गया और निर्भया की माँ अब भी न्याय की गुहार लगा रही है तो उनको सरकार लाठी डाँडो से और ज़ोर ज़बरदस्ती से पीछे धकेल उसका हक़ नहीं देना चाहती.
पर मोदी जी मैं आपसे पूछना चाहता हूँ , आप क्या कर रहे और आपके मंत्री तो इस प्रकरण की संवेदनशीलता को समझ ही नहीं रहे, ये आलम तब है जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में हरयाणा मात्र में 1298 बलात्कार के केस दायर हुए और साथ ही एक कलंक का मुकुट भी हरयाणा के सर सजा वह की हरयाणा गैंग रपे के मामले में देश का शीर्ष राज्य है . ये उस राज्य की असलियत है जहा आपने खुद ने “बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ ” का नारा दिया था .
हरयाणा पोलिस प्रशासन के एक उच्च तबके के अधिकारी ने तो यहाँ तक कह दिया क़ि “यह घटनाएं तो जन्म जन्मांतर से हमारे समाज के बीच में है, पोलिस का काम केवल अपराधियों को पकड़ने का है”, और सरकार ने उसे तलब करने के बजाय चुप्पी साध रखी है ! जैसे की कोई और आएगा और उन् परिवारों को न्याय का रास्ता दिखाएगा . बेटी बचाओ का नारा देने मात्रा से बेटियों को इज़्ज़त नहीं मिलती साहब बल्कि उसके लिए विकास बराला जैसे लोगों को पार्टी से बहार का रास्ता भी दिखाना होता है , जो की खुद भाजपा हरयाणा के अध्यक्ष के बेटे हैं और चंडीगढ़ में लड़कियों का पीछा करने के जुर्म में मुख्य अभियुक्त हैं तथा ज़मानत पर बाहर घूम रहे हैं . इससे लोगों में सरकार के लिए सम्मान और अपनी सुरक्षा को लेकर लोग आश्वस्त नज़र आएँगे.
एक बात हम बता देना चाहते हैं मोदी जी, दिल्ली की गद्दी किसी की सगी नहीं हुई, समय का पता नहीं लगता और वह खिसक जाती है।
आशा है कि आप खुद को इस देश के प्रधानसेवक कहलाने मात्र को प्रधानमंत्री नहीं बने इस देश मे चल रही तकलीफों और व्यथाओं को अपना समझने के लिए भी हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।