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युवाओं के बीच सर्वाधिक लोकप्रिय कवि हैं "कुमार विश्वास"

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उत्तर प्रदेश पुराने समय से ही कवियों, लेखकों का गढ़ रहा है. तुलसीदास, सूरदास सरीखे कई कवियों ने हिंदी भाषा को समृद्ध और परिपूर्ण किया है.ग़ालिब,मीर जैसी हस्तियां भी यहाँ मौजूद रही हैं. जैसे-जैसे हमारी आज की पीढ़ी बड़ी हुई, उनके पास ऐसी हस्तियां मौजूद नहीं थीं, लेकिन वक्त हम पर इतना भी कठोर नहीं हुआ और हमें कुमार विश्वास जैसे कवियों के लेखन से रूबरू करवाया, जिसे युवाओं के कवि का खिताब मिला. 10 फ़रवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के पिलखुआ में जन्म लेने वाले इस कवि ने ‘कोई दीवाना कहता है’ से अपनी जगह इस देश के तमाम युवाओं के दिलों में बना ली थी.
वर्ष 1994 में राजस्थान के एक कॉलेज में व्याख्याता (लेक्चरर) के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले कुमार विश्वास हिंदी कविता मंच के सबसे व्यस्ततम कवियों में से एक हैं. उन्होंने कई कवि सम्मेलनों की शोभा बढ़ाई है और पत्रिकाओं के लिए वह भी लिखते हैं. मंचीय कवि होने के साथ-साथ विश्वास हिंदी सिनेमा के गीतकार भी हैं और आदित्य दत्त की फिल्म ‘चाय गरम’ में उन्होंने अभिनय भी किया है.

विश्वास की प्रारंभिक शिक्षा पिलखुआ के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई. उन्होंने राजपुताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है. इनके पिता चाहते थे कि कुमार इंजीनियर बनें. लेकिन इनका इंजीनियरिंग की पढ़ाई में मन नहीं लगता था. वह कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और हिंदी साहित्य में ‘स्वर्ण पदक ‘ के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की. एमए करने के बाद उन्होंने ‘कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना’ विषय पर पीएचडी प्राप्त की. उनके इस शोधकार्य को वर्ष 2001 में पुरस्कृत भी किया गया.
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अगस्त, 2011 में कुमार ‘जनलोकपाल आंदोलन’ के लिए गठित टीम अन्ना के लिए सक्रिय सदस्य रहे हैं. दिल्ली में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन के मंच से कविताएं सुनाकर जन जागरण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वहां वह उस वक्त विवादित बन गए, जब उन्होंने अक्टूबर 2011 में चिट्टी लिख कर टीम अन्ना को भंग करने की मांग उठा दी.

कुमार विश्वास ने वर्ष 2014 में अमेठी से राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें बाजी नहीं मार पाए.वह इस वक्त दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी के साथ हैं.सियासत और साहित्य में विवादों से नातेदारी को लेकर वह कहते हैं,

“मेरी पार्टी भी जानती है कि मैं राजनीति नहीं कर सकता, इसकी जगह मैं कविता करता हूं. कविता और राजनीति के बीच संतुलन बनाना कठिन है. अगर मैं सुबह एक शेर ट्वीट करूं तो शाम में खबर बनेगी कि विश्वास और अरविंद केजरीवाल के बीच मतभेद बढ़े.”

कुमार की लोकप्रिय कविताएं हैं- ‘कोई दीवाना कहता है’, ‘तुम्हें मैं प्यार नहीं दे पाऊंगा’, ‘ये इतने लोग कहां जाते हैं सुबह-सुबह’, ‘होठों पर गंगा है’ और ‘सफाई मत देना’.

कवि सम्मेलनों और मुशायरों के अग्रणी कवि कुमार विश्वास अच्छे मंच संचालक भी माने जाते हैं.देश के कई शिक्षण संस्थानों में भी इनके एकल कार्यक्रम होते रहे हैं.शुरुआती दिनों में जब कुमार विश्वास कवि सम्मेलनों से देर से लौटते थे, तो पैसे बचाने के लिए ट्रक में लिफ्ट लिया करते थे.

  • विख्यात लेखक धर्मवीर भारती ने कुमार विश्वास को अपनी पीढ़ी का सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला कवि कहा था.प्रसिद्ध हिंदी गीतकार नीरज ने उन्हें ‘निशा-नियाम’की संज्ञा दी है.
  • वर्ष 1994 में कुमार विश्वास को ‘काव्य कुमार’ 2004 में ‘डॉ सुमन अलंकरण’ अवार्ड, 2006 में ‘श्री साहित्य’ अवार्ड और 2010 में ‘गीत श्री’ अवार्ड से सम्मानित किया गया.
  • कुमार विश्वास इस समय के सबसे लोकप्रिय कवियों में से एक हैं. वह इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले कवि हैं.