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राहुल का "सॉफ्ट हिंद्त्व " और इंदिरा गांधी

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आदरणीय राहुल जी,अध्यक्ष राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सुपुत्र स्वर्गीय राजीव गांधी, प्रपौत्र इंदिरा गांधी सबसे पहले आपको कांग्रेस का अध्यक्ष बनने की शुभकामनाएं, राहुल  जी भारतीय राजनीति में आपका और आपकी पार्टी का हमेशा दबदबा रहा है, लेकिन अब आप अपने सवा सौ साल के इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुज़र रहें है, ये आपके लिए चिंता का विषय है लेकिन क्यों ये आपको पता है?
राहुल गांधी जी एक परिंदा अगर उड़ना छोड़ दें और और शेर अगर शिकार करना छोड़ दें तो वो क्या करता है? आपको पता है? मुझे तो नही पता क्योंकि उसका खुद का भी पता नही रहता है, वो कहा गया और ये सिर्फ इसलिए क्योंकि वो अपनी “महत्वता” खो चुका है,भूल चुका है।
क्या यही स्थिति आपके साथ नही है? क्या आप देश के सबसे पुराने राष्ट्रीय राजनीतिक दल नही है क्या आप “विपक्षी” दल नही है? तो आप ऐसा महसूस क्यों नही करा रहें है? सवाल बहुत प्रैक्टिकल है कि क्यों आप और आपकी पार्टी अपनी मूल विचारधारा से परे होकर “क्लोन” बनना चाह रही है? क्यों आप “सॉफ्ट हिंदुत्व” को महत्वता दे रहें है ? क्यों आप खुद को “ब्राह्मण” बता रहें है?
ये आपकी विचारधारा नही है आपकी विचारधारा “सेक्युलर” और “समाजवादी” धागों से बंधी है आपका इतिहास संविधान से जुड़ा रहा है क्यों आप उसे भूल रहें है? सवाल सिर्फ गुजरात का नही है सवाल ये है कि ऐसा क्यों? क्यों हो रहा है।
राहुल गांधी जी आपको याद रखना चाहिए कि आपको हमेशा से वो बड़ा वर्ग वोट देता आया है. जो सामाजिक तौर पर कमज़ोर है जो राजनीतिक तौर पर पिछड़ा है और आपको क्या लगता है कि आपका “सॉफ्ट हिंदुत्व” उसे आपकी तरफ़ रखेगा? इस भूल में मत रहिये ऐसा नही होगा.
जिस तरह आपकी पार्टी बंगाल,उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से गायब हो सी गयी है, शायद आने वाले चुनावों में और बुरा दौर देखें क्योंकि आप खुद को खुद ही कमज़ोर कर रहें है। क्या आप भूल रहें है कि हमेशा इंदिरा गांधी जी एक “नेता” की तरह साम्प्रदायिकता के खिलाफ खड़ी रही और कभी भी उन्होंने इस चीज़ से कोई समझौता नही किया लेकिन क्या आप ऐसा मज़बूती से करते नज़र आ रहें है? यही वजह है कि अब आप सिर्फ 5 राज्यों में रह गए है,और आगे और भी चुनाव है क्या मालूम क्या हो।
राहुल गांधी जी नेता वो होता है जो “नेता” नज़र आये,आप सिर्फ कुछ मुद्दों पर बोलकर ऐसा नही कर सकतें है। आपके सामने “तत्काल तीन तलाक” बिल लोकसभा में पास हुआ आपने क्या किया? कोई सवाल किया? कोई विरोध किया? नही,अभी कल ही दलितों पर भीषण हमला हुआ कई लोग घायल हुए आप कुछ बोलें? नही बोलें चलिये एक ट्वीट भी किया? नही किया क्योंकि शायद आपके लिए ये महत्व नहीं रखता हैं?
राहुल गांधी जी अगर आप अपनी पुरानी सिद्धान्तिक रणनीतियों को बदलना चाह रहें है तो ज़रा ध्यान लगाइये भाजपा पर की कितनी ईमानदारी से उसने अपने विचारों को आज भी ऐसा ही रखा जा और इससे कभी समझौता नही किया और वो आज भी वेसी ही है।
लेकिन आप तो “क्लोन” बनना चाह रहें है,बनिये आपकी मर्जी लेकिन याद रखिये शेर अगर शिकार नही करेगा तो क्या खायेगा? बाकी खुद सोचिये और समझिये की आप कहा जा रहें है कैसे जा रहें है। क्योंकी 5 राज्यों में बची पार्टी और अपनी सैद्धांतिक रणनीतियों में से “सेक्युलर” शब्द की अहमियत को कमज़ोर कर उसमें बदलाव लाने वाली पार्टी पर शायद ही कोई यक़ीन करें और वोट करें…बाकी आप देखें और समझें।

असद शेख