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राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होगा 2018 का बजट सत्र

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राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ आज बजट सत्र के पहले भाग की शुरुआत होगी. बतौर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का यह पहला अभिभाषण होगा. सुबह करीब 11 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संयुक्त सत्र को सेंट्रल हॉल में संबोधित करेंगे. राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ सरकार इकॉनोमिक सर्वे भी पेश करेगी.
केंद्र की मोदी सरकार की यह चौथा पूर्ण बजट है. जीएसटी लागू होने के बाद यह पहला बजट है, वहीं 2019 लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी पूर्ण बजट है. इस लिहाज़ से बजट काफी महत्वपूर्ण है, बजट 1 फरवरी को पेश होगा.
 
हालाँकि,राष्ट्रपति का अभिभाषण केंद्र सरकार का ही दस्तावेज होता है जिसमें केंद्र सरकार की पिछले साल की उपलब्धियों के साथ-साथ आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के विज़न, योजनाओं और एजेंडे का खाका होता है. बजट सत्र का पहला भाग 29 जनवरी से 9 फरवरी तक चलेगा, वहीं दूसरा हिस्सा 6 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा.
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इस सत्र के सुचारू संचालन के लिए विभिन्न दलों से सहयोग मांगा है. सुमित्रा महाजन ने रविवार को विभिन्न दलों के नेताओं के लिए आयोजित डिनर के दौरान यह अपील की. संसद भवन की लाइब्रेरी में आयोजित रात्रि भोज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विभिन्न दलों के नेता डिनर में शामिल हुए.
1 फरवरी यानी गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट पेश करेंगे. वित्त मंत्री के साथ इस बजट को तैयार करने में कई लोग लगे हुए हैं. हंसमुख अध‍िया वित्त सच‍िव हैं. 1981 के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. बजट टीम में अध‍िया सबसे अनुभवी अध‍िकारी हैं. वह इस साल टीम की अगुवाई कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों को सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र को सार्थक बनाने के लिये रचनात्मक माहौल बनाने की अपील की. संसद के बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सभी राजनीतिक दलों की ओर से उठाये गए मुद्दों को पूरी प्राथमिकता देती है. प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि सभी राजनीतिक दलों को बजट सत्र को सार्थक बनाने के लिये रचनात्मक माहौल बनाना चाहिए.
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे संकेत दिए थे कि ये बजट लोकलुभावन नहीं होगा. पीएम मोदी ने कहा था कि आगामी आम बजट कोई लोकलुभावन बजट नहीं होगा और सरकार सुधारों के अपने एजेंडे पर ही चलेगी, जिसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था “पांच प्रमुख” कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की जमात से निकलकर दुनिया का “आकर्षक गंतव्य” बन गया है.