तालिबान अपने लड़ाकों को सैन्य ठिकानों पर वापस क्यों बुला रहा है।

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बीते गुरुवार तालिबान (taliban) ने अफगानिस्तान (afganistan) में एक नया आदेश जारी किया। ये आदेश तालिबानी लड़ाकों के लिए है। जिसमे उन्हें उन निजी घरों को खाली करने के लिए कहा गया है, जिन पर हमले के दौरान कब्ज़ा कर लिया गया था।

गौरतलब है कि 15 अगस्त (15 August) को काबुल पर तालिबानी नियंत्रण के बाद से ही पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का नियंत्रण हो गया था। AP NEWS के मुताबिक, ये तालिबानी रैंकों के बीच आदेश लागू करने का एक स्पष्ट प्रयास है।

तालिबानी लड़ाकों को रिपोर्ट करने की ज़रूरत :

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक, तालिबान के प्रधानमंत्री हसन अखुंड के दिये गए आदेशो के मुताबिक देश भर में निजी घरों में रह रहे तालिबानी लड़ाकों को जल्द से जल्द सैन्य ठिकानों पर रिपोर्ट करने की बात कही है। ऐसा समूह की रक्षा के लिए किया जा रहा है।

अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक किए गए बयान के माध्यम से मार्शल और सेनानियों को बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी। तालिबानी सुरक्षा अधिकारी बिलाल करीमी ने एसोसिएटिड प्रेस (associated press) से निर्देशों की पुष्टि भी की है। वहीं दूसरी ओर काबुल पर कब्ज़े के बाद सेना ने अपने घुटने टेक दिए थे, जिसके बाद तालिबान ने अपनी पारंपरिक पोषक को सैन्य वर्दी से बदल लिया।

महिला रैली पर चलाई थी गोलियां :

राजधानी काबुल (kabul) में कुछ दिनों पहले तालिबानी लड़ाकों ने समान शिक्षा अधिकारों की मांग कर रही महिला रैली पर गोलियां चलाई थी। रिपोर्ट्स के हवाले से ये काबुल में स्थित एक स्थानीय स्कूल के बाहर की घटना है। जहाँ महिलाएं तालिबान के खिलाफ रैली कर रही थी, जिसे तीतर बितर करने के लिए तालिबान ने गोलियों की बौछार कर दी।

इतना ही नहीं रैली में प्रयोग किये गए पोस्टरों को भी ज़ब्त कर लिया गया, जिन पर “हमारी किताबें मत जलाओ” लिखा था। हालांकि, बाद में संवाददाताओं से बात करते हुए तालिबान के नेता मावलवी नसरतुल्लाह ने कहा कि महिलाओं ने रैली की अनुमति नहीं ली थी। गौरतलब है कि 1990 में जब अफगान में तालिबान का शासन आया था तब शरीयत के कठोर कानून के तहत सबसे ज़्यादा पाबंदी महिलाओं पर ही लगाई गई थी।

अफगानिस्तान बड़े संकट की तरफ बढ़ रहा है :

इस माहौल के बीच IFRC ( international federation of the red cross) के क्षेत्रीय प्रमुख ने कहा है कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान वित्तिय कमी के साथ एक बड़े मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है। इतना ही नहीं क्षेत्रीय प्रमुख अलेक्जेंडर मैथ्यू ने कहा कि सर्दियां आने वाली है तो तापमान में गिरावट आना स्वाभाविक है ऐसे में सूखा और भोजन की कमी के कारण दिन और भी कठिन होंगे। इसलिए IFRC अफगानिस्तान के 16 प्रान्तों के लिए 38 मिलियन डॉलर की मांग कर रहा है।

वित्त सेवा पहले से बंद है :

बता दें कि तालिबान के अधिग्रहण के बाद से ही विश्व बैंक (world bank) और IMF ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली वित्तिय सेवा को बंद कर दिया गया था। इतना ही नहीं यूएसए, स्पेन जर्मनी यूके आदि देशों ने भी अफगानिस्तान से आर्थिक मदद के हाथ खींच लिए थे। पूरा अंतराष्ट्रीय समुदाय इस वक्त इंतज़ार कर रहा है कि क्या तालिबान फिर से अफगानिस्तान में कठोर शासन लागू करेगा?

मालूम हो कि, इस बीच पाकिस्तान और चीन तालिबान के खेमे में दिखे थे। बीते बुधवार चीन की राजदूत हुआ चिनयिंग ने कहा की- “अफगान और चीन के बीच दोस्तना है और चीन ने सर्दियों के लिए अफगान में आपूर्ति भी कर दी है जिसमें राशन और अन्य सामान के साथ पहली खेप बुधवार को अफगान पहुँच चुकी है।”