टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान और दुनिया के सबसे कलात्मक बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन आज 55 साल के हो गये. आज के ही दिन साल 1963 में अजहर का जन्म हैदराबाद में हुआ था. क्रिकेटर से राजनीति में उतरे अजहर क्रिकेट की दुनिया में सबसे सफल कप्तानों में जाने जाते हैं. उनकी उपलब्धियों के चलते ही बॉलीवुड में उनके जीवन पर आधारित फिल्म भी बन चुकी है.
एमएस धोनी ने एक बार कहा था कि फुलस्टॉप के बिना वाक्य अधूरा रहता है. लेकिन भारत के इस बड़े कप्तान को अपना फुलस्टॉप लगाने का सही मौका नहीं मिला था. एक स्कैंडल ने उनके पूरे करियर को पूरी तरह से तबाह कर दिया था.उनके नाम को मिट्टी में मिला दिया था.
भारत सफल कप्तानों में से एक मोहम्मद अजहरुद्दीन को मैचफिक्सिंग के आरोपों की वजह से आजीवन प्रतिबंध का सामना करना पड़ा.हालांकि बाद में बीसीसीआई ने इस प्रतिबंध को हटा लिया. लेकिन जब प्रतिबंध हटाया गया तब काफी देर हो चुकी थी. इस प्रतिबंध ने उनके पूरे कैरियर को तबाह कर दिया.वह बैन को छोड़कर एक बेहतरीन बल्लेबाज़ थे. जिनकी अच्छी खासी यादें हैं.
आइये एक नजर डालते हैं कि मोहम्मद अज़हरुद्दीन को मैच फिक्सिंग के बजाय और किन वजह से याद किया जाना चाहिए..
1.पदार्पण मैच में शतक
अपने देश के लिए क्रिकेट खेलना किसी भी क्रिकेटर का सपना होता है,लेकिन जब आपका ये सपना पूरा हो जाता है आपसे पूरे देश को आशा हो जाती है
ज्यादातर क्रिकेटर ऐसे मौके पर खुद का सेफसाइड लेकर चलते हैं.लेकिन अजहर ने धमाकेदार पदार्पण किया.
साल 1984 में अजहर ने इंग्लैंड के खिलाफ 110 रन बनाकर अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी. साथ ही वह यहीं नहीं रुके उन्होंने अगले मैच फिर 105 रन की शतकीय पारी खेली.
अजहर ने इस सीरीज के तीसरे टेस्ट में कानपुर में हुए मैच में भी 112 रन ठोके और टीम इंडिया में इतना बेहतरीन पदार्पण अभी तक शायद ही किसी ने किया है.
2.एकमात्र भारतीय कप्तान जिन्होंने भारत का नेतृत्व 3 विश्वकप में किया
लगातार रन बनाना और टीम की जिम्मेदारी आगे बढ़कर लेने की वजह से अज़हरुद्दीन ने तीन विश्वकप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया. वह ऐसे एकमात्र कप्तान हैं.
अजहर ने कप्तानी को लेकर कहा,”आपको भारतीय टीम की कमान सँभालने का मतलब आपको किसी लड़ाई लड़ने के बराबर है. इसमें सबसे पहले आपको खुद साबित करना होता है और उसके बाद लोगों को भी संतुष्ट करना होता है.साथ ही आप चीजों को हारते हुए नहीं छोड़ सकते हैं.”
अजहरुद्दीन ने 1992, 1996 और 1999 के वर्ल्ड में टीम इंडिया की कप्तानी का जिम्मा संभाला था. इससे पहले कपिल देव और श्रीनिवास वेंकटराघवन ने 2-2 विश्वकप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था.
अजहर ने अपनी कप्तानी में भारत को 14 टेस्ट और 103 वनडे मैच जिताए थे.1990 से 1999 तक अजहर भारतीय वनडे टीम के कप्तान रहे.
3.बेहतरीन फील्डर
अज़हरुद्दीन को भारत का पहला सबसे डोमिनेंट फील्डर माना जाता है वह एक बेहतरीन फील्डर थे. वह कहते थे,” मैं फील्डिंग पर काफी काम करता हूँ, इसलिए मैंने बहुत सारे कैच पकड़े हैं.”
