डॉक्टर्स पे पत्थर चलाने वालों, क्या तुम्हें क़यामत के दिन का डर नहीं ?

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बच्चा जो गुनाहे अजीम करता है, उसके लिए अल्लाह ने जहन्नुम बनाया हुआ है। कयामत के दिन अल्लाह अपने हर बंदे का इंसाफ करेगा। नेकी करने वाले जन्नत में जाएंगे, बदी करने वाले जहन्नुम में। ये मुझे किसी बुजुर्गवार ने समझाया था। तो याद रखिए जिस लेकिन-किंतु-परंतु के पीछे आप जिन्हें बचा रहे हैं, उन्हें आप किसी तरह जमीन पर बचा भी लें तो भी ऊपरवाले की अदालत से नहीं बचा पाएंगें।

शुरुआत सबसे बड़ी खबर से… इंदौर के क्वारेंटाइन हॉउस से पांच पॉजिटिव मरीज भाग निकले हैं। भागे पांच मरीज सहित 3 लोग अर्थात आठ थे । जिनमें से तीन को पुलिस ने अपनी जान जोखिम में डाल किसी तरह समझा-बुझा कर पकड़ लिया है। याद रखें इंदौर में दो चिकित्सकों की कोरोना के कारण मृत्यु हो गई है। दो पुलिसकर्मी और कई स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। 700 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव । फिर भी ये सभी अपनी जान पर खेल कर कोरोना से निपटने की जंग जारी रखे हैं। बाकी जाहिल इनकी जंग पर पानी फेर रहे हैं।

कल से देख रही हूं, सोशल मीडिया में मुरादाबाद की घटना के पीछे के कारण ढूंढते हुए कई अजब-गजब तर्क गढ़े जा रहे हैं। एक पूरा वर्ग लग गया है इस घटिया हरकत पर लीपापोती करने के लिए। बचाव करने के लिए घटना क्यों हुई? घटना के पीछे के फेहरिस्त दिखाई जा रही हैं। गलत को गलत कहने का माद्दा कोई नहीं रख रहा। कुछ निडर साथियों को छोड़ दें तो कोई जिक्र नहीं कर रहा, मौलाना साद साहब की। कोई जिक्र नहीं कर रहा कि हर अपवाह को शुरु करने वाले तो वे ही थे। उन्होंने ही जमातियों से कहा…कोरोना इस्लाम के खिलाफ साजिश है। कुरान पढ़ने वालो को कोरोना से कुछ नहीं होगा। फिर खुद पर आई तो कोरन्टाइल हो गए। उनकी इस अपवाह के खिलाफ हर पढ़ा-लिखा व्यक्ति लामबंद क्यों नहीं हुआ ? बहुत से गुरु घंटालों के प्रति यह लांमबंदी अकसर देखी है..होनी भी चाहिए यहां गायब क्यों।

अब जाकर मौलाना साद साहब पर आईपीसी की धारा – 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। यह केस तो पहले जमाती की कोरोना से मृत्यु के समय ही दर्ज हो जाना चाहिए था। अपवाह की शुरुआत से लेकर अब तक जिस-जिस ने भी फेक न्यूज फैलाई है सबके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। गोबर-गोमूत्र से कुरान से निकला कोरोना तक…हर एक को अंदर किया जाए। सभ्य समाज में रहने लायक नहीं। दुनिया कोरोना से निपट रही है, हमारा देश कोरोना के साथ-साथ जाहिलों से निपट रहा है।

किसी मजहबी मौलाना की बात का असर इतना ज्यादा होता है कि उन्हें मानने वाले मरने को तैयार हैं। ईलाज करने आने वाले डॉक्टर को मारने के लिए तैयार हैं लेकिन भूल जा रहे हैं ‘हदीस में क्या लिखा है किसी महामारी के फैलने पर’। मैंने हदीस पढ़ी नहीं है, मेरे नेक मुस्लिम दोस्तों ने ही बताया है।

