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क्या कोई सरकार उत्तराखंड के मेडिकल छात्रों की आवाज़ सुनेगी?

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देश के HRD मिनिस्टर हैं रमेश पोखिरियाल, रमेश जी आयुर्वेद की महत्ता पूरी दुनिया मे फैलाने में लगे हैं। अणु परमाणु ओर वैदिक ज्ञान के बड़े एक्सपर्ट बताए जाते हैं रमेश जी। वैसे सुना है कि उनके द्वारा जर्मनी के छात्रों को भी योग सिखाने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन उन्हें अपने गृहप्रदेश उत्तराखंड के 3500 छात्र नही दिख रहे, जो पिछले महीने भर से रोज धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी बस इतनी सी माँग है कि जो बिना नियमों का पालन किए मेडिकल फ़ीस 80,000 सालाना से बढ़ाकर 2 लाख 15 हज़ार कर दी गई है उसे वापस लिया जाए।
यह सारा मामला अक्टूबर 2015 में शुरू हुआ था, अक्टूबर में जब आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव ने आयुष सचिव को गुमराह कर निजी संस्थानों को लाभ पहुंचाने की नियति से शुल्क वृद्धि का आदेश जारी करा दिया था। जिसमे तत्काल प्रभाव से BAMS पाठ्यक्रम का शुल्क एकाएक 80,500 से बढ़ाकर 2,15,000 और BHMS पाठ्यक्रम का शुल्क 73,600 से बढ़ाकर 1,10,000 कर दिया था। जबकि सचिव आयुष को यह अधिकार ही नहीं था, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग के अधीन गठित प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति अधिकृत थी। जिसमे आयुष सचिव और विश्वविद्यालय के कुलसचिव सदस्य भी नहीं है।
शासन के इस आदेश को पीड़ित छात्रों ने माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसको पहले एकल पीठ और बाद में खण्ड पीठ ने 14 अक्टूबर 2015 के अवैध आदेश को निरस्त कर दिया। जिसके बाद विवि प्रशासन सिंगल बेंच के आदेश के विरुद्ध डबल बेंच पहुँचा किन्तु उसे वहां भी मुंह की खानी पड़ी।
लेकिन इसके बावजूद कॉलेज छात्रों पर फीस देने का दबाव बना रहे हैं। यानी कि आप सोचिए कि, उत्तराखंड का ये शिक्षा माफिया कितने शक्तिशाली हैं, कि हाईकोर्ट के दो-दो ऑर्डर आ चुके हैं। यूनिवर्सिटी कह रही है, कि हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करिए, सरकार कह रही है कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन करिए। लेकिन कॉलेज किसी की नही मान रहे, वह अपना अलग ही राग अलाप रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि ये मेडिकल कॉलेज छात्रों से बढ़ी हुई फीस बैक डेट से वसूलने की बात कर रहे हैं। यानी यह कुछ ऐसा ही है, जैसा किसी स्कूल में फीस बढ़ जाए। जिस समय फीस बढ़े, उस समय आप 12वीं में पढ़ रहे हों. और आपसे कहा जाए कि अब आपको 11 की भी बढ़ी हुई फीस देनी होगी।  ये कुछ वैसा ही मामला है।
छात्रों का कहना है कि इन कॉलेजों को चलाने वालों का रसूख किसी भी कोर्ट या सरकार से ऊपर है। यही कारण है कि हाईकोर्ट के आदेश भी उनके आगे बौने साबित हो रहे हैं। कथित तौर पर बताया जा रहा है, कि बढ़ी हुई फीस वसूलने वाले एक कॉलेज के मालिक देश में आयुर्वेद का डंका बजाने वाले एचआरडी मिनिस्टर खुद हैं और एक कॉलेज के मालिक प्रदेश के आयुष मंत्री हैं।
उत्तराखंड के 16 आर्युवेदिक कॉलेज के हज़ारों छात्र छात्राएँ पिछले 45 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। धरना दे रहे हैं। प्रोटेस्ट कर रहे हैं। गिरफ्तारियां दे रहे हैं, लेकिन किसी के कानों पर जूं भी नही रेंग रही है। चूंकि अब कालेज वालो के सैया ही कोतवाल बन गए हैं, तो कालेज वालो को अपनी मनमानी करने में किस बात का डर? वह खुलकर हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। और केन्द्र ओर राज्य में बैठी भाजपा सरकार तमाशा देख रही है।