अफगान के गैर-मुस्लिमों को तालिबान ने दिया सुरक्षा का आश्वासन

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अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक सिख और हिंदू समुदाय के लोगों की सुरक्षा और भविष्य को लेकर काफी परेशान हैं। अब इसी अल्पसंख्यकों की इसी चिंता के बीच तालिबान ने एक बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा का भरोसा दिया है। 

दरअसल,  अफगान सिख समुदाय ने सोमवार को काबुल में तालिबान प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में सिख समुदाय के प्रतिनिधियों को तालिबान ने “शांति और सुरक्षा” का आश्वासन दिया है। लेकिन तालिबान के पूर्व शासनकाल की बर्बरताओं और नीतियों को देखकर कोई उनकी बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा है। हालांकि, इस बार तालिबान लगातार यह बात दोहरा रहा कि उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से काफी कुछ सीखा है, और इस बार वह नियम कायदों से शासन करेंगे। इसीलिए फिलहाल तालिबान द्वारा लोगों को विश्वास दिलाया गया है कि किसी को भी कोई खतरा नहीं है। 

गुरुद्वारे में हुई थी बैठक 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिंह सभा “करता परवान” के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि जबसे तालिबान ने अफगानिस्तान के प्रांतों पर कब्जा करना शुरू किया था, तब से 280 सिखों और 30-40 हिंदुओं सहित लगभग 300 लोगों ने तब से करता परवान गुरुद्वारे में शरण ली हुई है। लेकिन आज एक बैठक हुई थी, जिसमें तालिबान के प्रतिनिधियों और सिख समुदाय के सदस्यों ने भाग लिया। तालिबान नेताओं ने हमारी सुरक्षा और शांति का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश से भागने की जरूरत नहीं है। और हम यहां शांति से रह सकते हैं। उन्होंने वादा किया है कि हम अपने विश्वास का अभ्यास (धर्म का पालन) कर सकते हैं और हमारी धार्मिक प्रथाओं में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। उन्होंने एक नंबर भी दिया है जिस पर कोई समस्या होने पर संपर्क किया जा सकता है।

पिछली घटनाओं के बाद गैर-मुस्लिम में है खौफ  

कभी एक लाख से अधिक सिखों और हिंदुओं वाले देश में, 1992 में मुजाहिदीन के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान से इन अल्पसंख्यकों का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ था। जब तालिबान ने 1996 से 2001 तक सत्ता संभाली, तब भी इन अल्पसंख्यकों के लिए बहुत कम बदलाव आए। हालांकि, अफगानिस्तान छोड़ने वाले सिखों और हिंदुओं के लिए सबसे हालिया ट्रिगर दो बड़े हमले थे। 1 जुलाई , 2018 को जलालाबाद में एक आत्मघाती बम हमले में कम से कम 19 सिख और हिंदू मारे गए। इसके बाद , 25 मार्च 2020 को इस्लामिक स्टेट (IS) बंदूकधारी ने काबुल के शोर बाजार में गुरुद्वारा “हर राय साहिब” के अंदर धावा बोल दिया , जिसमें कम से कम 25 लोग मारे गए। 2020 के हमले (50 हिंदुओं सहित) के दौरान अफगानिस्तान में 700 से कम सिख और हिंदू थे और तब से अब तक उनमें से कम से कम 400 पहले ही विभिन्न बैचों में भारत आ चुके हैं। अब सिर्फ 280 सिख हैं और कुछ हिंदू वहां फंस गए हैं। 2020 गुरुद्वारा हमले के बाद उनमें से लगभग 400 पहले ही दिल्ली आ चुके हैं। 

पंजाब के सीएम ने ट्वीट कर किया मदद का ऐलान 

अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए, पंजाब के सीएम “कैप्टन अमरिंदर सिंह” ने एक ट्वीट में किया है, जिसमें सीएम ने ट्वीट पंजाब सरकार से हर संभव मदद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि “तालिबान के अधिग्रहण के बाद अफगानिस्तान के एक गुरुद्वारे में फंसे लगभग 200 सिखों सहित सभी भारतीयों को तत्काल निकालने की व्यवस्था करने के लिए डॉक्टर जय शंकर से आग्रह करें। मेरी सरकार उनकी सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए किसी भी तरह की मदद देने को तैयार है।”

इसके अलावा दिल्ली में रह रहे करता परवान गुरुद्वारे के सदस्य “छबोल सिंह” कहते है कि , तालिबान के ताजा आश्वासन के बावजूद सिख और हिंदू अफगानिस्तान में सुरक्षित रहेंगे। और उन्हें भागने की जरूरत नहीं है। परंतु सिख समुदाय के स्थानीय लोग अतीत की गंभीर यादों के कारण अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए तैयार हैं।