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देश में कब लगाम लगेगी हत्यारी भीड़ पर और कब थमेगा हत्याओ का सिलसिला

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आखिर ये सिलसिला कहाँ रुकेगा? गोहत्त्या के नाम पर उत्तर प्रदेश के दादरी में अख़लाक़ के घर में घुस कर पगलाई भगवा आतंकियों की भीड़ ने उनकी पीट , पीट कर हत्त्या कर दी फिर तो ये सिलसिला चल पड़ा राजस्थान में गाय खरीदने गए पहलु खान की हत्त्या हुई जमशेदपुर लातेहार , झारखण्ड में मिन्हाज की हत्त्या हुई। कोलकाता , जम्मू देश की राजधानी दिल्ली में गो आतंकियों ने पीट ,पीट कर मुसलमानो को मारा , लुटा और उनकी हत्या की। ताज़ा मामला मेवात के 5 मुस्लिम लड़को का है , जिन्हें दिल्ली से ईद की खरीदारी कर घर वापसी पर चलती ट्रेन में पीटा गया और एक की चाक़ू मार कर हत्या कर दी। भगवा लहर के इस दौर में भगवा आतंक चरम पर है। मुसलमानो की जान ओ माल खतरे में हैं, वे कहीं भी सुरक्छित नहीं है और उनके क़ातिल आज़ाद घूम रहे हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न होना उल्टा मुसलमानो पर सख्ती करने का मतलब ही है कि मोदी सरकार हो या राज्यों की भाजपा सरकार , इन्हें इन सरकारों का खुला समर्थन प्राप्त है और सरकारी संरक्छचन में ही ये हत्याएं हो रही हैं।
Supereme court भी संज्ञान नहीं ले रहा है। ये एक तरह से भारत में सिविल वॉर के लिए मुसलमानो को उकसाने और भड़काने की कार्रवाई है। हकीकत भी यही है कि जब तक मुसलमान ख़ामोशी से बर्दाश्त कर रहा है सब ठीक है , लेकिन जिस दिन भी वो बेसब्र हो।0 कर मैदान में आ गया तो सिविल वॉर को रोकना मुश्किल होगा। और फिर बड़े पैमाने पर सीरिया और अफगानिस्तान की तरह मार , काट और खून खराबा ही देखने को मिलेगा।
जिस प्रकार से वामपंथी पार्टिया और सेक्युलर कही जाने वाली कांग्रेस , समाजवादी , बहुजन समाज पार्टी और राजद वगैरह के नेता खामोश हैं और इस mob lynching के खिलाफ आंदोलन नहीं चला रहे हैं और ना ही ओवैसी , आजम खान ,मौलाना रशादी कुछ बोल रहे हैं ये भी अफसोसनाक है। ऐसा लगता है कि मुसलिम लीडरशिप भी डरी हुई है। ओवैसी ने जो जज़्बाती सियासत की उसका नुकसान भी कौम को भोगना पड़ रहा है और अब असदुद्दीन ओवैसी का दूर , दूर तक पता नहीं है। उनकी पार्टी इस मुद्दे पर खामोश है। तीन तलाक और हलाला पर तो मुस्लिम संगठनो के बोल सुनाई दे रहे थे लेकिन moblynching में भगवा संघी अतंकियौ के हाथों निर्दोष मुसलमानो की हत्या पर उनकी ख़ामोशी भी समझ से परे है। लगातार घटती इन घटनाओं और अपराधियों को दी गयी खुली छूट से मुसलमानो का विश्वास बुरी तरह डगमगाया है और उन्हें इंसाफ की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है।अविश्वास ही आगे चल कर आतंकवाद को जनम देगा जिसमे सिर्फ और सिर्फ तबाही है और तबाही के सिवा कुछ नहीं है। देश के इंसाफपसंद बहुसंख्यकों की भी इस तरह के भगवा आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाना होगा और अपराधियों के खिलाफ जनमत बनाना होगा। वरना मुश्किल होगी और देश में अशांति का बोलबाला होगा।