औरंगाबाद में मेडिकल की टीम पर हमला, जहानाबाद, मोतिहारी, बेगूसराय में पुलिस पर हमला करने वालों पर भी रासुका लगाई जाए लेकिन उनकी आड़ लेकर किसी का भी बचाव ना किया जाए। कानून की नजर में सब बराबर…. हाँ चलते-चलते इंदौर से जो भागे हैं ना वो शहर में नए हॉट स्पॉट बना सकते। कल तक खुश थे कि सारे पॉजीटिव पहले से चिन्हित एरिया से निकल रहे। प्रशासन-डॉक्टर्स के लिए जंग का मैदान चुनिंदा क्षेत्र….अब…हर जगह । उठिए खड़े हो जाइए गलत को गलत कहने का साहस रखिए। अन्यथा जो खाई राजनीतिज्ञों ने खींची थी उसे बुद्धिजीवी गहरा करके छोड़ेगें। मैं महसूस कर रही अपने आस-पास की हवा में नफरत का जहर इतना ना था. अच्छा होता राजनीति नहीं जागी थी, वो नफा नुकसान देख रही थी, लेकिन बुद्धिजीवी जागते… जिस तरह सीएए/एनसीआर का विरोध किया, उसी तरह हर तरह के गलत का कीजिए। मांग करते रहिए कार्यवाही की..

ये जो लोग आधारकार्ड देख रहे हैं। जात पूछ रहे हैं, उन्हें भी चिन्हित किया जाए। भारतीय संविधान के नागरिक अधिकारों के हनन की धारा के तहत कार्यवाही की जाए। किसी का भी समाजिक-आर्थिक बहिष्कार करना मानवीय अधिकारों के खिलाफ है। कार्यवाहियां सभी पर हों।

हम सबसे अच्छे तो वे मजदूर हैं, जो सड़क पर भूखे मर रहे लेकिन अपने गाँव-परिवार के पास जाने की आस के दिए को लेकर चलते जा रहे। हम ठिठके हैं, अपनी ही विचारधाराओं के बंधन में जकड़े हैं। खोलिए इन जंजीरों को बंधनों को गलत को गलत कहना शुरू कीजिए। हर जगह खड़े हो जाइए… लिखिए…  बोलिए… चिल्लाइए… गलत को सिर्फ गलत कहिए। अपनी आवाज को गले में मत घोटिए। बटंता हुआ समाज डरा रहा है कोरोना का डर खत्म हो जाएगा। नफरत का डर हमारे मन-मस्तिष्क पर लंबे समय तक तांडव करेगा।

नोटः – डॉक्टर को भगवान और नारी को देवी कहना बंद कर दीजिए। ये इंसान हैं, मानना है तो डॉक्टर को समाज का सुपर ब्रेन माने। इन्होंने अपनी जिंदगी के सबसे अनमोल साल किताबों के सामने सिर झुकाया है। कर सकते हैं ना तो महामारी के समय इनका सदका करे, लेकिन इन्हें भगवान की उपाधी ना दें। ये इंसान हैं, जिस कोरोना की महामारी से आपको बचा रहे हैं, वही बीमारी इनकी बली ले रही है। आपके लिए एसेनशियल सर्विस का मतलब खाना-दूध-सब्जी-दवाई है। इनके लिए एसेनशियल सर्विस का मतलब अपने मरीजों का इलाज करना। आप को खुद की सुरक्षा के लिए घर की चाहरदिवारी में बंद रखना है, इन्हें आपकी सुरक्षा के लिए चाहरदिवारी का घेरा तोड़कर अपनी जान जोखिम में डालना है। जब भी किसी पत्थर उठाने वाले के खिलाफ आवाज आपके गले में घुटे तो चिकित्सक पति-पत्नी के बच्चे का चेहरा याद कर लेना। जिसके डॉक्टर माँ-पापा अस्पताल में खुद कोरोना से जूझ रहे, छुटकू उनकी सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा।

किसी भी तरह की हेट स्पीच ना दें, उसके खिलाफ थी और हमेशा रहूंगी। मानवीय अधिकार, नागरिक कानून सभी का सम्मान करें। सबसे बढ़कर हमारे संविधान में आस्था रखें।