क्या है स्वीडन के शहर माल्मो में हुए दंगे के पीछे की मुख्य वजह ?

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” जो कोई अपने धर्म का महिमामंडन करता है और अन्य लोगों के धर्म की निंदा करता है, वह वास्तव में अपने ही धर्म को नुकसान पहुँचाता है। अतः धर्मों के बीच संपर्क होना सबसे अच्छा है, व्यक्ति को बाकी लोगों के मतों के बारे में सुनना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। देवों के प्रिय, पियदसी चाहते हैं कि सभी लोगों को अन्य धर्मों की अच्छी बातों की जानकारी होनी चाहिए। ” – भारत का महान सम्राट अशोक ( आज से लगभग 2300 साल पहले )

आज 2300 साल बाद भी ‘बुद्धि से शून्य’ एक दूसरे के धर्मों को गाली देकर बस नफरत बोने वालों को क्या शर्म आएगी ?

स्वीडन (Sweden)  एक बेहद खूबसूरत और बहुसांस्कृतिक देश रहा है, यमन और सीरिया में बेघर शरणार्थियों को इसने अपनाया और शरण दी। यहां के लोग बेहद खुले विचारों और धर्म एवं नस्लीय भेदभाव के खिलाफ रहे हैं। स्वीडन के पड़ोस में ही एक देश है डेनमार्क, यह देश भी स्वीडन जैसा ही खूबसूरत और बहुसांस्कृतिक है, इसने भी शरणार्थियों को जगह दी। किन्तु यह बात वहां के नस्लीय विचार वाले धुर दक्षिणपंथी रासमुस पालूदान (Anti-Muslim Danish politician Rasmus Paludan )  को पसंद नहीं थी। वह नाज़ीवाद से प्रेरणा पाकर कहता था कि गोरी चमड़ी वाले एवं नीली आँखों वाले लोग ही श्रेष्ठ हैं, पर उसकी बात को कोई जगह नहीं मिलती थी।

2017 में जब मुस्लिम विरोध के नाम पर डोनाल्ड ट्रम्प की जीत हुई तो इसे बल मिला। प्रेरणा पाकर इसने मुसलमानों को घेरना चालू किया और एक पार्टी बनाई जिसका नाम था- स्ट्राम क्रूस ( अंग्रेज़ी में इसका अर्थ है – हार्ड लाइन)। इस राजनीतिक दल ने डेनमार्क में मुस्लिम विरोध का झंडा उठाया और शरणार्थियों को बाहर करने के लिए आवाज बुलंद की। इसका नेता पालूदान मुसलमानों को भड़काने और उनको टारगेट करने के लिए भड़काऊ भाषण देने लगा, कुरान आदि को ऑनलाइन फाड़ने की धमकियां देने लगा। यह डेनमार्क के लोगों को भड़काने लगा कि मुसलमानों को नहीं रोका गया तो इनकी आबादी 30% से ऊपर हो जाएगी और ये हमपर राज करेंगे, इन सब के साथ इसने डेनमार्क में 2019 में चुनाव लड़ा पर इसे किसी ने वोट भी नहीं दिया और इसकी बुरी तरह हार हुई। पालूदान को डेनमार्क में 14 से अधिक मामलों में सज़ा भी हुई और उसके लॉ की प्रैक्टिस को भी रोक दिया गया।

पालूदान समझ चुका था कि डेनमार्क (Denmark) में इसकी दाल गलने वाली नहीं है. तब इसने पड़ोसी देश स्वीडन की ओर देखा। स्वीडन में करीब 8% मुस्लिम आबादी थ, वहां इसने अपने विचार के कुछ नवजवानों को खड़ा किया, यह डेनमार्क से ही स्वीडन के मुसलमानों को भड़काने लगा। पालूदान का मुख्य उद्देश्य था अटेंशन प्राप्त करना ताकि इसकी राजनीतिक पार्टी सफल हो पाए जो 2019 के चुनावों में बुरी तरह हार गई थी।

कुछ दिन पहले इसने वीडियो बनाया उसमें कहा कि वह कुरान को फाडेगा और मुसलमानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगा, इसके लिए इसने स्वीडन के माल्मो शहर को चुना। माल्मो स्वीडन के दक्षिण में स्थित है और डेनमार्क से बिल्कुल करीब है। पालूदान के माल्मो शहर को चुनने के पीछे कारण यह था कि यहां सबसे अधिक 16% मुस्लिम आबादी थी।

स्वीडन पुलिस और प्रशासन पालूदान और उसकी पार्टी के विचारों का पता था, उन्होंने उसे माल्मो में घुसने से रोक दिया क्योंकि पालूदान का मुख्य उद्देश्य दंगा भड़काना था। यह देखकर माल्मो में पालूदान के अनुयायी पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे और यह मांग करने लगे कि पालूदान को आने दिया जाए, पालूदान के अनुयायियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया भारी मात्रा में टायर जलाए। इसी बीच उन्होंने वहां कुरान को जला दिया। जिससे मुसलमानों की भावना भड़क उठी, कुछ मुसलमान सड़क पर आ गए, और दोनों के बीच दंगा भड़क गया। (Riots in Sweden) माल्मो शहर अब आग के लपटों में था, जल रहा था।

रासमुस पालूदान डेनमार्क में बैठा खुश था, उसे अब पूरा विश्व जान गया, उसे जो चाहिए था मिल गया था। हो सकता है अब इसकी लपटें पूरे यूरोप में फैल जायें और बुरी तरह असफल पालूदान को राजनीतिक सफलता भी मिल जाए। अपनी अंदरूनी खुशी का इज़हार पालूदान ने सोशल मीडिया पर व्यक्त किया कि मुझे स्वीडन में आने नहीं दिया गया, पर वहां बलात्कारियों और हत्यारों को आने दिया जाता है।