उन्होंने 334 वनडे में 156 और 147 टेस्ट पारियों में 105 कैच पकड़े हैं.
अजहर को लोग उनकी फील्डिंग के लिए काफी याद करते थे. वह कहते हैं,”मैं कहीं भी जाता हूँ तो लोग मुझसे कहते हैं कि अजहर साहब आप बहुत अच्छी फील्डिंग करते थे. तो मैं उन्हें याद दिलाते हुए कहता हूँ कि मैं एक बेहतरीन बल्लेबाज़ भी था.”
4. क्रीज़ पर मजबूत उपस्थिति
अजहरुद्दीन ने जब तीन लगातार शतक लगाकर अपने करियर का बेहतरीन आगाज किया तो उसके बाद उन्होंने अपना ग्राफ ऊंचा ही रखा.
उन्होंने अपने बल्लेबाज़ी के बारे में कहा,”अगर मैंने रन बनाने का सोच लिया है और मैं अच्छे टच में हूँ तो मुझे ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता है. लेकिन जब मुझे ये पता चल जाता था कि ये मेरा समय नहीं है तो मैं अपनी सबसे अच्छी कोशिश में लग जाता था.”
अजहर ने 99 टेस्ट मैच और 334 वनडे मैच खेले हैं. टेस्ट मैच में अजहर ने 22 शतक और 21 अर्धशतक के साथ 6,216 रन बनाये हैं. वहीं 334 वनडे में उन्होंने 7 शतक और 58 अर्धशतक के साथ 9,378 रन बनाये.
अजहरुद्दीन की बल्लेबाज़ी के बारे में माइक गेटिंग ने कहा था,”जब अजहर की तावीज बाहर निकलकर लटकने लगती थी तो हम लोग समझ जाते थे कि हम अब खतरे में हैं.”
5.भारत के प्रतिष्ठित खिलाड़ी
मोहम्मद अजहरुद्दीन के कैरियर में सबसे खराब पल साल 2000 में आया. इस साल उन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा और बीसीसीआई उनके क्रिकेट खेलने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया. हालांकि 8 नवंबर 2012 को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने अजहर पर लगे आजीवन प्रतिबंध को खारिज कर दिया. लेकिन तब तक अजहर अपना क्रिकेट कैरियर समाप्त कर चुके थे.
जब वह फिक्सिंग के आरोपों में घिरे तब लोगों ने उनकी काफी आलोचना की. ये अलग बात है, कि बाद में उन्हें उन आरोपों से बरी कर दिया गया. लेकिन अजहरुद्दीन जब तक भारतीय टीम के लिए खेले वह टीम को लगातार प्रतिष्ठित कराते रहे.
8.राजनीति में अजहर
फिक्सिंग के आरोप लगने के बाद अजहर का क्रिकेट कैरियर खत्म हो गया था. लेकिन उन्होंने 2009 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर अपनी दूसरी की शुरुआत एक राजनेता के रूप में ही. अजहर ने 19 फरवरी 2009 में कांग्रेस पार्टी से जुड़े और इसी साल उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से जीत कर संसद पहुंचे.
6.कई बड़े पुरस्कारों से नवाजे गये हैं
मोहम्मद अजहरुद्दीन को उनके बेहतरीन खेल के लिए कई बड़े पुरस्कारों से भी नवाजा गया था. सबसे पहले उन्हें 1985 में बेस्ट इंडियन क्रिकेटर का पुरस्कार मिला.1986 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया. 1988 में पद्म श्री से नवाजा गया. 1991 में अजहर विजडन क्रिकेटर ऑफ दी इयर के लिए चुने गये.
इस तरह से अगर देखा जाये तो अजहरुद्दीन ने भारतीय क्रिकेट को काफी गौरवान्वित किया है. लेकिन उन्हें एक स्कैंडल की वजह से लोग उनके अच्छे आयामों को भूल गये हैं.
0