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योगीराज में पुलिसिया कार्यवाही से खौफ मे हैं पश्चिम बंगाल के मज़दूर

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CAA-NRC के खिलाफ देशव्यापी कॉल में 19 दिसंबर को लखनऊ में राज्य द्वारा प्रायोजित हिंसा के बाद पुलिसिया दमन पूरे उत्तर प्रदेश मे देखने को मिला, हिंसा के उपरांत योगी सरकार की जेम्स बांड पुलिस इसे कश्मीरी व बंगलादेशी एंगल देने में जुट गयी। जिसका नतीजा यह निकला कि 300 के आस पास राज्य के होटल्स में, वेटर का काम करने वाले मजदूरों में खौफ़ का माहौल है और उन्हें पलायन करना पड़ा है।
लखनऊ, 2 जनवरी 2020 ब्यूरो रिपोर्ट: कहा जाता है जंग हो या सरकार का दमन इसमें सबसे ज्यादा निशाने पर हमेशा महिलाएं और कामगार तबके इसका परिणाम भोगते हैं, CAA NRC के खिलाफ 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए प्रदर्शन के बाद ऐसा ही हुआ । प्रदेश की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। वहीं राजधानी लखनऊ के मशहूर दस्तरख्वान, नौशीजान और ओपन एयर के वेटर्स पर क़यामत आ गयी।  उत्तरप्रदेश पुलिस ने पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के 6 वर्कर को गिरफ्तार किया है, पुलिस द्वारा पकड़े गए बंगाल के इन्ही युवा मज़दूरों के बल पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरे मामले को बांग्लादेशी एंगल दे रहे हैं। जिससे राज्य में रहने वाले बांग्लाभाषियों पर ज़ुल्म ढाया जा सके, अब तक खबर के मुताबिक 300 के आस पास मज़दूरी करने वाले युवा पश्चिम बंगाल लौट चुके है।
पश्चिम बंगाल के इन 6 युवाओ का केस लड़ने वाली लखनऊ हाई कोर्ट की अधिवक्ता और मानवधिकार कार्यकर्त्ता सुश्री अश्मा इज्ज़त ने बताया कि पुलिस के दावे झूठे और निराधार हैं। यह युवा राजधानी में अपने होटल्स में काम कर रहे थे, जिनका प्रोटेस्ट से कोई लेना देना नहीं था। होटल में काम करने के सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं।  सरकार सूबे में NRC लागू करने के लिए बांग्लाभाषियों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए यह कहानी गढ़ रही है। जिससे घुसपैठिया और बांग्लादेशी एंगल डाल कर समाज को बांटने का कम किया जा सके।

हाई कोर्ट की अधिवक्ता और मानवधिकार कार्यकर्त्ता सुश्री अश्मा इज्ज़त ने बताया, कि बंगाली विक्टिम्स पिछले 5 सालो से इन होटल में काम करते हैं। होटल के मालिक ने बताया की यह बच्चे बहुत ही मेहनत ईमानदारी से काम करते हैं, जिस दिन देर रात लखनऊ पुलिस ने इन्हें उठाया वो अपने घरो में आराम कर रहे थे।  हाई कोर्ट की अधिवक्ता और मानवधिकार कार्यकर्त्ता सुश्री अश्मा इज्ज़त कहती हैं, पेशे से वेटर सागर अली पुत्र आरिफुल इस्लाम जो कि हरिश्चंदरपुर मालदा (पश्चिम बंगाल) के निवासी हैं। उनके कान के ऑपरेशन के बाद वो बीमार रहते हैं, गिरफ्तारी के वक़्त पुलिस ने उनके साथ मारपीट की जिससे उनका कान बह रहा है,  सागर को लिवर में इनफेक्शन है जिसकी वजह से वो जेल में काफी परेशानी का सामना कर रहा है।
हाई कोर्ट की अधिवक्ता और मानवधिकार कार्यकर्त्ता सुश्री अश्मा इज्ज़त कहती हैं, कि नौशी जान रेस्टोरेंट के मालिक शमील शम्शी से और औपन एयर रेस्टोरेन्ट के मालिक उत्तम से बात करने पर उन्होने बताया, कि वो सारे लड़के जो जेल में बन्द हैं। वो सभी लोग काम करने वाले लड़के थे और लगभग 5 सालों से लखनऊ में रह कर काम कर रहे थे। वो लोग इस प्रोटेस्ट में शामिल भी नही थे, लेकिन पुलिस ने उन लोगों को उनके कमरों से गिरफ़्तार किया था, पेशे से वेटर खैरूल और सलेहदुल को (हरिश्चंदरपुर मालदा, पश्चिम बंगाल के रहने वाले) पुलिस उन दोनो भाई को थाने ले गई रात थाने पर रखा और बहुत मारा उसके बाद उन्हे जेल भेज दिया गया।
हाई कोर्ट की अधिवक्ता और मानवधिकार कार्यकर्त्ता सुश्री अश्मा इज्ज़त ने बताया की इन 6 युवाओ पर धारा 154 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत 157/148/149/152/323 /504/506 /332/ 353/ 188/ 435/ 435/ 436/ 120B/ 427/ 3/ 4/ 7 के साथ साथ अटेम्प टू मर्डर 307 जैसी गंभीर धारा लगाई गयी है। जो सरासर राज्य द्वरा एक्सेसिव पॉवर के इस्तेमाल के साथ साथ बांगलभाषी अल्पसंख्यक जो उत्तर प्रदेश के अन्दर रहते हैं। उनकी रोज़ी रोटी पर हमले का मामला है, सुश्री एडवोकेट अश्मा ने पत्रकारों को बताया की उन्हें हाईकोर्ट से बेल की पूरी उम्मीद है और जल्द वो जेलों से रिहा कराकर दम लेंगी।