सरकार के इस भेदभाव का क्या किया जाए ?

Share

लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा के बाद मुंबई के ब्रांद्रा स्टेशन पर कल अचानक भीड़ लगने के बाद आज कुछ पुरानी खबरें सामने आ रही हैं। इन खबरों के शीर्षक हैं

  1. हरिद्वार में फंसे थे गुजरात के 1800 लोग, रूपाणी के कहने पर उन्हें लॉकडाउन के बीच बसों से घर पहुंचाया गया (दैनिक भास्कर, 03 अप्रैल 2020)
  2. गुजरात के यात्री तो भिजवा दिए हमारी भी सुध लो सरकार (अमर उजाला, 28 मार्च 2020)
  3. गुजरात से लौटे 105 कर्मचारी होम क्वारंटाइन, छह पुलिसकर्मी भी शामिल, (31 मार्च, दैनिक जागरण 2020) आदि।

जाहिर है बहुत सारे लोगों को विशेष बसों से पहुंचाया गया है। कुछ लोगों को कल खदेड़ कर भगा दिया गया और रजत शर्मा जैसे पत्रकार ट्वीट कर रहे हैं इतनी बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ चिन्ता की बात है। इन्हें किसने बुलाया? बताना तो पत्रकारों का काम है और पत्रकार ही पूछ रहा है। यह है विकास जो 2014 के बाद देश में हुआ है। मैं टीवी नहीं देखता क्या रजत शर्मा या उनके चैनल ने गुजरात के यात्रियों को विशेष बसों से हरिद्वार से ले जाने की खबर आपको बताई थी? अगर नहीं बताई तो क्या प्रवासियों के ही इकट्ठा होने से कोरोना फैलेगा ?

हरिद्वार से गुजरात भेजने का यह मामला तब हुआ है जब दिल्ली में पैदल जाने को तैयार हजारों लोगों की भीड़ देखी गई थी। उसके बाद हुआ है। जो लोग सरकार की बात मानकर 21 दिन क्वारंटाइन रह लिए और अब तक उनमें लक्षण नहीं हैं उन्हें उनके घर जाने देने में कोई हर्ज नहीं है। सरकार का काम है कि उसकी व्यवस्था करती । पर सरकार खास लोगों का ख्याल रख रही है। आम लोग लाठी खा रहे हैं। एक तरफ सरकार विशेष बस और विशेष विमान की व्यवस्था कर रही है और दूसरी तरफ आम आदमी के जाने के लिए साधन नहीं है।

बात इतनी ही नहीं है। अगर नहीं जाने देना था तो आरक्षण क्यों कराया गया? और अगर कराया गया तो पहले क्यों नहीं बताया गया। क्या सभी फैसले अलग-अलग अंतिम समय में होते हैं? और सरकार को ये बातें नहीं समझ में आ रही हैं तो रजत शर्मा जैसे संपादकों को भी नहीं समझ में आए यह कौन सी बीमारी है? बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित पहुंचाना जरूरी है तो मेहनत मजदूरी करने वाले युवाओं को काम में लगाना भी जरूरी है। ये हार्डवर्किंग पीएम से ज्यादा कौन समझेगा?

लेकिन हो यह रहा है कि झारखंड सरकार ने कुछ लोगों को झारखंड में ही रांची से दूसरे स्थान पर भेजा तो भाजपा नेता बाबू लाल मरांडी ने संबंधित मंत्री के धर्म के आधार पर लोगों को बांग्लादेश की सीमा पर भेजने का आरोप लगा दिया।