ख़बर उत्तरपरदेश से है, जहां एक मुस्लिम लड़की अंजुम सिफ़ी ने अपने पिता के सपने को 25 साल बाद पूर्ण किया है. अंजुम सैफ़ी के पिता को उगाही करने वाले गुंडों ने मुज़फ्फरनगर में सन् 1992 में गोलियों से सिर्फ़ इसलिये भून डाला था कि वो उनके सामने तन कर खड़े हो गये थे, तब अंजुम सैफ़ी की उम्र सिर्फ़ चार साल थी .
25 साल बाद जब 14 अक्टूबर को UPPSC द्वारा आयोजित सिविल जज जूनियर डिवीज़न परीक्षा के सफल अभ्यार्थियों में अंजुम सैफ़ी ने अपना नाम देखा तो आँखों से आँसू निकल पड़े, कि जिस ख़्वाब को उसके पिता ने देखा वो आज पूरा हुआ, मगर ये दिन देखने के लिये वो दुनिया में नहीं हैं .
अंजुम सैफ़ी के भाई दिलशाद जिन्होंने बहन के सपने पूरे करने के लिये शादी नहीं की और बुज़ुर्ग वालिदा हमीदा बेगम अंजुम की इस उपलब्धि पर खुश हैं और कहते हैं कि अंजुम के पिता के ख़्वाब को पूरा करने के लिये परिवार ने बहुत मुश्किल दिन गुज़ारे .
अंजुम सैफ़ी कहती हैं कि 25 साल पहले मेरे पिता ने अन्याय के आगे झुकने से इनकार किया था, मैं उनकी उसी सीख और न्याय के प्रति लोगों के विश्वास को बरक़रार रखना चाहती हूँ !